मशरूम की 2000 प्रजातियां
मशरूम की 2000 प्रजातियां – कृषि विज्ञान केन्द्र, बड़गांव, बालाघाट द्वारा विकासखण्ड किरनापुर के ग्राम बगड़मारा, बटरमारा, नेवरगांव, धड़ी, मंगोलीकला, देवगांव आदि के प्रवासी श्रमिकों को स्वरोजगार हेतु मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आर.एल. राऊत ने प्रषिक्षणार्थियों को बताया कि मषरूम का उत्पादन वैज्ञानिक पद्धति अनुसार किया जाए तो आय एवं स्वरोजगार का एक अच्छा साधन हो सकता हैं। डॉ. राऊत ने बताया कि मषरूम की 2000 के करीब प्रजातियां पाई जाती हैं।
विष्व में 2-3 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष की तुलना में हमारे देष में मात्र 40-50 ग्राम ही खपत होता हैं। साथ ही बताया कि मषरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में शुरू किया जा सकता हैं। केन्द्र के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एस.आर. धुवारे ने मषरूम उत्पादन हेतु भूसा का फार्मलिन एवं कार्बेन्डाजिम पावडर के साथ उपचार की विधि एवं मषरूम बेड बनाने की विधि को प्रायोगिक रूप से करके दिखलाया।
कृषि वैज्ञानिक श्री धर्मेन्द्र अगाषे ने बताया कि मषरूम स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं। क्योकि इसमें प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं। कार्यक्रम सहायक श्री सुखलाल वास्केल ने बताया की मषरूम में कैंसर प्रतिरोधी क्षमता, खून में कोलेस्ट्रॉल कम करने की क्षमता, ब्लड शुगर कम करने की क्षमता, उच्च रक्तचाप कम करने का गुण भी पाया जाता हैं। कार्यक्रम ग्राम के प्रगतिषील जैविक कृषक श्री जियालाल राहंगडाले, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री हाथीमारे, ग्रामीण विस्तार अधिकारी श्री आर.के. बिसेन भी उपस्थित रहें ा।