फसल की खेती (Crop Cultivation)

किसान भाई इस सप्ताह क्या करें –

8 दिसम्बर 2021,  किसान भाई इस सप्ताह क्या करें –

मटर

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खेतों का सतत निरीक्षण करें एवं कीटों से सुरक्षित रखें। जड़ सडऩ से बचाव हेतु पायथियम या रिडोमिल नामक दवा 300-400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। कतार में बोई गई मटर की फसल में अन्त:कर्षण क्रिया या व्हील हो चलाकर खरपतवारों को नष्ट करें।

धान – धान की कटाई करें तथा अवशेष (पराली) को न जलायें एवं कटी हुई धान की फसल को सुरक्षित स्थान पर भण्डारण करें।

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सरसों- समय पर बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें।

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गेहूं –

  • गेहूं की उन्नत किस्मों की बुआई हेतु खेत की तैयारी करें।
  • किसान भाई, गेहूं की उन्नत किस्में कुछ इस प्रकार है:
    मध्यम पकने वाली:- (सिंचित किस्में) – जी. डब्ल्यू- 322, 3211, जे. डब्ल्यू 3020, 3382, 3352, एच.आई. 1544, एच.आई., तेजस, डी.डी डब्ल्यू. 47, जी. डब्ल्यू- 451
    देर से पकने वाली- (असिंचित किस्में) – सुजाता, सी-306, एच.आई. 1531, 3288,
    1-2 पानी वाली किस्में- जे. डब्ल्यू 3173, 3020,
  • समय पर बोए गये गेहंू की फसल में सीआरआई अवस्था (20 से 25 दिन) में सिंचाई करें।
  • अंकुरण के 20 से 25 दिन में खपतवारनाशी सल्फोसल्फ्यूरान 25 ग्रा. एवं मेटसल्फ्यूरान 10 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें अथवा क्लोडिनोफास प्रोपरगिल 60 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें।

चने की उन्नत किस्में:

चने की बुवाई बीजोपचार, ट्राइकोडरमा विरडी एवं राइजोबियम कल्चर उपरांत करें।
मध्यम अवधि पकने वाली (120-125 दिन):- जे. जी. 16, 315, 63, 130, 36
काबुली: जे. जी. के.- 5

  • उपयुक्त तापक्रम एवं पर्याप्त नमी होने की दशा में अनुसंशित प्रजातियों की बोनी करें।
  • चने में निंदाई गुड़़ई का कार्य करें।
  • कतार में बोई गई चने की फसल में अन्त: कर्षण क्रिया या व्हील हो चलाकर खरपतवारों को नष्ट करें एवं जड़ों में वायु का संचार बढ़ायें।
    अरहर द्य फसल में कीट आक्रमण हेतु सतत निरीक्षण करें।

फलदार वृक्ष

  • वृक्षों के आसपास नींदा नियंत्रण करें एवं अनुशंसित खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें।
  • सूखी व कीटग्रस्त शाखाओं की कटाई करें।
    सब्जियां द्य वर्तमान मौसम प्याज की बुवाई के लिए अनुकूल है। बीज दर 10 कि. ग्रा. प्रति हेक्टर। बुवाई से पहले बीजों को केप्टान/5 ग्राम प्रति कि. ग्रा. बीज की दर से उपचार अवश्य करें।
  • भिंडी की फसल में पीत शिरा रोग के लक्षण दिखना प्रारंभ हो गये है यह वायरस जन्य रोग है। अत: इसकी रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफॉस 2.5 मिली/लीटर का छिडक़ाव करें।
  • इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि फसलों व सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली. प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव आसमान साफ होने पर सुबह या शाम को करें।
  • मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाडक़र जमीन में गाड़ दें। यदि प्रकोप अधिक है तो पायेमेट्राजीन 50 प्रतिशत डब्लूजी/300 ग्राम/हे. की दर से छिडक़ाव आसमान साफ होने पर करें ।

पशु एवं मुर्गी पालन

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  • जानवरों को हरे चारे हेतु बरसीम की बुवाई करें।
  • आसमान में बादल रहने पर मुर्गी घरों में प्रकाश की अवधि बढा़एं ताकि अण्डा उत्पादन में गिरावट न हो।

–       जवाहर लाल नेहरू कृषि विज्ञान केंद्र, जबलपुर, मौसम केंद्र, भोपाल

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