देवास में सोयाबीन में पीला मोजेक रोग एवं कीटों के प्रबंधन के लिए सलाह दी
07 अगस्त 2025, देवास: देवास में सोयाबीन में पीला मोजेक रोग एवं कीटों के प्रबंधन के लिए सलाह दी – उप संचालक कृषि श्री गोपेश पाठक ने बताया कि जिले में खरीफ वर्ष 2025 में सोयाबीन की बोनी लगभग 03 लाख 42 हजार 590 हेक्टेयर क्षेत्र में हुई हैं। वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल में हरी अर्द्ध कुंडलक इल्ली, चक्र भृंग तना मक्खी एवं सफेद मक्खी (पीला मोजेक रोग वाहक) का प्रकोप देखा गया है।
उपसंचालक कृषि ने कीटों के प्रबंधन एवं फसलों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त अनुशंसित कीटनाशकों के ही उपयोग करने की सलाह देते हुए बताया कि किसान क्लोरएंट्रानिलीप्रोल 18.5% SC , 150 मिली प्रति हेक्टेयर मात्रा को नैप्सेक स्प्रेयर से 450 लीटर पानी में या पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सोयाबीन में पीला मोजेक रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रारंभिक अवस्था में ही रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़ कर निष्कासित करें। रोग को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए थायमिथाक्सम एवं लेम्बडासायहैलोथ्रिन को 125 मिली प्रति हेक्टेयर मात्रा को नैप्सेक स्प्रेयर से 450 लीटर पानी में या पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे एवं नत्रजन उर्वरकों का उपयोग न करें। कृषक सोयाबीन फसल के खेतों में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु पीले स्टिकी ट्रैप एवं पक्षियों के बैठने हेतु ‘’T’’ आकार के बर्ड पर्चेस (खूटियां) 10- 15 प्रति बीघा की संख्या में लगाए जिससे पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
किसान, किसी भी प्रकार का कृषि आदान जैसे रासायनिक उर्वरक, बीज एवं कीटनाशक दवाई को क्रय करते समय दुकानदार से पक्का बिल अवश्य लेवें । जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट अंकित हो। जिन रसायनों (कीटनाशक/खरपतवारनाशी/फफूंदनाशी) के मिश्रित उपयोग की वैज्ञानिक अनुशंसा नहीं है, ऐसे मिश्रणों का उपयोग खेतों में न करें इससे फसलों को नुकसान हो सकता है। खड़ी फसल में नत्रजन उर्वरकों का उपयोग न करें।
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