State News (राज्य कृषि समाचार)

लम्पी वायरस से 15 हजार संक्रमित और 250 से अधिक मवेशियों की मौत

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किसान अपने पशुओं का टीकाकरण तत्काल कराएं

12 अक्टूबर 2022, भोपाललम्पी वायरस से 15 हजार संक्रमित और 250 से अधिक मवेशियों की मौत – लम्पी वायरस मप्र के 31 जिलों में फैल गया है जिससे 250 मवेशियों की मौत हो चुकी है। राज्य को इस बीमारी से लडऩे के लिए 14 लाख टीके मिले हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन प्रमुख जिले हैं जिन्हें टीके दिए गए हैं।

अभी तक भैंस नस्ल में लम्पी वायरस रोग के लक्षण नहीं

इंदौर को 5 लाख 34 हजार 762 टीके, भोपाल में 3 लाख 45 हजार 690, ग्वालियर में 2 लाख 87 हजार 68 और उज्जैन में 2 लाख 32 हजार 480 को उपलब्ध कराए गए हैं। टीके सीधे जिलों को दिए गए हैं। संबंधित जिलों के पशु चिकित्सकों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया है, निदेशक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. आरके मेहिया ने गायों का टीकाकरण युद्ध स्तर पर करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. मेहिया ने कहा कि यह बड़ी राहत की बात है कि मध्य प्रदेश में अभी तक किसी भी भैंस नस्ल के जानवर में लम्पी वायरस रोग के लक्षण नहीं पाए गए हैं।

इंदौर वितरण केंद्र ने इंदौर जिले को 39 हजार 579, आलिराजपुर को 59 हजार 732, धार को एक लाख 9 हजार 484, खंडवा को 61 हजार 681, झाबुआ को 71 हजार 89, खरगोन को एक लाख एक हजार 132, बड़वानी को 69 हजार 322 और बुरहानपुर को 22 हजार 743 टीके का आवंटन किया है।

भोपाल वितरण केन्द्र ने 94 हजार 579 टीके बैतूल, सीहोर 60 हजार 809, नर्मदापुरम 54 हजार 508, राजगढ़ 44 हजार 839, हरदा 26 हजार 315 और छतरपुर जिला 50 हजार 105 को भेजे हैं।

ग्वालियर डिस्ट्रीब्यूशन प्वाइंट ने शिवपुरी जिले को 61 हजार 34, गुना को 61 हजार 832, श्योपुर को 43 हजार 579, अशोकनगर को 38 हजार 662, ग्वालियर को 24 हजार 196, भिंड को 21007, दतिया को 18 हजार 848 और 17 हजार 910 वैक्सीन मुरैना जिले को भेजे गए हैं।

उज्जैन वितरण केंद्र ने रतलाम जिले को 52 हजार 758 टीके दिए हैं, जिसमें मंदसौर को 43 हजार 552, उज्जैन को 43 हजार 811, नीमच को 39 हजार 162, शाजापुर को 26 हजार 944 और आगर-मालवा को 26 हजार 253 टीका जिले को भेजे गए हैं।

गड्ढा खोदकर मरे हुए जानवरों को दफनाएं

निदेशक डॉ. मेहिया ने जिलों में तैनात संयुक्त निदेशकों और उप निदेशकों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि लम्पी वायरस से मरने वाले जानवरों को गांव या शहर के बाहर स्थानीय प्रशासन की मदद से गड्ढा खोदकर चूने और नमक से दफनाया जाए। जानवर के शरीर को बिल्कुल भी खुले में नहीं छोडऩा चाहिए। नहीं तो कुत्ते, कौवे, मच्छर, मक्खियां बीमारी के वाहक बन सकते हैं।

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