एफसीवी तंबाकू की फसल से किसानों की बढ़ी आय, निर्यात में दोगुनी वृद्धि
06 अगस्त 2025, नई दिल्ली: एफसीवी तंबाकू की फसल से किसानों की बढ़ी आय, निर्यात में दोगुनी वृद्धि – एफसीवी (फ्लू क्योर्ड वर्जीनिया) तंबाकू की खेती करने वाले किसानों की आमदनी में बीते कुछ वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्हें न सिर्फ अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल रहा है, बल्कि निर्यात में भी दोगुनी से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2020-21 में एफसीवी तंबाकू की कीमत 135.24 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो 2023-24 में बढ़कर 279.54 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। इसी तरह, तंबाकू और तंबाकू उत्पादों का निर्यात भी 2020-21 में 6,496.99 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 16,728.02 करोड़ रुपये हो गया है। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
गुणवत्ता सुधार के लिए तकनीकी मदद और रिसर्च
किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाली फसल उत्पादन में मदद देने के लिए, आईसीएआर-राष्ट्रीय वाणिज्यिक कृषि अनुसंधान संस्थान (NIRCA), राजमुंदरी द्वारा तंबाकू की किस्मों, उत्पादन तकनीकों और गुणवत्ता सुधार पर लगातार अनुसंधान किया जा रहा है। इस रिसर्च से तैयार तकनीकों को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है, ताकि वे तंबाकू की बेहतर फसल उगाकर अधिक लाभ कमा सकें।
तंबाकू बोर्ड कर रहा है उत्पादन और बिक्री पर नियंत्रण
तंबाकू के उत्पादन और विपणन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले “तंबाकू बोर्ड” को दी गई है। यह बोर्ड हर वर्ष फसल की शुरुआत से पहले एफसीवी तंबाकू की उत्पादन सीमा तय करता है, जिसे ‘क्रॉप साइज’ कहा जाता है।
इसके बाद, किसानों की उपज को ई-नीलामी के माध्यम से बेचा जाता है, ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके और खरीदारों को तय मात्रा में तंबाकू की आपूर्ति मिलती रहे।
सरकार ने स्पष्ट किया – तंबाकू की खेती को नहीं दिया जा रहा बढ़ावा
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार तंबाकू या तंबाकू की खेती को बढ़ावा देने के लिए कोई योजना या कार्यक्रम नहीं चला रही है।
इसका मतलब यह है कि सरकार तंबाकू की खेती को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि जो किसान पहले से एफसीवी तंबाकू उगा रहे हैं, उनके उत्पादन को नियंत्रण में रखने और उन्हें उचित मूल्य दिलाने के लिए व्यवस्थाएं बनाई गई हैं। यानी सरकार केवल नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिए व्यवस्था करती है, ताकि किसानों को नुकसान न हो और अंतरराष्ट्रीय मांग के अनुसार आपूर्ति और गुणवत्ता बनी रहे।
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