हमारे यहां बौछारी और बूंद – बूंद सिंचाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाए तो न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि कृषि की उन्नत तकनीक भी विकसित की जा सकती है। असमतल भूमि और ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी बौछारी प्रणाली से खेती की जा सकती है। इस तकनीक से श्रम की भी बचत होती है। बौछारों से पानी सीधे पौधों पर ही गिरता है। ऐसे में खरपतवार पर नियंत्रण रहता है। बीमारियों और कीड़े-मकोड़ों की संभावनाएं कम रहती हैं। कृषि में इस तकनीक के उपयोग से फसल पैदावार एवं गुणवत्ता में वृद्धि के साथ उत्पादन लागत में भी कमी आएगी।
बौछारी सिंचाई प्रणाली के मुख्य घटक:
बौछारी सिंचाई पद्धति में मुख्य भाग पम्प, मुख्य नली, बगल की नली, पानी उठाने वाली नली एवं पानी छिड़काव वाला फुहारा होता है।
बौछारी या स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई में पानी को छिड़काव के रूप में दिया जाता है। जिससे पानी पौधों पर वर्षा की बूंदों जैसी पड़ती हैं। पानी की बचत और उत्पादन की अधिक पैदावार के लिहाजा से बौछारी सिंचाई प्रणाली अति उपयोगी मानी गई है। किसानों में सूक्ष्म सिंचाई के प्रति काफी उत्साह देखा गया है। इस सिंचाई तकनीक से कई फायदे हैं। |
बौछारी सिंचाई प्रणाली की क्रिया विधि:
बौछारी सिंचाई में नली में पानी दबाव के साथ पम्प द्वारा भेजा जाता है जिससे फसल पर फुहारा द्वारा छिड़काव होता है। मुख्य नली बगल की नलियों से जुड़ी होती है। बगल की नलियों में पानी उठाने वाली नली जुड़ी होती है। पानी उठाने वाली नली जिसे राइजर पाइप कहते हैं, इसकी लम्बाई फसल की लम्बाई पर निर्भर करती है। क्योंकि फसल की ऊंचाई जितनी रहती है राइजर पाइप उससे ऊंचा हमेशा रखना पड़ता है। इसे सामान्यत: फसल की अधिकतम लम्बाई के बराबर होना चाहिए। पानी छिड़काव वाले हेड घूमने वाले होते हैं जिन्हें पानी उठाने वाले पाइप से लगा दिया जाता है। पानी छिड़कने वाले यंत्र भूमि के पूरे क्षेत्रफल पर अर्थात् फसल के ऊपर पानी छिड़कते हैं। दबाव के कारण पानी काफी दूर तक छिड़क जाता है। जिससे सिंचाई होता है।
रखरखाव एवं सावधानियाँ:
बौछारी सिंचाई के प्रयोग के समय एवं प्रयोग के बाद परीक्षण कर लें और कुछ मुख्य सावधानियाँ रखने से सेट अच्छी तरह चलता है। जैसे – प्रयोग होने वाला सिंचाई जल स्वच्छ तथा बालू एवं अत्यधिक मात्रा घुलनशील तत्वों से युक्त नहीं होना चाहिए तथा उर्वरकों, फफूंदी/ खरपतवारनाशी आदि दवाओं के प्रयोग के पश्चात सम्पूर्ण प्रणाली को स्वच्छ पानी से सफाई कर लें प्लास्टिक वाशरों को आवश्यकतानुसार निरीक्षण करते रहें और बदलते रहना चाहिए। रबर सील को साफ रखें तथा प्रयोग के बाद अन्य फिटिंग भागों को अलग कर साफ करने के उपरान्त शुष्क स्थान पर भण्डारित करें।
बौछारी सिंचाई से लाभ:
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- दीपक चौहान
- डॉ. मृगेन्द्र सिंह
- कुमार सोनी
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