Advertisement8
Advertisement
राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषि सखियां प्राकृतिक खेती कर बढ़ाएंगी अपनी आय

17 सितम्बर 2025, देवास: कृषि सखियां प्राकृतिक खेती कर बढ़ाएंगी अपनी आय –  कृषि विज्ञान केंद्र, देवास में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत कृषि सखियों का  पांच  दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम श्री गोपेश पाठक, उप-संचालक (कृषि) एवं श्री राजू बड़वाया, उप-संचालक (उद्यानिकी) के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ. आर.पी.शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम में श्री एम.एल.सोलंकी, परियोजना संचालक आत्मा, श्री पंकज ठाकुर, जिला प्रबंधक (कृषि), एन.आर.एल.एम. एवं प्राकृतिक खेती के प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह,वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अन्य वैज्ञानिक गण उपस्थित थे।

श्री सोलंकी ने जानकारी दी कि जिले में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत 30 क्लस्टरों के अंतर्गत 1500 हेक्टेयर में 3750 किसानों कोचयनित किया गया है। इन किसानों को तकनीकी जानकारी प्रदान करने हेतु जिले के देवास, बागली एवं कन्नौद विकासखण्ड की 30 कृषि सखियों का भी चयन किया गया है। केंद्र प्रमुख डॉ..शर्मा ने प्राकृतिक खेती में जीवामृत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह एक प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाला तरल जैव उर्वरक है, जो कि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और फसल की  पैदावार को  बढ़ाता  है। यह सूक्ष्म जीवों से भरपूर होता है जो कि मिट्टी में पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराते  हैं । इसे मुख्य रूप से देशी गाय का गोबर, गौमूत्र,  गुड़ , बेसन एवं बरगद/पीपल के पेड़ की मिट्टी मिलकर तैयार किया जाता है। जीवामृत को सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर या छिडकाव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अतः कृषि  सखियां  इसका उपयोग कर निश्चित रूप से अपनी आय में वृद्धि कर सकती है।

Advertisement
Advertisement

डॉ. सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक ने प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त कृषि प्रणाली है, जो कि कृषि पारिस्थितिकी पर आधारित है। जिसमें फसलों, पेड़-पौधों एवं पशुधन को एकीकृत किया जाता है एवं प्रकृति में उपलब्ध संसाधनों से मिट्टी की उर्वरता एवं फसल उत्पादन को बढ़ाया जाता है। साथ ही इन्होंने बीजमृत बनाने की विधि को विस्तार से समझाते हुए बताया कि 20 लीटर पानी में 5 किलो गोबर,5 लीटर गौमूत्र, 50 ग्राम चूना एवं मुट्ठी भर मिट्टी मिलाकर तैयार किया जाता है। जिसका उपयोग बीजोपचार हेतु किया जाता है। जो कि विभिन्न रोगों से बचाव एवं बीज की अंकुरण क्षमता को  बढ़ाता  है। श्री पाठक द्वारा प्राकृतिक खेती को अपनाने एवं उसकी तकनीकी अपनाने की सलाह दी गई जिससे खेती की बढ़ती हुई लागत को कम किया जा सके। श्री बड़वाया ने सब्जियों एवं फलों में प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में जानकारी दी। साथ ही उद्यानिकी विभाग की विभिन्न योजनाओं से भी अवगत करवाया। श्रीमती नीरजा पटेल, वैज्ञानिक द्वारा  पांच दिवसीय प्रशिक्षण में होने वाली गतिविधियों  की  रूपरेखा के बारे में बताया गया। साथ ही प्रशिक्षण के पूर्व प्रशिक्षणार्थियों के ज्ञान के आकलन हेतु साक्षात्कार प्रपत्र भरवाए गए, ताकि प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण का आकलन किया जा सके।

आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement