Success Story: MP की उषा ने खेती से लिखी तरक्की की कहानी, अब सालाना कमा रहीं 6 लाख रुपए
07 अगस्त 2025, भोपाल: Success Story: MP की उषा ने खेती से लिखी तरक्की की कहानी, अब सालाना कमा रहीं 6 लाख रुपए – उषा पहले सिर्फ चौका-चूल्हे तक सीमित थीं और उनके पति खेतीहर मज़दूर के रूप में काम करते थे। दोनों मिलकर सालभर में मुश्किल से 60 हजार रुपये कमा पाते थे। इतनी आमदनी से परिवार चलाना बहुत मुश्किल होता था। लेकिन अब उषा हर साल 6 लाख रुपए से भी ज्यादा कमा रही हैं। ये बदलाव उनके जीवन में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से आया है।
यह प्रेरणादायक कहानी है मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के भितरवार विकासखंड के ग्राम निकोड़ी की रहने वाली महिला किसान उषा रावत और उनके पति महेश रावत की है। उषा बताती हैं कि उनके परिवार में खुशहाली लाने में ‘समाधि बाबा स्व-सहायता समूह’ से जुड़ना एक बड़ा कदम रहा।
नर्सरी से शुरुआत, फिर डेयरी की ओर बढ़ाया कदम
समूह से जुड़ने के बाद उषा ने नर्सरी प्रबंधन का प्रशिक्षण लिया और समूह से 50 हजार रुपये का लोन लेकर नर्सरी का काम शुरू किया। इस नर्सरी से उन्हें अच्छी आमदनी हुई जिससे उन्होंने परिवार का खर्च चलाया और लोन भी चुका दिया।
लोन चुकाने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने कुटुंब संकुल स्तरीय संगठन से 9 बार में साढ़े 7 लाख रुपए का लोन लेकर व्यवसाय को आगे बढ़ाया। नर्सरी की सफलता से प्रेरित होकर उन्होंने डेयरी व्यवसाय भी शुरू किया। शुरुआत में पांच भैंसें लीं और अब उनके पास कुल 12 दुधारू पशु हैं। पशुओं के चारे के लिए वे अपने खेत में नेपियर घास भी उगाती हैं।
अब ट्रैक्टर मालिक हैं पति, बेटी पढ़ रही कॉलेज में
अब उषा की मासिक आमदनी 40 से 50 हजार रुपए हो गई है। उन्होंने आमदनी बढ़ने पर अपने पति को मजदूरी से मुक्त कर 45 HP का सोनालिका ट्रैक्टर खरीदकर दिया, जिससे अब वे खुद का काम कर रहे हैं। उषा कहती हैं कि बेटी को बेहतर शिक्षा देने का सपना भी अब सच हो रहा है, क्योंकि उनकी बेटी अब कॉलेज में पढ़ रही है।
सरकारी योजना से सपने हुए पूरे
उषा का कहना है कि आजीविका मिशन से मिली मदद ने उनके मुरझाए सपनों को हरा-भरा कर दिया है। नर्सरी और डेयरी से उन्हें जो आमदनी मिल रही है, उससे उनका जीवन पूरी तरह बदल चुका है। यह कहानी न केवल एक महिला की सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सरकारी योजनाएं अगर सही तरीके से लागू हों तो गांव की महिलाएं भी आत्मनिर्भर और सफल उद्यमी बन सकती हैं।
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