नेचुरल फार्मिंग समिट 2025: पीएम मोदी ने किसानों को बताया, कैसे प्राकृतिक खेती से बढ़ेगी आय और मिट्टी रहेगी स्वस्थ
20 नवंबर 2025, नई दिल्ली: नेचुरल फार्मिंग समिट 2025: पीएम मोदी ने किसानों को बताया, कैसे प्राकृतिक खेती से बढ़ेगी आय और मिट्टी रहेगी स्वस्थ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 19 नवंबर को कोयंबटूर में आयोजित साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट 2025 का उद्घाटन किया और किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने मरुधमलाई के भगवान मुरुगन को नमन करते हुए कोयंबटूर की सांस्कृतिक और उद्यमी भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह शहर देश की वस्त्र और कृषि उद्योग में अहम योगदान देता है और यहां के किसान प्राकृतिक खेती को नए आयाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत प्राकृतिक खेती का ग्लोबल हब बनने की राह पर है, और यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। उन्होंने किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों की मौजूदगी को सराहा और कहा कि आने वाले वर्षों में कृषि क्षेत्र में बड़े परिवर्तन की उम्मीद है। उन्होंने किसानों को अपने अनुभवों के आधार पर प्राकृतिक खेती अपनाने और इसे विज्ञान आधारित बनाने की अपील की।
KCC और पीएम किसान सम्मान निधि से मिली मदद
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में किसानों के लिए कई योजनाओं का लाभ बढ़ाया गया है। अकेले इस साल किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मदद दी गई। पशुधन और मछली पालन में भी KCC का लाभ तेजी से बढ़ा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त के तहत देशभर के किसानों के खाते में 18,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए, जिसमें तमिलनाडु के लाखों किसानों ने भी लाभ उठाया।
प्राकृतिक खेती से मिट्टी और आय दोनों मजबूत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है और खेती की लागत बढ़ रही है। उनका कहना था कि इसका समाधान फसल विविधता और प्राकृतिक खेती में है। उन्होंने मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने, फसलों की न्यूट्रिशनल वैल्यू सुधारने और रसायन-मुक्त खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है, जिससे लाखों किसान जुड़ चुके हैं। अकेले तमिलनाडु में लगभग 35,000 हेक्टेयर भूमि पर जैविक और प्राकृतिक खेती हो रही है। पीएम मोदी ने किसानों को पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग जैसी पारंपरिक विधियों को अपनाने की सलाह दी, जिससे मिट्टी की सेहत बेहतर हो और फसल की लागत कम हो।
फसल विविधता और सुपरफूड की वैश्विक पहुंच
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ही फसल की बजाय फसल विविधता अपनाना जरूरी है। दक्षिण भारत के किसान इस मामले में प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। केरल और कर्नाटक में सीढीनुमा खेती और मिश्रित फसल मॉडल के उदाहरण स्पष्ट हैं। उन्होंने बताया कि बाजरा, रागी और अन्य पारंपरिक अनाज को प्राकृतिक खेती के साथ उगाना, किसानों के लिए आय के नए अवसर पैदा करेगा। सरकार इस सुपरफूड को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
किसानों, विज्ञान और सरकार का संगम
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से “एक एकड़, एक सीजन” प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील की। उन्होंने वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थानों को किसानों के खेतों को जीती-जागती लैब बनाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने राज्य सरकारों और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) की अहम भूमिका पर जोर दिया। पिछले कुछ वर्षों में देशभर में 10,000 FPO बनाए गए हैं, जिससे छोटे किसानों को सफाई, पैकेजिंग और ऑनलाइन मार्केटिंग की सुविधा मिली।
प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि इस समिट से प्राकृतिक खेती को नई दिशा मिलेगी और देश में नई अवधारणाएं और समाधान विकसित होंगे।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि, केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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