खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) न जलाने की अपील
22 अप्रैल 2025, झाबुआ: खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) न जलाने की अपील – जिले की कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशन में उप संचालक कृषि श्री नगीन रावत द्वारा जिले के किसानों को गेहूं फसल की कटाई के बाद शेष बचे फसल अवशेष (नरवाई) को ना जलाने की अपील की गई है। नरवाई जलाना पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है। अतः इसे कतई ना जलावें। गेहूं की फसल कटाई के लिए हार्वेस्टर आदि का बहुतायत में उपयोग किया जाने लगा है। फलस्वरूप कटाई के उपरान्त खेतों में नरवाई एवं भूसा शेष बचता है। जिन्हें किसान अनुपयोगी समझकर आग लगाकर नष्ट करते है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है।
फसल अवशेष के उचित प्रबंधन – उप संचालक कृषि श्री नगीन रावत द्वारा समझाइश दी गई की फसल कटाई उपरान्त खेत में बचे अवशेषों का उचित तरीके से प्रबंधन किया जाना अत्यंत आवश्यक है। किसान भाई नरवाई नष्ट करने हेतु रोटावेटर चलाकर नरवाई को बारीक कर मिट्टी में मिलाये जिससे जैविक खाद तैयार होती है। नरवाई से भूसा तैयार कर पशु आहार के रूप में उपयोग करें। जिन क्षेत्रों में कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई की जाती है वहाँ हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर एवं रीपर-कम बाईन्डर के उपयोग करने की सलाह है। जिससे फसल को काफी नीचे से काटा जा सकता है एवं नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं होती है। खेतों की गहरी जुताई, हैप्पी सीडर तथा जीरो टिलेज सीड ड्रिल से बुआई को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन यंत्रों के उपयोग से फसल अवशेषों को भूमि में ही मिलाया जा सकेगा। जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति बढेगी तथा फसल उत्पादन भी बेहतर प्राप्त होगा।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल द्वारा धान-गेहूँ फसल अवशेषों का यथा-स्थान विघटन हेतु एक्सेल डिकम्पोजर तकनीक (एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल) विकसित की है जो फसल अवशेषों को 25-30 दिनों के अन्दर ही सड़ाकर खाद बना देती है। एक्सेल डी कंपोजर कैप्सूल की अधिक जानकारी के लिये भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल के दूरभाष नंबर 0755-2730946 पर सम्पर्क कर सकते हैं ।
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