धान की फसल में लटों का प्रकोप- प्रभावित क्षेत्र के गांवों का भ्रमण
28 अगस्त 2025, भोपाल: धान की फसल में लटों का प्रकोप- प्रभावित क्षेत्र के गांवों का भ्रमण – राजस्थान के कुछ इलाकों में धान की फसल में लटों का प्रकोप होने की जानकारी किसानों ने दी है। इसे देखते हुए कृषि विभाग, बूंदी के कीट वैज्ञानिक प्रो.हरीश वर्मा, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार कौशल कुमार सोमाणी एवं अल्फा नगर के कृषि पर्यवेक्षक हेमराज वर्मा ने धान में लट प्रभावित क्षेत्र के गाँवों डोरा, तुलसी का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि धान की फसल में स्वार्मिंग कैटरपिलर (स्पोडोप्टेरा मॉरीशिया) का प्रकोप हो रहा हैं।
पीली सफेद धारियां होती है
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस लट का रूप-रंग शुरुआती अवस्था में, हल्के हरे रंग का होता है, जिन पर पीली सफेद धारियां होती है। बाद में, ये गहरे भूरे या धूसर हरे रंग के हो जाते हैं और इनके किनारों पर विशिष्ट अर्धचंद्राकार काले धब्बे पाये जाते हैं। कैटरपिलर झुंड में भोजन करते हैं और पत्तियों को खाकर नष्ट कर देते हैं और यहाँ तक कि पौधों के आधार को भी काट कर नष्ट कर देते हैं। यह लट छह लार्वा अवस्थाओं से गुजरते हुए लगभग 3.8 सेमी की लंबी हो जाती है। यह पत्तियों के सिरे और किनारों को काटकर नुकसान पहुँचाती है, जिससे विशेष रुप से छोटे पौधे को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे खेत में किसी पशु द्वारा चराई की गई है। कीट का पूरा जीवन चक्र लगभग 25-40 दिनों का होता है, जिसमें प्रति वर्ष कई पीढ़ियों होती हैं। मादा घास, खरपतवारों और चावल की पत्तियों पर 200-300 के समूहों में मलाईदार सफेद, गोलाकार अंडे देती है, जो भूरे बालों से ढके होते हैं। पतंगे राख भूरे रंग के होते हैं, जिनका पंख फैलाव लगभग 40 मिमी होता है और अगले पंखों पर एक त्रिकोणीय काला धब्बा होता है।
नियंत्रण
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार किसान नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का सिफारिश की गई मात्रा की तुलना में अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिससे कीटों का प्रकोप अधिक हो रहा है। अतः किसानों को सलाह दी गई है कि नत्रजन युक्त उर्वरक (यूरिया) का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें। वर्तमान में चल रहे कीटों के प्रकोप प्रबंधन के लिए निम्न सलाहों का अनुसरण करने के लिए किसानों को सलाह दी गई है।
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