अपने सोयाबीन खेत को पीला मोज़ेक रोग से बचाने के 3 असरदार तरीके
13 अगस्त 2025, नई दिल्ली: अपने सोयाबीन खेत को पीला मोज़ेक रोग से बचाने के 3 असरदार तरीके – सोयाबीन पीला मोज़ेक या सोयाबीन मोज़ेक वायरस (SMV) भारत में सोयाबीन की फसल को प्रभावित करने वाले सबसे गंभीर वायरल रोगों में से एक है। यह रोग तेज़ी से फैलता है और यदि समय पर नियंत्रण न किया जाए तो उपज में भारी कमी हो सकती है। पीला मोज़ेक रोग विशेष रूप से खरीफ मौसम में देखा जाता है और उन क्षेत्रों में अधिक गंभीर होता है जहां सफेद मक्खी और एफिड की संख्या अधिक होती है।
लक्षण और पहचान
किसानों को अपने खेतों में पीला मोज़ेक रोग के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान करना आवश्यक है। रोगग्रस्त पौधों की पत्तियों पर पीला धब्बेदार पैटर्न या मोज़ेक दिखाई देता है। प्रभावित पौधे बौने रह जाते हैं, पत्तियां मुड़कर विकृत हो जाती हैं, फलियों का निर्माण कम हो जाता है और बीज की गुणवत्ता घट जाती है। रोगग्रस्त पौधे वायरस का स्रोत बन जाते हैं, जिससे यह तेजी से स्वस्थ पौधों में फैल सकता है।
रोग का फैलाव और कारण
पीला मोज़ेक रोग मुख्य रूप से सोयाबीन मोज़ेक वायरस के कारण होता है और कीट वाहक सफेद मक्खी (Bemisia tabaci) तथा एफिड (Aphis glycines) द्वारा फैलता है। संक्रमित बीज भी रोग का स्रोत बन सकते हैं। इसलिए वायरस-रहित प्रमाणित बीज का उपयोग और बीज उपचार बेहद जरूरी है।
रासायनिक नियंत्रण के उपाय
पीला मोज़ेक रोग का प्रभावी नियंत्रण मुख्य रूप से कीट वाहकों पर रासायनिक नियंत्रण के माध्यम से किया जाता है। रोग फैलाने वाले सफेद मक्खी और एफिड के लिए किसानों को अनुमोदित कीटनाशक समय पर छिड़काव करना चाहिए। अनुशंसित रसायन हैं:
सबसे पहले, फ्लोनीकेमिड 50% WG को 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें। इसके अलावा, थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन का 125 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़काव भी प्रभावी है। अन्य विकल्पों में बीटा-सायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड का 350 मिली/हे और एसिटेमीप्रीड 25% + बायफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हे छिड़काव शामिल हैं। ये रसायन प्रारंभिक चरण में ही रोग वाहक कीटों को नियंत्रित करते हैं और वायरस के फैलाव को रोकते हैं।
संस्कृतिक और अन्य प्रबंधन उपाय
रासायनिक नियंत्रण के साथ-साथ रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर नष्ट करना चाहिए ताकि वायरस का फैलाव रोका जा सके। खेत की सफाई बनाए रखना, संक्रमित क्षेत्रों से दूरी बनाए रखना और नियमित निरीक्षण करना भी बेहद जरूरी है। बीज का उपचार और केवल प्रमाणित वायरस-रहित बीज का प्रयोग करना रोग नियंत्रण में सहायक होता है।
प्रारंभिक कार्रवाई का महत्व
पीला मोज़ेक रोग बहुत तेजी से फैलता है और यदि समय पर नियंत्रण न किया जाए तो उपज में 50–70% तक की हानि हो सकती है। समय पर रासायनिक नियंत्रण, रोगग्रस्त पौधों को हटाना और कीट वाहकों पर निगरानी रखना सबसे प्रभावी उपाय हैं।
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