राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

सात सालों में तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत: राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन को मिली मंजूरी

04 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: सात सालों में तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत: राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन को मिली मंजूरी – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ-तिलहन) को मंजूरी दी है। इस मिशन का उद्देश्य अगले सात सालों में भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। इसके तहत 2024-25 से 2030-31 तक 10,103 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

इस मिशन के तहत रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल जैसी प्रमुख तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा। साथ ही, कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्ष जनित तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से भी तेल निकालने की प्रक्रिया को बेहतर किया जाएगा। मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन तक पहुंचाना है, जिससे घरेलू आवश्यकता का लगभग 72% भाग पूरा हो सकेगा।

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‘साथी’ पोर्टल की शुरुआत

मिशन के तहत एक प्रमुख पहल ‘साथी’ पोर्टल की शुरुआत की जाएगी, जिसके माध्यम से राज्यों को गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बीज एजेंसियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सहकारी समितियों के साथ समन्वय करने में मदद मिलेगी।

बीज उत्पादन और भंडारण के लिए नई इकाइयां

तिलहन बीजों की गुणवत्ता सुधारने और उनकी समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इसके साथ ही 347 जिलों में 600 से अधिक मूल्य श्रृंखला क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जहां किसानों को बेहतर बीज, कृषि पद्धतियों और मौसम प्रबंधन पर सलाह मिलेगी।

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मिशन के तहत 40 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर तिलहन की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसमें चावल और आलू की परती भूमि का उपयोग किया जाएगा और फसल विविधीकरण पर जोर दिया जाएगा।

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कृषक संगठनों और उद्योग के लिए सहायता

कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) और सहकारी समितियों को फसल कटाई के बाद की इकाइयों की स्थापना या उन्नयन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इस पहल के तहत कपास के बीज, चावल की भूसी और मकई के तेल जैसे द्वितीयक स्रोतों से तेल निष्कर्षण की दक्षता को भी बढ़ाया जाएगा।

आयात पर निर्भरता घटाने का प्रयास

भारत खाद्य तेलों की अपनी घरेलू मांग का 57% आयात करता है, जिसे कम करने के लिए यह मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि देश की विदेशी मुद्रा बचत भी होगी।

सरकार पहले ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) के तहत 11,040 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ तेल पाम की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, तिलहन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किए जा रहे हैं, और खाद्य तेलों पर 20% आयात शुल्क लगाया गया है ताकि घरेलू उत्पादकों को सस्ते आयात से संरक्षण मिल सके।

मिशन के तहत तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही जलवायु-लचीली खेती को भी प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।

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