दिग्विजय सिंह ने किया जनेकृविवि के प्रक्षेत्रों का भ्रमण कृषक आय बढ़ाने में कारगर अरहर-लाख तकनीक
जबलपुर। पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में आधुनिक कृषि तकनीकी से तैयार ‘‘जवाहर माॅडल अरहर-लाख उत्पादन तकनीक प्रक्षेत्र’’ का भ्रमण किया और श्री सिंह ने आदिवासी कृषक महिलाओं को लाख के कीट एवं बीज भी वितरित किये। इस आधुनिक तकनीक में बोरों में मिट्टी भरकर खेती की जाती है। यह देष का पहला इकलौता माॅडल है। कुलपति डाॅं. प्रदीप कुमार बिसेन ने बताया कि यह किसानों के लिये ए.टी.एम. साबित होगा क्योंकि साल के 9 महीने प्रतिमाह किसान को नगद लाभ मिलता रहेगा। इस तकनीक से कम या अधिक जल के बावजूद पथरीली, रेतीली और बंजर-ऊसर भूमि में भी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है। यह तकनीक देष में खेती का रकबा बढ़ाने और किसानों की आय को दोगुना करने में सार्थक सिद्ध होगी। इस मौके पर, संचालक अनुसंधान सेवाएं डाॅं. पी.के. मिश्रा, संचालक षिक्षण डाॅं. एस.डी. उपाध्याय, संचालक प्रक्षेत्र डाॅं. दीप पहलवान, अधिष्ठाता डाॅं. आर.के. नेमा, डाॅं. आर.एम. साहू, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅं. अमित शर्मा, आदि उपस्थित रहे।
इस तकनीक के जनक एवं कृषि एक्सपर्ट, कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅं. मोनी थामस ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों की लागत को कम करने एवं आय को बढ़ाने के मुख्य उद्देष्य को लेकर एक सफल अनुसंधान किया गया जिसके आषानुरूप परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। सामान्य तकनीक से एक पौधे से जहां अरहर की 500 ग्राम पैदावार प्राप्त होती है इस तकनीक के द्वारा 2 किग्रा यानि 4 गुना अधिक पैदावार इसके अलावा 600 ग्राम लाख एवं 5 किग्रा तक जलाऊ लकड़ी प्राप्त होती है।
तकनीक की खासियत – 60 किलोग्राम मिट्टी से भरी बोरियों में ही पोषक तत्वों एवं जवाहर जैव उर्वरक, गोबर खाद, केचुआ खाद का स्पेषल ट्रीटमेंट देकर उसमें विवि की अरहर किस्म टी.जे.टी. 501 को लगाया गया है। आधा एकड़ में 200 पौधे जिसमें पौधे से पौधे व लाइन से लाइन की दूरी 6 फीट रखी एवं इन पौधों पर लाख के कीडे़ छोडे़ गये। ये कीडे़ पौधों को नुकसान नहीं पहुॅंचते परिणामतः प्रति पौधा 600 ग्राम लाख कृषकों को अतिरिक्त प्राप्त होती है। इस तरह 11 माह लगातार एक पौधे से 500 ग्राम के बदले 2 किग्रा अर्थात् चारगुनी अरहर की उपज प्राप्त होती है। एक पौधे से 600 ग्राम लाख साथ ही 5 किग्रा जलाऊ लकड़ी भी प्राप्त होती है। आधा एकड़ में विकसित जवाहर माॅडल में अरहर की 20 किस्में, हल्दी की 7 तथा अरदक, टमाटर, धानिया, प्याज, लहसुन आदि की एक-एक किस्म का प्रदर्षन किया गया है।
क्या है खास-
- इस तकनीक का मुख्य उद्देष्य लघु, सीमान्त व महिला कृषकों को लाभ पहुँचाना ।
- जमीन के स्थान पर प्लास्टिक की खाली बोरियों में मिट्टी भरकर ही खेती की जा सकती है।
- पोषक तत्वों एवं खाद का सम्पूर्ण लाभ पौधों को प्राप्त होता है।
- आष्चर्यजनक रूप से 90 फीसदी बीजों की बचत होती है।
- इस तकनीक के उपयोग से अरहर उत्पादन में त्रिकोणीय लाभ प्राप्त होता है।
- खरपतवार एवं अन्य समस्याओं से निजात।