वोल्फिया एक संपूर्ण मत्स्य आहार
लेखक: अजय कुमार, निर्देश, नितेश कुमार यादव, मनीष कुमार, मात्स्यिकी महाविद्यालय,केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (इंफाल), त्रिपुरा, रोहित कुमार, आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, पंचमार्ग, ऑफ यारी रोड मुंबई, महाराष्ट्र
13 फ़रवरी 2025, भोपाल: वोल्फिया एक संपूर्ण मत्स्य आहार – वोल्फिया एक जलीय पौधा है। इसे सबसे छोटा पुष्प वाला पौधा कहा जाता है। जलमेखला (वोल्फिया) प्राय: शांत अथवा स्थित जल राशि में पाया जाता है, जैसे झील, छोटे पोखर, पुराने जलाशय आदि। मत्स्य कृषकों को मत्स्य पालन का सर्वाधिक हिस्सा मत्स्य आहार पर खर्च करना पड़ता है। ऐसे में जलमेखला एक अच्छा मत्स्य आहार के रूप में वरदान साबित हो रहा है क्योंकि जलमेखला के उत्पादन में व्यावसायिक आहार के अपेक्षा मात्र 10 प्रतिशत से भी कम लागत लगाना पड़ता है। वोल्फिया पानी में मौजूद विषैले तत्वों को खत्म करता है और पानी को साफ करता है। साथ ही साथ मानव प्रयोग में संसाधित वोल्फिया प्रोटीन तथा विटामिन बी-12 (साइनोकोबालामिन) का उत्तम प्रदाता है। इसे जलीय सोया कहा जाता है।
प्रजातियां
मछलियों के आहार के रूप में प्रयोग की जाने वाली बोल्फिया की मुख्यत: दो प्रजातियां हैं।
- वोल्फिया अर्हिजा
- वोल्फिया ग्लोबोस
क्योंकि इन प्रजातियों में प्रोटीन की उच्च मात्रा (40 से 45 प्रतिशत) पाई जाती है। यह प्रजातियां सुपाच्य तथा इनका उत्पादन दर तेज होताहै।
अन्य महत्वपूर्ण लाभ
- एंटीऑक्सीडेंट-इसमें पॉलीफेनॉल और करॉटिनाइड्स पाए जाते हैं।
- फाइटो केमिकल्स-इसमें फ्लेवोनॉयड्स और सेपोनिन पाया जाता है।
- क्लोरोफिल-यह मछलियों के लिए डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है।
वोल्फिया की उत्पादन प्रक्रिया
उत्पादक स्थल का चुनाव
वल्फिया उत्पादन के लिए सीमेंट के टैंक, प्लास्टिक के टैंक व कच्चे तालाब का उपयोग किया जा सकता है।
पोषक तत्व
जल में पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का उपयोग किया जाता है। उत्पादन के लिए कृषि अपशिष्ट जल का उपयोग किया जा सकता है।
बोल्फिया की बुवाई
पहले से बोये गए बीजों को निकालकर 100 से 200 ग्राम (बोल्फिया) प्रति वर्गमीटर के अनुसार जल राशि में जल की सतह पर फैलाएं।
देखभाल
जल की गुणवत्ता की जांच करते रहें। पीएच की माप करें तथा गंदगी या शैवाल न बनने दें।
कटाई
यह 5 से 6 दिनों में तैयार हो जाती है इसे नेट या छलनी की मदद से छानकर एकत्र किया जा सकता है।कटाई के बाद इसे धुलकर तुरंत उपयोग के लिए तैयार किया जा सकता है। इसे सुखाकर पैक किया जा सकता है तथा पाउडर भी बनाया जा सकता है।
कुल उत्पादन
10 से 15 टन ताजा बायोमास प्रति हेक्टेयर।
वोल्फिया उत्पादन के लिए शर्तें
जल की गुणवत्ता
साफ तथा स्थिर पानी की आवश्यकता होती है। पीएच का स्तर 6.5 से 8.0 होना चाहिए। नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश की उपयुक्त मात्रा होनी चाहिए। पानी में ऑक्सीजन 5 से 7 पीपीएम होना चाहिए।
तापमान
तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। ठंडे या अत्यधिक गर्म वातावरण में उत्पादन धीमा हो सकता है।
प्रकाश
वोल्फिया को मध्यम से तेज धूप की आवश्यकता (5 से 7 घंटे प्रतिदिन) होती है। पाया गया है कि यदि प्राकृतिक प्रकाश उपलब्ध नहीं है, तो कृत्रिम प्रकाश का उपयोग किया जा सकता है । छाया में वोल्फिया का उत्पादन धीमा हो जाता है।
जलस्तर
15 से 20 सेमी गहराई वाला पानी पर्याप्त माना जाता है। गहरेपानी में उत्पादन घट जाता है।
उपयोग
वोल्फिया का उपयोग मत्स्य आहार में तो है ही साथ ही साथ इसका प्रयोग स्वास्थ्य पेय, प्रोटीन सप्लीमेंट के रूप में भी किया जाता है। यह शाकाहारी मछलियों का उत्तम आहार है। ग्रास कार्प, रोहू, कतला तिलापिया, कैटफिश आदि मछलियां इससे चाव से खाती है।
वोल्फिया के विभिन्न उपयोग
- मानव पोषण
- पशु आहार
- जल शोधन
- औषधीय उपयोग
- पर्यावरण संरक्षण
- कृषि उपयोग
- शोध कार्य
- खाद्य सुरक्षा समाधान
- जैव ईंधन
वोल्फिया (जलमेखला) अपने उच्च पोषण मूल्य, तेज उत्पादन क्षमता और पर्यावरण अनुकूल विशेषताओं के कारण एक संपूर्ण और टिकाऊ मत्स्य आहार के रूप में उभर रहा है। वोल्फिया का उत्पादन कम लागत, कम संसाधन में संभव है। जिसमें मत्स्य पालन उद्योग के लिए किफायती और व्यवहार्य विकल्प बनता है। यह न केवल जल प्रदूषण को कम करता है, बल्कि जल राशि में पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखते हुए पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देता है। वोल्फिया के उपयोग से मत्स्य आहार के क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, लागत प्रभावशीलता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव संभव है। इसके बढ़ते उत्पादन और व्यापक उपयोग इसे टिकाऊ मत्स्य पालन के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं। अत: वोल्फिया को एक संपूर्ण मत्स्य आहार के रूप में अपनाने से आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ के साथ वैश्विक मत्स्य पालन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है।
वोल्फिया में पाए जाने वाले पोषक तत्व तथा उनकी मात्रा (प्रति 100 ग्राम शुष्क वजन) | ||||
क्र. | पोषक तत्व | मात्रा | प्रभावी बिंदु | |
1 | प्रोटीन | 40-45 प्रतिशत | ल्यूसिन आइसोलियूसिन और लाइसीन की अधिक मौजूदगी होती है। | |
2 | कार्बोहाइड्रेट्स | 25-30 प्रतिशत | ||
3 | वसा (लिपिड) | 5-8 प्रतिशत | ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड की अधिकता होती है। | |
4 | विटामिन | 200-300 मिलीग्राम | विटामिन बी1 (थायमीन) 0.5 -1.0 मिलीग्राम विटामिन बी 2 (राइबोफ्लेविन) 1.0 – 1.5 मिलीग्राम | |
5 | कैल्शियम | 150-200 मि.ग्रा. | ||
6 | फास्फोरस | 100-150 मि.ग्रा. | ||
7 | पोटैशियम | 200-300 मि.ग्रा. | ||
8 | आयरन | 5-7 मि.ग्रा. | ||
9 | मैग्नीशियम | 50-60 मि.ग्रा. | ||
10 | फाइबर | 8-10 प्रतिशत | पाचन में सहयोगी की भूमिका |
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