राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भाकृअनुप-विपकृअनुसं में पर्वतीय कृषि पर विशेष सत्र: प्रशिक्षु अधिकारियों को दी गई फसल सुधार व सुरक्षा की जानकारी

05 जुलाई 2025, नई दिल्ली: भाकृअनुप-विपकृअनुसं में पर्वतीय कृषि पर विशेष सत्र: प्रशिक्षु अधिकारियों को दी गई फसल सुधार व सुरक्षा की जानकारी – भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (विपकृअनुसं), हवालबाग में सोमवार (30 जून 2025) को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए पर्वतीय कृषि पर एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम उत्तराखंड प्रशासन अकादमी, नैनीताल के सहयोग से आयोजित किया गया था।

इस प्रशिक्षण सत्र में प्रशिक्षु अधिकारियों स्नेहिल कुमार सिंह, डॉ. हर्षिता सिंह और अंशुल भट्ट ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की स्थिति, चुनौतियों और संभावनाओं से अवगत कराना और उन्हें किसानों के साथ जुड़कर कैसे योजनाएं बना सकते हैं, यह समझाना था।

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संस्थान की जानकारी और पर्वतीय कृषि पर चर्चा

कार्यक्रम की शुरुआत में निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने संस्थान की गतिविधियों और इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय इलाकों में खेती करना आसान नहीं होता, लेकिन अगर वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं तो अच्छी पैदावार मिल सकती है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे जब अपने जिलों में काम करेंगे, तो किसानों की समस्याएं समझकर उनके लिए योजनाएं बनाएं।

फसल सुधार और सुरक्षा की जानकारी

डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ ने प्रशिक्षुओं को बताया कि संस्थान ने पर्वतीय किसानों के लिए कई उन्नत फसल किस्में विकसित की हैं, जो अधिक उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता देती हैं। फसल सुरक्षा पर जानकारी देते हुए डॉ. कृष्ण कांत मिश्रा ने बताया कि किस तरह से कीटों और बीमारियों से फसलों को बचाया जा सकता है। उन्होंने आसान और कम लागत वाली तकनीकों पर जोर दिया। डॉ. बृज मोहन पांडे ने फसल उत्पादन से जुड़ी तकनीकों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सही तरीके और समय पर काम करने से किसान कम लागत में अच्छी पैदावार ले सकते हैं।

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कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम का समापन डॉ. कुशाग्र जोशी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण से प्रशासनिक अधिकारी किसानों की ज़रूरतें बेहतर समझ सकेंगे और उनकी मदद के लिए सही योजनाएं बना सकेंगे। यह सत्र पर्वतीय कृषि की गहराई से जानकारी पाने और प्रशासन व कृषि के बीच समन्वय को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास रहा।

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