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आवासीय प्रशिक्षण में पौध संरक्षण की जानकारी

फार्म स्कूल के समीप ग्रामों में प्रशिक्षण बड़वानी। कृषकों को उनके आवास पर कृषि संबंधी जानकारी दी जावे इसी उद्देश्य से के.जे. एजुकेशन सोसायटी भोपाल ने जिले के तीनों विकासखंड सेंधवा, निवाली, पानसेमल में आवासीय स्कूल प्रारंभ किये। म.प्र. शासन

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कृषकों को जैविक खेती प्रशिक्षण

नैगवां (कटनी) (रामसुख दुबे) । जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिये कटनी विकासखंड के ग्राम, जुहला, मतवार पड़रिया, घटखिरवा, पिलौंजी, विपरहटा एवं वि.खंड-ढीमरखेड़ा के ग्राम-मुरवारी, टिकरिया, अंतर्वेद आदि के कृषकों के दलों को जैविक कृषि पाठशाला भवन ग्राम-नैगवां में

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समस्या – समाधान

समस्या– मैं गेंदे की खेती करना चाहता हूं क्या इसे लगाने का समय है अन्य जानकारी भी दें। – दीपक यादव, होशंगाबाद समाधान- गेंदा वर्ष में तीन बार लगाया जा सकता है। वर्षाकालीन फसल हेतु नर्सरी जून में, शीतकालीन फसल

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मानसून का मिजाज

कृषि को मानसून की दासी कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। कुछ दशक पहले मानसून 15 जून तक दरवाजा खटखटा देता था। कृषकों के खेत तैयार रहते थे बतर आते ही जून अंत तक खरीफ फसलों की बुआई पूरी

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तालाब यानि वरुण देवता का प्रसाद

महेशपुरराज से मेरा पुराना संबंध है। झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित यह गांव पाकुड जिला (संथाल परगना) का एक पुराना प्रखंड है। सड़क मार्ग के अलावा पटना-हावड़ा लूप रेल लाइन पर बीरभूमि (पश्चिम बंगाल) के मुरारई स्टेशन से 10

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तकनीक अपनाएं, खेती की लागत घटाएं

इन सब कारणों की वजह से किसान के पास कम संसाधन होते हुए भी अर्थात् किसान सामथ्र्यहीन होते हुए भी, अनावश्यक रूप से उगे हुए खरपतवारों के नियंत्रण के लिए मजदूर या खरपतवारनाशी का अनावश्यक प्रयोग, पानी के लिए बिजली

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खेतों में जमा पानी बाहर निकालें किसान भाई

किसान भाईयों विगत दिनों हुई तेज बारिश से सोयाबीन के जिन खेतों में पानी जमा है उन खेतों की सोयाबीन फसल में नुकसान का अंदेशा हो गया है। यदि 24 घंटे से ज्यादा समय तक खेतों में पानी भरा रहेगा

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फन्दा प्रक्षेत्र बनेगा बड़ा बीज अनुसंधान केन्द्र : श्री बिसेन

भोपाल। फन्दा कृषि प्रक्षेत्र प्रदेश का बड़ा बीज अनुसंधान केन्द्र बनेगा। इसमें अधिक उत्पादन वाली किस्में विकसित कर किसानों को विक्रय की जायेंगी। मौसम की बदलती हुई परिस्थिति को देखते हुए बीजों की प्रजाति विकसित की जायेगी। प्रदेश के किसान-कल्याण

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खरीफ और चुनौतियां

भारतीय कृषि मानसून की दासी है उसके बुने तानों-बानों पर ही उसे चलना है जैसा उसका बजाना वैसा ही कृषि को गाना है यह बात सर्वविदित है। वर्ष 2015 का मानसून आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा।

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फास्फोजिप्सम से बढ़ेगा तिलहनी फसलों का उत्पादन

सोयाबीन मध्यप्रदेश में सोयाबीन का क्षेत्रफल पूरे देश के क्षेत्र का 80 प्रतिशत है तथा उत्पादकता 5 दशक से केवल 1 टन प्रति हैक्टेयर के आसपास ही रहती है। उत्पादन में स्थिरता का एक प्रमुख कारण प्रदेश में लगातार सोयाबीन-गेहूं

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