Animal Husbandry (पशुपालन)

पशुओं में आधुनिक तकनीक से अब होगा सिर्फ बछिया का जन्म

Share

10 सितम्बर 2021, रतलाम ।  पशुओं में आधुनिक तकनीक से अब होगा सिर्फ बछिया का जन्म– मध्य प्रदेश  मे दुग्ध उत्पादन बढाने के लिए सरकार कृत्रिम गर्भाधान की ऐसी तकनीक लाई है जिससे गाय तथा भैंसों में सिर्फ बछिया या पाडियों का जन्म होगा। इससे मादा पशुओं में वृद्धि के कारण दुग्ध में बढोत्तरी होगी। पशु पालकों की आमदनी दोगुना करने का जो लक्ष्य सरकार लेकर चल रही है वह पशुपालन के जरिए ही पूरा हो सकता है। फिलहाल कृत्रिम गर्भाधान एवं प्राकृतिक गर्भाधान से कई बार बछडे पैदा हो जाते हैं।

उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवा डा. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि म.प्र. पशुपालन विभाग द्वारा भी नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक सेक्स स़ाटेर्ड सीमन लाई गई है। इस आधुनिक तकनीक का उपयोग  विभाग द्वारा जिले में भी किया जा रहा है। पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ व सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी द्वारा अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सालय, औषधालय व कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र व उस क्षेत्र के उन्नत किसानों के यहां घर-घर जाकर भी सेक्स साटेर्ड सीमन से तकनीक से भी भी एआई की रही है।

कितना शुल्क है  

सेक्स साटेर्ड सीमन का शुल्क सामान्य व पिछडा वर्ग के पशुपालकों के लिए 450 रुपए एवं अनु जाति व जनजाति वर्ग के पशुपालकों के लिए 400 रुपए है। सेक्स साटेर्ड सीमन से जितने भी पशुओं में एआई की जाएगी, उस पशु व उससे उत्पन्न संतति का युआईडी टेग चिन्हित कर जानकारी इनार्फ साफ्टवेयर पर अपलोड की जाएगी। सेक्स साटेर्ड का उत्पादन एवं भण्डारण केन्द्रीय वीर्य संस्थान भदभदा भोपाल पर किया गया है। सेक्स साटेर्ड सीमन की नवीन तकनीक से सरल सुधार कार्यक्रम में तेजी लाई जा सके। गाय व भैंस के नस्ल सुधार के लिए जो सीमन उत्पादन होता है, उससे 90 प्रतिशत बछिया व पाडिया पैदा होगी।

तकनीक का लाभ

इस तकनीक का यह लाभ है कि आज दुग्ध उत्पादन के लिए मादा वर्ग की आवश्यकता है जो कि वैज्ञानिक तकनीक से पूरी होगी तथा उत्पादन व दुधारु पशुओं की संख्या में वृद्धि होने से अभी जो निराश्रित गाय को छोड देने की आदत में कमी आएगी तथा दुग्ध अच्छा हुआ तो हर कोई गाय व भैंस पालन में रुचि लेगा।

रतलाम जिले के पशुपालन विभाग द्वारा इस तकनीक का उपयोग जिले के 200 पशुओं में इस तकनीक के माध्यम से एआई की जा चुकी है तथा इनार्फ साफ्टवेयर पर युआईडी को चिन्हित कर जानकारी अपलोड की जा चुकी है। जिले के सभी उन्नत व प्रगतिशील पशु पालक इस तकनीक के माध्यम से अपने पशुओं में एआई करवाना चाहते हैं, वे अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय, पशु औषधाल से सम्पर्क कर इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *