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समस्या – समाधान

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समस्या– मैं गेंदे की खेती करना चाहता हूं क्या इसे लगाने का समय है अन्य जानकारी भी दें।
– दीपक यादव, होशंगाबाद

समाधान- गेंदा वर्ष में तीन बार लगाया जा सकता है। वर्षाकालीन फसल हेतु नर्सरी जून में, शीतकालीन फसल हेतु मध्य सितंबर में और जायद में जनवरी-फरवरी में नर्सरी डाली जा सकती है। आप निम्न प्रकार से गेंदा की सफल खेती कर सकते हैं।
1. खेत की तैयारी किसी भी अन्य फसल की तरह ही करें।
2. गोबर खाद 200-300 क्विंटल/हे. की दर से डालें।
3. एक हेक्टर में रोपाई हेतु 500 ग्राम बीज सामान्य किस्मों का तथा 250 ग्राम बीज हाईब्रिड किस्म का पर्याप्त होगा।
4. एक माह की रोप मुख्य खेत में रोपी जा सकती है। रोपाई यथासम्भव शाम के समय ही करें।
5. अफ्रीकन किस्मों की रोपाई पौध से पौध 30 से.मी. तथा कतार से कतार 45 से.मी. की दूरी पर करें।
6. 260 किलो यूरिया, 375 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 150 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश/हे. की दर से डालें।
7. अफ्रीकन तथा फ्रेन्च की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं चयन करके लगाये।
8. रोपाई के 30-35 दिनों बाद पौधों के ऊपरी भाग को काटें ताकि अधिक शाखायें प्राप्त हो सकें और अधिक फूल खिल सकें।
9. फूलों को नोचकर नहीं निकालें बल्कि सावधानी से तोड़ें।
समस्या – गन्ने की फसल में तना छेदक का प्रकोप देखा गया है कृपया नियंत्रण के उपाय बतलायें तथा रखरखाव कैसे करें?
– सरजू प्रसाद, राय बरेली
समाधान –
गन्ने की फसल में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होगा। मानसून के आने में देरी की वजह से पानी की कमी से नुकसान संभव है। सिंचाई के साथ-साथ निंदाई/गुड़ाई तथा बंधाई भी जरूरी कार्य होंगे निंदाई करने से खरपतवारों द्वारा अवशोषित होने वाले पोषक तत्व पर रोक लग जायेगी जिससे अच्छी बढ़वार सम्भव है। गुड़ाई करने से हवा के संचार पर पौधों में पकड़ बनती रहती है बंधाई करने से पौधों को गिरने से बचाया जा सकता है। तना छेदक पर रोकथाम जरूरी है इसकी रोकथाम के लिये फोरेट 10 जी की 30 किलो मात्रा/हे. की दर से खेत में डालें अथवा 33 किलो कार्बोफ्यूरान 3 जी/हे. की दर से खेत में भुरक के हल्की सिंचाई कर दें ताकि दवा खेत में अच्छी तरह फैल जाये तथा कीट प्रकोप पर रोक लग सके।

समस्या- मैंने गन्ने की जड़ी फसल रखी है क्या-क्या करने से अच्छा उत्पादन मिल सकेगा। – गुलाब चन्द शर्मा, पिपरिया
समाधान –
गन्ने की जड़ी का अपना अलग महत्व होता है। गन्ना लगाने का व्यय, बीज का व्यय तथा खेत की तैयारी का खर्च बच जाता है यदि इस जड़ी फसल का रखरखाव की तकनीकी का पालन किया जाये तो अच्छा लाभ कमाया जा सकता है इसके लिये आपको निम्न उपाय करना होगा।
1. तेज धार वाले कत्ते से यथासम्भव जमीन की सतह से गन्ना काटा जाये ठूंठ नहीं रहने दिया जाये।
2. खाली स्थान का भराव किया जाये।
3. सूखी पत्तियों को जलायें नहीं बल्कि उसका लाभ लें।
4. मेढ़ों की बगल से हल चलाकर पुरानी जड़ों को तोड़ें ताकि नई जडें जल्दी से आने लगे।
5. जड़ी को मुख्य फसल के हिसाब से उर्वरक प्रदान करे अर्थात् 650 किलो यूरिया, 500 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश/हे. की दर से दिया जाये।
6. सिंचाई व्यवस्था पुख्ता करें तथा पौध संरक्षण उपायों का पालन करें।
समस्या- सोयाबीन की बुआई कब तक की जानी चाहिये क्या जो पानी अब तक गिरा है बुआई के लिये पर्याप्त है।
– जसवंत सिंह, होशंगाबाद
समाधान-
सामान्य वर्षा की स्थिति में सोयाबीन की बुआई अधिक से अधिक 10 जुलाई तक कर दी जाना चाहिये इस वर्षा का रुख कहीं कम कहीं ज्यादा होकर असामान्य स्थिति बनती जा रही है। आपके क्षेत्र में जितना पानी गिरा है बुआई के लिये पर्याप्त है। इस कारण अधिकांश बुआई की जा चुकी होगी। वैसे सामान्य रूप से अनुसंधान की यह मान्यता है कि अच्छे अंकुरण के लिये कम से कम 100 मि.मी. पानी गिरने के बाद ही बुआई बतर आने पर की जाना चाहिये परंतु इस वर्ष तो मानसून के बारे में सारी भविष्यवाणी फीकी पड़ चुकी है। आषाढ़ सूना आधा करीब सावन अल्पवर्षा वाला हम सबके सामने है। बुआई उपरांत हल्के पानी के झल्ले फसल की बढ़वार के लिये पर्याप्त होंगे समझें ड्रिप सिंचाई प्रकृति को भी भा गई है। स्थिति अनुसार धीरे-धीरे रकबा बढ़े फसल बढ़वार करते रहें यही कामना है। फसल में खरपतवारों का उन्मूलन करके नमी तथा पोषक तत्वों के बंटवारे पर रोक लगाकर उसे फसल को उपलब्ध होने दें।

समस्या – मैं पपीता लगाना चाहता हूं उचित समय क्या है अन्य तकनीकी बतायें।
– रामाधार सिंह,बिलासपुर
समाधान-
पपीता लगाने का उचित समय दिसम्बर – जनवरी तथा मई-जून है। अच्छी पौध मिल जाये तो साल भर पपीता लगाया जा सकता है। यह 18 माह की फसल होती है नर्सरी 2 माह, पुष्पन 4 माह, फलन 3 माह। पपेन के लिये 9 से 18 माह तक संभव है।
1. जातियों में हनीड्यू, बड़वानी लाल, बड़वानी पीला कोयम्बटूर, नम्बर 1 से 6, पूसा नन्हा, पूसा डेलेशियस, पूसा ज्वाईन्ट पूसा मेजेस्टी, हाईब्रिड में ताईवान, रेड इंडियन इत्यादि।
2. बीज की मात्रा 200 से 400 ग्राम/हेक्टर संकर किस्मों का 100 ग्राम/हे.
3. एक हेक्टर में 6000 से 7680 पौध लगाये जा सकते है।
4. 45&45&45 से.मी. के गड्ढे 1.25&1.25 मीटर दूरी पर कराये।
5. 15-20 किलो गोबर खाद, 1 किलो नीम की खली, 1 किलो बोनमिल प्रत्येक गड्ढे में भरें।

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