‘अमृतफल’-आंवला के औषधीय गुण एवं विभिन्न उत्पाद
20 नवंबर 2025, भोपाल: ‘अमृतफल’-आंवला के औषधीय गुण एवं विभिन्न उत्पाद – हमारे देश में कहावत है कि बुजुर्गों की सलाह और आंवले का स्वाद का महत्व बाद में पता चलता है। आंवले को अधिकांश लोग सिर्फ मुरब्बे के लिए ही जानते हैं परन्तु बहुत ही कम लोग इसके चमत्कारिक औषधीय लाभों से परिचित होंगे। चलिए एक नजर डालते हैं कि क्यों आंवला आपकी सेहत के लिए प्रकृति का एक वरदान है आंवला एक ऐसा फल है जो अपने औषधीय गुणों के कारण काफी प्रसिद्ध है और इसे हर किसी को अपनी आहार में शामिल करना चाहिए। खासतौर पर महिलाओं के आहार में तो इसकी खास जगह होनी चाहिए क्योंकि यह विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशिम, आयरन, कैरोटीन और विटामिन बी कॉम्पलेक्स का बहुत बड़ा स्रोत है। शायद यही वजह है कि आंवले को 100 रोगों की एक दवा माना जाता है और आंवले की तुलना अमृत से की जाती है।
आँवला एक छोटे आकार और हरे रंग का फल है। इसका स्वाद खट्टा होता है। आयुर्वेद में इसके अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आँवले के 100 ग्राम रस में 921 मि.ग्रा. और गूदे में 720 मि.ग्रा. विटामिन सी पाया जाता है। आर्द्रता 81.2, प्रोटीन 0.5, वसा 0.1, खनिज द्रव्य 0.7, कार्बोहाइड्रेट्स 14.1, कैल्शियम 0.05, फॉस्फोरस 0.02, प्रतिशत, लौह 1.2 मि.ग्रा., निकोटिनिक एसिड 0.2 मि.ग्रा. पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें गैलिक एसिड, टैनिक एसिड, शर्करा (ग्लूकोज), अलब्यूमिन, काष्ठौज आदि तत्व भी पाए जाते हैं। आँवला विटामिन ‘सी’ का सर्वोत्तम और प्राकृतिक स्रोत है। इसमें विद्यमान विटामिन ‘सी’ नष्ट नहीं होता आंवला हमारे दांतों और मसूढ़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है एवं तन-मन को फुर्तीला बनाता है। नर्वस सिस्टम (स्नायु रोग), हृदय की बेचैनी, धड़कन, मोटापा, जिगर, ब्लडप्रेशर, दाद, प्रदर, गर्भाशय दुर्बलता, नपुसंकता, चर्म रोग, मूत्ररोग एवं हडिड्यों आदि के रोगों में आंवला बहुत उपयोगी होता है। जिगर की दुर्बलता, पीलिया को खत्म करने में आंवला को शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ मिलता है और यह टॉनिक का काम करता है। यह करीब 20 फीट से 25 फुट तक लंबा झारीय पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है, स्वाद में इनके फल कसाय होते हैं।
संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा इत्यादि, अंग्रेजी में ‘एँब्लिक माइरीबालन’ या इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry) तथा लैटिन में ‘फ़िलैंथस एँबेलिका’ (Phyllanthus emblica) कहते हैं। यह वृक्ष समस्त भारत में जंगलों तथा बाग-बगीचों में होता है। इसकी ऊँचाई 2000 से 25000 फुट तक, छाल राख के रंग की, पत्ते इमली के पत्तों जैसे, किंतु कुछ बड़े तथा फूल पीले रंग के छोटे-छोटे होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हरीतकी (हड़) और आँवला दो सर्वोत्कृष्ट औषधियाँ हैं। इन दोनों में आँवले का महत्व अधिक है। प्राचीन ग्रंथकारों ने इसको शिवा (कल्याणकारी), वयस्था (अवस्था को बनाए रखनेवाला) तथा धात्री (माता के समान रक्षा करनेवाला) कहा है।
आंवले की खेती – आंवला के फल औषधीय गुणों से युक्त होते हैं, इसलिए इसकी व्यवसायिक खेती किसानों के लिए लाभदायक होती है। भारत की जलवायु आंवले की खेती के लिहाज से सबसे उपयुक्त मानी जाती है। उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ आंवले के लिए प्रसिद्ध है। इसके फलों को विकसित होने के लिए सूर्य का प्रकाश आवश्यक माना जाता है। हालांकि आंवले को किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन काली जलोढ़ मिट्टी को इसके लिए उपयुक्त माना जाता है। आंवले को बीज के उगाने की अपेक्षा कलम लगाना ज्यादा अच्छा माना जाता है। कम्पोस्ट खाद का उपयोग कर भारी मात्रा में फल पाए जा सकते हैं। आंवले के फल विभिन्न आकार के होते हैं। छोटे फल बड़े फल की अपेक्षा ज्यादा तीखे होते हैं। आंवला के पौधे और फल कोमल प्रकृति के होते हैं, इसलिए इसमें कीड़े जल्दी लग जाते हैं। आंवले की व्यवसायिक खेती के दौरान यह ध्यान रखना होता है कि पौधे और फल को संक्रमण से रोका जाए। पोटाशियम सल्फाइड कीटाणुओं और फफुंदियों की रोकथाम के लिए उपयोगी माना जाता है।
आंवले के दैनिक जीवन में उपयोगी विभिन्न उत्पाद –

1. आंवला कैंडी – आंवला की कैंडी बहुत उपयोगी व फायदेमंद है। इसके रोज सेवन करने से शरीर में ताजगी बनी रहती है एवं दांतों व मुंह के रोग नहीं होते हैं तथा मुंह में बदबू नहीं आती है तथा ये दैनिक विटामिन सी व आयरन की कमी को पूरा करती है ।
| सामग्री | मात्रा |
| आंवले | 1 किलोग्राम |
| नमक | 10 ग्राम |
| चीनी | 750 ग्राम |
आंवला कैंडी बनांने की विधि –
- अच्छे औसत आकार के आंवलों को लेकर साफ कर लें और भलीभांति स्टील के कांटे से गुदाई कर लें।
- गूदे हुए आंवलों को सादे पानी में एक चम्मच नमक डालकर 24 घण्टे तक रख दें।
- दूसरे दिन पानी बदलें, तीसरे दिन भी यही प्रक्रिया दोहरायें।
- अब आंवलों को धोकर गूदा व बीज की अलग अलग कर लें।
- अब आंवलों के गूदे को चीनी में मिलाकर जाली से ढक कर रख दें। इन आंवलों को लगभग 48 घण्टों तक रखें, बीच-बीच में हिलाते रहें ताकि चीनी पूर्णतया आवलों में समा जाए।
- अब चासनी को छानकर अलग रख लें तथा आंवलों की कैंडी को 3-4 दिनों तक सूखा लें।
2. आंवला मुरब्बा – विटामिन से भरपूर आवलें को चीनी के घोल में पकाकर परिरक्षित किया जाता है। इस खाद्य पदार्थ को मुरब्बा कहते हैं। आंवले का मुरब्बा यदि गरमी में रोजाना खायें तो यह बहुत तरावट देने वाला और दिमाग को ताकत देने वाला होता है।

आंवले का मुरब्बा
| सामग्री | मात्रा |
| आंवले | 1 किलो |
| पानी | 1 लीटर |
| चीनी | 1.25 किग्रा |
आंवला मुरब्बा बनाने की विधि-
- अच्छे औसत आकार के फलों को लेकर साफ कर लें और भलीभांति स्टील के कांटे से गुदाई कर लें।
- गूदे हुए आंवलों को दो प्रतिशत नमक के घोल में 24 घण्टे तक एवं अगले दिन दो प्रतिशत फिटकरी के घोल (20 ग्राम पीसी फिटकरी प्रति लीटर पानी ) में डुबोकर 24 घण्टे रख दें।
- तीसरे दिन फलों को साफ पानी में धो कर 5 मिनट तक खौलते पानी में उबाल लें। इस प्रकार आवलें का कसैलापन दूर हो जाता है। आवलों को इतना ही उबाले की फल फटने न पायें।
- अब उपर्युक्त चीनी को गर्म कर घोल बनायें। जब चीनी अच्छी तरह घुल जाए तो घोल को मलमल के कपड़े से छान लें और घोल में उबला हुआ आंवला डालकर रख दें।
- 24 घण्टे बाद फलों को चाशनी में से निकाल कर इतना गर्म करें कि दो तार कि चाशनी बन जाए।
- इस चाशनी में फलों को डाल कर 24 घण्टे के लिये रख दें।
- अगले दिन तैयार मुरब्बे को शीशे के मर्तबान में रख दें।
3. आंवले का आचार-

| सामग्री | मात्रा |
| आंवले | 500 ग्राम |
| सरसों का तेल | 200 मिली लीटर |
| हींग | ¼ छोटी चम्मच (पीसी हुई) |
| मेथी के दाने | 2 छोटी चम्मच |
| अजवायन | 1 छोटी चम्मच |
| नमक | 50 ग्राम (4 छोटे चम्मच) |
| हल्दी पाउडर | 2 छोटे चम्मच |
| लाल मिर्च पाउडर | 1 छोटी चम्मच से कम |
| पीली सरसों | 4 छोटे चम्मच (मोटी पीसी हुई) |
| सौंफ पाउडर | 2 छोटे चम्मच |
आंवले का आचार बनाने की विधि –

- सबसे पहले आंवलों को साफ पानी से धोकर एक बर्तन में डालें और उसमें 1.1/2 कप पानी डाल कर उबाल लें।
- उसके बाद गैस धीमी कर आंवलों को तब तक पकाइये जब तक कि वे नरम ना हो जाएं और फिर गैस बंद कर दें।
- अब आंवलों को ठंडा करके उनकी फाकें अलग करें और गुठलियाँ निकाल कर फेंक दें।
- कढ़ाई में तेल डाल कर अच्छी तरह गर्म करें और फिर गैस बंद कर दें।
- अब इस गर्म तेल में हींग, मैथी के दाने और अजवायन डाल कर थोड़ा सा भूनिये और उसके बाद हल्दी पाउडर, सोंफ पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, पीली सरसों, नमक और आंवले डाल कर सबको अच्छी तरह मिला दें।
- अब इसे ठंडा करके किसी कांच के कंटेनर में भर कर रख दें और अगले 3-4 दिन तक रोज दिन में एक बार अचार को साफ और सूखे चमचे से ऊपर नीचे कर देवें (3-4 दिन के बाद यह अचार पूरी तरह से तैयार हो जायेगा)।
4. आंवला जैम- आंवला सभी को खाना चहिये । आंवला जैम हम बच्चों को रोटी या ब्रेड के साथ परोस सकते है । ये बच्चों में आयरन की कमी को दूर करता है साथ ही पाचन भी तंदुरुस्त करता है ।
आवश्यक सामग्री:
| सामग्री | मात्रा |
| आंवला | 500 ग्राम |
| काली मिर्च | 1/2 छोटी चम्मच |
| चीनी | 1/2 किलो |
| लाल मिर्च | 1/2 छोटी चम्मच |
| गरम मसाला | 1/2 छोटी चम्मच |
| काला नमक | 1/2 छोटी चम्मच |
| सफेद नमक | 1/2 छोटी चम्मच |
| जीरा भुना हुआ | 1 छोटी चम्मच |
| ईलाईची पाउडर | 1 छोटी चम्मच |
आंवले का जैम बनाने की विधि –
- आंवलो को धोकर कदूकस कर लीजिये।
- एक पैन मे कदूकस आंवलो को अच्छी तरह से उबाल लीजिये। उसके बाद ठंडा होने के लिए रख दीजिये।
- फिर आंवलो को मिक्सर मे डाल कर पीस लीजिये।
- उसके बाद एक पैन लीजिये और और उसमे पिसे आंवले, चीनी और सारे मसाले (ईलाईची नहीं डालनी ) डालकर तब तक उबलने दीजिये जब तक चीनी का सारा पानी सूख जाए और आंवला गाढ़ा नहीं हो जाता।
- जब आंवला गाढ़ा हो जाए तब उसमे ईलाईची पाउडर डाल कर ठंडा होने के लिए रख दीजिये।
- आंवले का जैम बन कर तैयार है, उसके बाद किसे जार मे भर कर रख दीजिये।
5. आंवला सुपारी-

आंवला एक बहुत ही आसानी से उपलब्ध होने वाला शानदार टॉनिक है । विटामिन ‘सी’ से भरपूर चिरयुवा और स्वस्थ रख सकने योग्य इस फल का किसी भी प्रकार से खाया जाना व्यर्थ नहीं होता। आंवला सुपारी चटपटी बनाकर खाना आंवला खाने का एक आसान और पसंद किया जाने वाला तरीका है। आवला कैंडी की तरह आंवला सुपारी भी लंबे समय तक ख़राब नहीं होती। आंवले के सीजन में इस बार ये विधि जानकर आँवला सुपारी चटपटी अवश्य बनायें और अपने परिवार के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उन्हें छोटी मोटी बीमारियों से बचाएं। रोजाना खाना खाने के बाद इसे मुखवास की तरह खाएँ। इससे पाचन तंत्र मजबूत रहेगा और विटामिन्स भी मिलेंगे।
आवश्यक सामग्री:
| सामग्री | मात्रा |
| आंवला | 500 ग्राम |
| काला नमक | 2 चम्मच |
| सादा नमक | 1 चम्मच |
| पिसी काली मिर्च | आधा चम्मच |
| पिसी अजवायन | आधा चम्मच |
| भुना पिसा जीरा | आधा चम्मच |
| सौंठ | आधा चम्मच |
आंवला सुपारी बनाने की विधि-
- अच्छे औसत आकार के आंवलों को लेकर साफ कर लें व आंवलों को थोड़ा नरम पड़ने तक 8 से 10 मिनट के लिए उबाल लें
- अब उबले आंवलों को ठंडा कर गुठली हटा कर बारीक़ काट लेंगे।
- कटे आंवलों क साथ बाकी सभी मसाले बारीक पीसकरके मिलाकर जाली से ढक कुछ देर रख दें।
- मसाले मिलने पर इनको 3-4 दिन सूर्य की रोशनी में सुखा दें ।
- तैयार आंवला सुपारी का कभी भी मुखवास की तरह उपयोग किया जा सकता है ।
त्रिफला चूर्ण- त्रिफला चूर्ण उदर रोग, नेत्र रोग, कफ, खांसी एवं मूत्र सम्बन्धी रोगी के लिए लाभकारी होता है।

- त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये आपको सूखी हुये बड़ी हरड़, बहेड़ा और आंवला चाहिये।
- तीनों ही फल स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे होने चाहिये इनकी गुठली निकाल दें और थोड़ा -थोड़ा मोटा कूट ले।
- फिर उस के बाद उसे मिक्सी में बारीक पीस ले और छान लें एवं बचे हुये भाग का अलग-अलग चूर्ण बना लें।
बारीक छने हुये तीनों प्रकार के चूर्ण को किसी जार में भरकर रख लें । उदाहरण के लिये यदि अगर 10 ग्राम हरड का चूर्ण लेते हैं तो उसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण और 40 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाएं।
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