राज्य कृषि समाचार (State News)

ग्रामीण महिलाओं  को कड़कनाथ और रंगीन नस्ल के चूजे बनाएंगे ’लखपति दीदी’

20 नवंबर 2025, भोपाल: ग्रामीण महिलाओं  को कड़कनाथ और रंगीन नस्ल के चूजे बनाएंगे ’लखपति दीदी’ – जी हां ! मध्यप्रदेश की ग्रामीण महिलाओं को कड़कनाथ और देसी रंगीन नस्ल के चूजे लखपति दीदी बनाएंगे। दरअसल एमपी के सिहोर से मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा एक योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण और लखपति
दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

मिशन अंतर्गत गठित 110 महिला स्व–सहायता समूह सदस्यों को पशुपालन विभाग के अभिसरण से   बैकयार्ड पोल्ट्री योजना के तहत कड़कनाथ एवं देशी रंगीन नस्ल के चूजे वितरित किए गए, जिससे महिलाओं को स्थायी आय का स्रोत मिलने की दिशा में बड़ा अवसर प्राप्त हुआ है।

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देशी मुर्गी उच्च प्रोटीन व कम वसा के कारण बाजार में अत्यधिक मांग रखती है, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आय में कई गुना वृद्धि की संभावना है। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान  भोपाल के सहयोग से 45 महिलाओं को कड़कनाथ चूजों की पूर्ण इकाई – उच्च गुणवत्ता का मुर्गी आहार, देखरेख सामग्री तथा आगामी तीन माह तक तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक ने बताया कि जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा महिलाओं को लखपति दीदी बनाने हेतु पोल्ट्री क्लस्टर विकसित करने के निर्देश दिए गए थे। उन्हीं के मार्गदर्शन में पशुपालन विभाग के साथ अभिसरण कर महिलाओं को कड़कनाथ इकाइयाँ उपलब्ध कराई गई हैं। आजीविका मिशन का लक्ष्य है कि आने वाले समय में प्रत्येक ग्राम पंचायत में 8 से 10 लखपति दीदी तैयार की जाए, ताकि महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हों, बल्कि गांवों में स्थानीय भूमिका मॉडल भी बनें। पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के उप संचालक राजेन्द्र गौतम ने बताया कि आजीविका मिशन के अभिसरण से पिछले दो वर्षों से बैकयार्ड पोल्ट्री योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। इसके उत्कृष्ट परिणाम सामने आए हैं। महिलाएं संगठित होकर घर–आधारित स्वरोजगार स्थापित कर रही हैं। पशुपालन सखियों के मार्गदर्शन, टीकाकरण व दवाइयों की उपलब्धता से मुर्गी पालन में मृत्यु दर काफी कम हुई है और उत्पादन बढ़ा है। इसी कड़ी में 300 समूह सदस्यों को आगामी तिमाही में मुर्गी इकाइयों का वितरण किया जाएगा। एक इकाई के सही संचालन से एक महिला प्रति वर्ष 1 से 1.5 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर सकती है।

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