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गैर जरूरी पौधे

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रोगिंग का अर्थ विरुपी पौधों की पहचान कर उन्हें बीज फसल से निकालकर अलग करना है। भिन्न दिखने वाले उसी फसल के अन्य प्रजाति के पौधे या रूप आकार में समान दिखने वाले अन्य फसल के पौधे ‘आफ टाइपÓ पौधे कहलाते हैं। इनका बीज मुख्य फसल के साथ मिलकर मिश्रण पैदा करता है। जिससे बीज की गुणवत्ता कम होती है, इन्हीं पौधों को वानस्पतिक वृद्धि, पुष्प या परिपक्वता की अवधि में पहचान कर उखाडऩे या अलग करने की प्रक्रिया ही ‘रोगिंगÓ कहलाती है।
उद्देश्य
रोगिंग (अवांछित पौधों को निकालना) फसलों की तीन अवस्थाओं में की जाती है, जिसमें अवांछित पौधों को निकालना आसान होता है-
– फूल आने से पहले (ऊंचे-नीचे पौधे निकालकर)  – फूल के समय (फूल का रंग, पत्तियों का आकार देखकर) – फसल पकने के समय, लेकिन कटाई के पहले (बालियां, फलियों, घेंटियों का रंग देखकर)
अनचाहे पौधों को ऐसे निकालें
गेहूं में
यह कार्य फरवरी माह में गेहूं की बालियों के निकलते समय कर लें। ऐसे पौधे जो अन्य किस्म के हों, खेत से बाहर निकाल दें। अगर छंटाई वाले पौधे ज्यादा हों तो किसानों को सलाह है कि गेहूं के खेतों में दो बार अनचाहे पौधों का अवश्य निकालें, विशेषकर उन खेतों में जहां बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया गया है। (पहली बार फूल अवस्था में दूसरी बार पकने परं) कंडवाग्रस्त बालियों को लिफाफे से ढंककर मिट्टी द्वारा लिफाफे के निचले हिस्से को बंद कर देना चाहिए तथा सभी रोगग्रस्त बालियों के पूरे पौधों को जड़ सहित निकालकर बोरों में डलवा दें।

अरहर में
अरहर में उकठा से प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली पड़कर गिर जाती हैं, टहनियां सूख कर गिर जाती हैं, जड़ें काली हो जाती हैं तथा शाखाएं काली पड़ जाती हैं। जीवाणुज पर्ण चित्तियों पर छोटे-छोटे गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जो फैलते जाते हैं। अंतत: पत्तियां गिर जाती हैं तथा तना कैंकर बन जाते हैं। पीला मोजेक विषाणु रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बनते हैं और बाद में वे गिर जाते हैं पत्तियां छोटी रह जाती हैं और पौधों में फूल बहुत कम आते हैं।

सरसों में

सरसों की फसल में समय-समय पर आवश्यकतानुसार अंगमारी रोग ग्रस्त पौधों, सत्यानाशी नामक खरपतवार के पौधों और भिन्न पौधों को निकालते रहें।
चने में
चने की बीज फसल से अनचाहे पौधों, जैसे फसल के भिन्न पौधे व रोगग्रस्त पौधों को एक बार फूल अवस्था पर, दूसरी बार परिपक्व अवस्था में भिन्न पौधों को फूल के रंग व आकार तथा पौधों में शाखाओं के निकलने के आधार पर तथा परिपक्व अवस्था में इन गुणों के अतिरिक्त फलियों के गुणों के आधार पर पहचाना जा सकता है।
मटर में
मटर की फसल से अनचाहे पौधों को पहली बार शुरुआत में इसका मुख्य उद्देश्य मोजेक में पौधों को निकालना है। मोजेक ग्रस्त पौधों की पत्तियां चित्तीदार हो जाती हैं तथा कुछ पौधों की वृद्धि अनचाहे हो जाती है। दूसरी बार अनचाहे पौधों को पुष्पन अवस्था के समय निकालना चाहिए। तीसरी बार अथवा अंतिम बार फसल की परिपक्व अवस्था के समय अनचाहे पौधों को निकालें।

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