फसल की खेती (Crop Cultivation)

चने की उन्नत खेती

खेत का चुनाव व तैयारी : मध्यम तथा भारी किस्म की भूमि चने के लिए अधिक उपयुक्त होती है। खेत को तैयार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मध्यम आकर के ढेले अवश्य बुआई के समय रहें। भूमि की तैयारी के लिए बखर द्वारा दो बार जुताई करें। खरीफ फसल की कटाई के तुरंत बाद बखर चलाकर बाद में पाटा लगाकर नमी को कम होने से बचाए।
उन्नतशील किस्में: देशी चने की किस्में जेजी.315, जेजी.130, जेजी.218, जेजी.74, जेजी.16, जेजी.63, जेजी.412.
काबुली चना- काक-2,जे.जी.के .1
गुलाबी चना- जवाहर चना.5, जवाहर गुलाबी चना.1- बी.जी. 1053
बुआई का समय – समय पर बुआई     1-15 नवम्बर व पिछेती बुआई 25 नवंबर से 7 दिसंबर तक
बीज की मात्रा : मोटे दानों वाला चना      80-100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर, सामान्य दानों वाला चना-70-80 कि.ग्रा.प्रति हेक्टेयर।
बीज उपचार : बीमारियों से बचाव के लिए थीरम या बाविस्टीन 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज के हिसाब से उपचारित करें। राइजोबियम टीका से 200 ग्राम टीका प्रति 35-40 कि.ग्रा. बीज को उपचारित करें।
उर्वरक: उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें।
नत्रजन: 20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर -100 कि.ग्रा.डाईअमोनियम फास्फेट
फास्फोरस: 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर
जिंक सल्फेट: 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर
बुआई की विधि : चने की बुआई कतारों में करें।
गहराई : 7 से10 सें.मी. गहराई पर बीज डालें। कतार से कतार की दूरी: 30 सें.मी. (देसी चने के लिए), 45 सें.मी. (काबुली चने के लिए)
खरपतवार नियंत्रण: फ्लूक्लोरोलिन 200 ग्राम (सक्रिय तत्व) का बुआई से पहले या पेंडीमिथालीन 350 ग्राम (सक्रिय तत्व) का अंकुरण से पहले 300-350 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में छिड़काव करें। पहली निराई-गुड़ाई बुआई के 30-35 दिन बाद तथा दूसरी 55-60 दिन बाद आवश्यकतानुसार करें।
सिंचाई: यदि खेत में उचित नमी न हो तो पलेवा करके बुआई करें। बुआई के बाद खेत में नमी न होने पर दो सिंचाई, बुआई के 45 दिन एवं 75 दिन बाद करें।

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