Animal Husbandry (पशुपालन)

घोड़े का रोग ग्लैंडर्स

Share
  • डॉ. अंकुश किरण निरंजन (सहायक प्राध्यापक) , डॉ. स. दि. औदार्य
    डॉ. नी. श्रीवास्तव (सहयोगी प्राध्यापक)

14 मई 2022,  घोड़े का रोग ग्लैंडर्स – पशु चिकित्सा सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान वि.वि., कुठुलिया, रीवा अश्व प्रजाति के पशुओं में ‘टिटेनस’ और ‘स्ट्रैंगल्स’ के बाद ग्लैंडर्स रोग का प्रादुर्भाव सबसे ज्यादा होता है। यह एक जीवाणु जनित रोग है जो कि ‘बर्कहोल्डेरिया मैलियाई’ नामक जीवाणु से होती है। यह रोग प्रमुख रूप से घोड़ों को प्रभावित करता हैं, हालांकि गधे और खच्चरों को भी यह जीवाणु संक्रमित कर सकता है। संक्रमित चारे और संक्रमित पानी से यह बीमारी अन्य घोड़ों में फैलती है। यह एक पशुजन्य संक्रमण है और संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। इस रोग में प्रभावित अश्व की त्वचा पर घाव या फोड़ा हो जाता है साथ ही यह फोड़े पैरों पर भी पाएं जाते है। प्रभावित अश्वों के ऊपरी श्वसन तंत्र और फेफड़ों में भी फोड़े या घाव हो जाते हैं।

नाक से और त्वचा पर हुए फोड़ों से निकलने वाले संक्रमित बहाव से ग्लैंडर्स बीमारी फ़ैलाने वाला जीवाणु ‘बर्कहोल्डेरिया मैलियाई’ दूसरे जानवरों को नुकसान पहुँचा सकता है । यह बीमारी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और ऐसे प्रदेश जो मध्य प्रदेश से सटे हुए है, के घोड़ों में पायी जाती है। मध्य प्रदेश के घोड़ों में भी यह बीमारी पायी गयी है, अत: घोड़ों को जब दूसरे प्रदेशों से खरीदकर मध्य प्रदेश लाया जाता है तब उन घोड़ों में यह बीमारी न हो इसकी जाँच-पड़ताल कर लें । इस रोग के संकेत और लक्षण आप अपने घोड़े/या जानवरों में (जैसे की गधे व खच्चर) में जैसे ही देखते हैं, तो कृपया अपने आस-पास के पशु चिकित्सा सुविधा केंद्र पर संपर्क करें। अगर नैदानिक जांच में आपका जानवर संक्रमित पाया जाता है तो उसे नष्ट करना ही उचित होता है। भारत सरकार घोड़े के विनिष्टीकरण के लिए क्षतिपूर्ति शुल्क वहन करती है। ‘संक्रामक और संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण’ के तत्वाधान में पशु अधिनियम द्वारा 25000 रुपये तक की क्षतिपूर्ति सम्बंधित व्यक्ति को दी जाती है ।

‘बर्क होल्डेरिया मैलियाई’ नामक जीवाणु की मानवों में संक्रामकता के कारण, भारत में ग्लैंडर्स और फार्सी अधिनियम 1899 को अधिनियमित किया गया था। मध्य प्रदेश राज्य में ग्लैंडर्स के मानवीय मामले न के बराबर है। ग्लैंडर्स के संदिग्ध मामलों को सम्बंधित अधिकारियों को बताना अतिआवश्यक है। ग्लैंडर्स रोग से प्रभावित जानवरों की जांच करने और पुष्टि करने के बाद सकारात्मक जानवरों को नष्ट किया जाता है तथा बीमारी को मनुष्यों और जानवरों में फैलने से बचाने के लिए इन जानवरों को दफना दिया जाता है।

गेहूं में खरपतवार प्रबंधन समस्यायें एवं निदान

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *