PMFBY में बड़ा बदलाव: अब जानवरों के हमले और जलभराव से हुए फसल नुकसान पर भी मिलेगा मुआवजा
20 नवंबर 2025, नई दिल्ली: PMFBY में बड़ा बदलाव: अब जानवरों के हमले और जलभराव से हुए फसल नुकसान पर भी मिलेगा मुआवजा – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसान भाई-बहनों को बड़ी सौगात दी है। मंत्रालय ने जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है।
संशोधित प्रावधानों के अनुसार, जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के पाँचवें ‘ऐड-ऑन कवर’ के रूप में मान्यता दी गई है। राज्य सरकारें जंगली जानवरों की सूची अधिसूचित करेंगी तथा ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर अत्यधिक प्रभावित जिलों/बीमा इकाइयों की पहचान करेंगी। किसान को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग्ड फोटो के साथ दर्ज करनी होगी।
कब लागू होंगे ये बदलाव
यह निर्णय विभिन्न राज्यों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के अनुरूप है और किसानों को अचानक, स्थानीयकृत और गंभीर फसल क्षति से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये प्रक्रियाएँ PMFBY परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक, पारदर्शी और व्यवहारिक बनाई गई हैं, और खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू की जाएँगी।
कौन-कौन से नुकसान अब कवर होंगे
देशभर में किसान लंबे समय से हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण बढ़ते फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं। यह समस्या मुख्यतः वन क्षेत्रों, वन गलियारों और पहाड़ी इलाकों के निकट बसे किसानों में अधिक देखी जाती है। अब तक ऐसे नुकसान फसल बीमा योजना के दायरे में नहीं आते थे, जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी। दूसरी ओर, तटीय एवं बाढ़ संभावित क्षेत्रों में धान की खेती करने वाले किसानों को वर्षा और नदी-नालों के उफान से होने वाले जलभराव के कारण समान रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ता रहा है। वर्ष 2018 में इस जोखिम को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी से हटाए जाने से किसानों के लिए एक बड़ा संरक्षण अंतर उत्पन्न हो गया था।
इन उभरती चुनौतियों को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट को माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ अब स्थानीय स्तर पर फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को PMFBY के तहत समयबद्ध और तकनीक-आधारित दावा निपटान का लाभ मिलेगा।
किसे मिलेगा सबसे अधिक लाभ
इस प्रावधान का सबसे अधिक लाभ ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड तथा हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के किसानों को होगा, जहाँ जंगली जानवरों द्वारा फसल क्षति एक प्रमुख चुनौती है।
धान जलभराव को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी में पुनः शामिल किए जाने से तटीय और बाढ़ संभावित राज्यों जैसे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक,महाराष्ट्र और उत्तराखंड के किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, जहाँ जलभराव से धान की फसल का नुकसान हर वर्ष दोहराया जाता है।
जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान और धान जलभराव दोनों को शामिल किए जाने से PMFBY और अधिक समावेशी, उत्तरदायी और किसान हितैषी बन गया है, जो भारत की फसल बीमा प्रणाली को और अधिक मजबूत एवं लचीला बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
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