देश में सोयाबीन का उत्पादन मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं, लोकसभा में चर्चा
21 अगस्त 2025, नई दिल्ली: देश में सोयाबीन का उत्पादन मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं, लोकसभा में चर्चा – भारत में सोयाबीन और मकई की आपूर्ति को लेकर लोकसभा में चिंता व्यक्त की गई है। यह सवाल कौशलेंद्र कुमार(अनस्टार्ड क्वेश्चन संख्या 4369) ने उठाया था, जिसमें यह जानना चाहा गया कि क्या देश का उत्पादन मांग को पूरा कर रहा है, अमेरिका से सोयाबीन और मकई आयात की कोई योजना है, और इससे किसानों पर क्या असर पड़ सकता है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बताया कि 2024-25 में देश में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ—सोयाबीन का 151.80 लाख टन और मकई का 422.81 लाख टन—फिर भी घरेलू खाद्य तेल उत्पादन, जिसमें सोयाबीन तेल भी शामिल है, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके कारण देश को कुल खाद्य तेल की लगभग 55% आवश्यकता आयात से पूरी करनी पड़ती है।
पिछले दशक में सोयाबीन का उत्पादन 46.32% बढ़ा है, जो 2014-15 में 103.74 लाख टन से 151.80 लाख टन हो गया है, जबकि मकई का उत्पादन 74.91% बढ़कर 422.81 लाख टन हुआ। इन बढ़ोतरी के बावजूद, खाद्य तेल की खपत उत्पादन से आगे बढ़ रही है, जिसके चलते सरकार आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।
नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स – ऑयलसीड्स (NMEO-Oilseeds) के तहत सरकार ने 10,103.38 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, ताकि 2024-25 में 42.6 मिलियन टन से बढ़ाकर 2030-31 तक उत्पादन 69.7 मिलियन टन किया जा सके। इसके अलावा, नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन (NFSM) के माध्यम से किसानों को गुणवत्ता वाले बीज, उन्नत कृषि तकनीक और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि उत्पादन बढ़े और किसानों की आमदनी सुरक्षित रहे।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत परंपरागत रूप से मकई का निर्यातक रहा है, लेकिन 2024-25 में घरेलू मांग के दबाव के कारण निर्यात न्यूनतम रहा। भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के तहत व्यापार विस्तार, बाजार तक पहुंच बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करने पर चर्चा जारी है, जिसमें खाद्य सुरक्षा और किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
सरकार ने आश्वस्त किया कि आयात केवल घरेलू उत्पादन की पूर्ति के लिए किया जाएगा और किसानों की आय को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जबकि देश में तेल बीज उत्पादन में दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के प्रयास लगातार जारी हैं।
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