राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

इंजीनियर वाले अंदाज में पेच कस रहे है कृषि मंत्री शिवराज

योजनाओं को पेचीदा न बनाए जाए, इस पर दे रहे है जोर केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान 

11 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: इंजीनियर वाले अंदाज में पेच कस रहे है कृषि मंत्री शिवराज –  देश के किसानों के लिए कितना सोच रहे है यह अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे न केवल कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से हर दिन चर्चा कर फीडबैक लेते है वहीं उनका इस बात पर भी जोर अधिक है कि किसानों के लिए जो सरकारी योजनाएं है वह पेचीदा न बनाई जाए ताकि किसानों को उसका फायदा जल्द से जल्द मिल सके।

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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों अलग मूड में दिख रहे हैं। वो दर्शनशास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं लेकिन आजकल इंजीनियर वाले अंदाज में कृषि मंत्रालय के पेच कस रहे हैं।  बीते कई घटनाक्रम इसकी गवाही दे रहे हैं। वो चाहे कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी रिसर्च बॉडी आईसीएआर यानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े वैज्ञानिक हों या फिर कृषि मंत्रालय के अध‍िकारी।  कुल मिलाकर वो खेती बाड़ी वाले इस मंत्रालय को अपने हिसाब से पटरी पर दौड़ाने के लिए इससे जुड़े लोगों को तैयार करने की कोश‍िश कर रहे हैं।  जिसमें दो बातें सबसे अहम हैं। एक तो वैज्ञानिकों और किसानों के बीच गैप न हो और दूसरा योजनाओं को इतना पेचीदा न बनाया जाए कि उसका आम लोग फायदा न उठा सकें। 

काम के तौर-तरीकों को लेकर आईना दिखा रहे

चौहान अपने अधिकांश कार्यक्रमों में खेती-किसानी से जुड़े अध‍िकार‍ियों को उनके काम के तौर-तरीकों को लेकर आईना दिखा रहे हैं।  जिसमें वो कामकाज में जटिलता कम करने और सही डायरेक्शन में आगे बढ़ने की नसीहत दे रहे हैं।  ताजा वाकया पूसा में आयोजित कृषि मंत्रालय के एक कार्यक्रम का है।   इस कार्यक्रम में मंच से ही शिवराज सिंह चौहान ने नए कृषि सचिव को इस बात के निर्देश दिए कि वो एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड  में सभी सूबों की मैप‍िंग करें क‍ि क‍िस जगह किस तरह के एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। 

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अध‍िकार‍ियों से दो टूक कहा

कृषि मंत्री ने इस योजना से जुड़े अध‍िकार‍ियों से दो टूक कहा कि जहां पर वेयर हाउस की जरूरत है वहीं पर वेयरहाउस बनें।  ऐसा न हो कि वो बनकर खाली पड़े रहें और बनवाने वालों को नुकसान हो।   इसल‍िए जहां पर कोल्ड चैन या पैक हाउस की जरूरत है वहां पर इन्हीं चीजों का निर्माण करवाया जाए. हर जगह गोदाम ही बनवाने की जरूरत नहीं है।  इसलिए राज्यवार पोस्ट हार्वेस्ट यानी फसलोपरांत कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत की मैपिंग करने के निर्देश द‍िए। 

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