फसल की खेती (Crop Cultivation)

लू से फसलें बचाने का देसी तरीका, खरगोन के किसानों की तकनीक अब ट्रेंड में

01 मई 2025, भोपाल: लू से फसलें बचाने का देसी तरीका, खरगोन के किसानों की तकनीक अब ट्रेंड में – मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में गर्मी का कहर हर साल फसलों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन यहां के किसान अब एक नई और आधुनिक तकनीक के साथ इस चुनौती का सामना कर रहे हैं। पपीता और केले की फसलों को तेज लू और झुलसाने वाली धूप से बचाने के लिए किसान क्राफ्ट कपड़े का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही, सन के पौधे लगाकर खेतों का तापमान कम करने की कोशिश भी की जा रही है। आइए जानते हैं इस अनोखी तकनीक के बारे में।

गर्म हवाओं का फसलों पर कहर

निमाड़ क्षेत्र में अप्रैल और मई के महीनों में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस दौरान तेज गर्म हवाएं पपीता और केले की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। पौधों की नमी कम होने से वे मुरझाने लगते हैं और कई बार पूरी तरह सूख जाते हैं। लेकिन अब किसानों ने इस समस्या का हल ढूंढ लिया है।

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क्राफ्ट कपड़ा: फसलों का सुरक्षा कवच

खरगोन के किसान अब अपनी फसलों को बचाने के लिए पौधों को क्राफ्ट कपड़े से ढक रहे हैं। यह कपड़ा तेज धूप और गर्म हवाओं से पौधों की रक्षा करता है, जिससे उनकी नमी बनी रहती है। इस तकनीक की वजह से न केवल फसलें सुरक्षित रहती हैं, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इसके अलावा, कुछ किसान अपने खेतों में सन के पौधे लगाकर प्राकृतिक रूप से तापमान को नियंत्रित कर रहे हैं।

नर्मदा नदी का सहारा

निमाड़ के किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए नर्मदा नदी से निकलने वाली नहरों पर निर्भर हैं। यह पानी फसलों को गर्मी के मौसम में भी हरा-भरा रखने में मदद करता है। क्राफ्ट कपड़े और सन के पौधों के साथ मिलकर यह तकनीक फसलों को लू से बचाने में कारगर साबित हो रही है।

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खरगोन के पपीते और केले न केवल भारत के अन्य राज्यों में, बल्कि विदेशों में भी खूब पसंद किए जाते हैं। इन फसलों की मांग को देखते हुए किसान नई तकनीकों को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने और गुणवत्ता बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। क्राफ्ट कपड़े की यह तकनीक निमाड़ में तेजी से लोकप्रिय हो रही है और किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

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