सूक्ष्म पोषक तत्व वाली खादों को लेकर चर्चा, किसानों को मिल सकते हैं सही दाम पर असली उत्पाद
06 अगस्त 2025, नई दिल्ली: सूक्ष्म पोषक तत्व वाली खादों को लेकर चर्चा, किसानों को मिल सकते हैं सही दाम पर असली उत्पाद – दिल्ली में एक अहम बैठक हुई जिसमें किसानों को अच्छी गुणवत्ता की सूक्ष्म पोषक तत्व वाली खादें (Micro-Fertilizers) आसानी से और सही दाम पर कैसे मिलें, इस पर चर्चा की गई। यह बैठक IMMA (इंडियन माइक्रो फर्टिलाइजर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन) द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें वैज्ञानिकों, सरकारी अधिकारियों और खाद कंपनियों ने भाग लिया।
क्या हैं सूक्ष्म पोषक तत्व वाली खादें?
सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) वे तत्व होते हैं जो बहुत कम मात्रा में फसल को दिए जाते हैं, लेकिन उनकी भूमिका बहुत बड़ी होती है। ये मिट्टी की ताकत बढ़ाते हैं, पौधों की बढ़वार में मदद करते हैं और फसल की गुणवत्ता सुधारते हैं। इन खादों में मुख्य रूप से जिंक (Zn), बोरान (Bo), आयरन (Fe), मैंगनीज (Mn), कॉपर (Cu), मोलिब्डेनम (Mo), सिलिकॉन (Si), निकल (Ni), कोबाल्ट (Co), और सोडियम (Na) जैसे तत्व शामिल होते हैं। इनकी सही मात्रा से फसल स्वस्थ और उत्पादन बेहतर होता है।
बैठक में क्या बात हुई?
1. हर राज्य में अलग लाइसेंस की झंझट खत्म करने का सुझाव:
अभी कंपनियों को हर राज्य में खाद बेचने के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेना पड़ता है। बैठक में सुझाव दिया गया कि एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से “वन नेशन, वन लाइसेंस” की व्यवस्था बनाई जाए, जिससे किसानों तक अच्छे उत्पाद आसानी से पहुंच सकें।
2. नकली खादों से बचाव का तरीका:
बैठक में नकली सूक्ष्म पोषक तत्व खादों की समस्या पर चिंता जताई गई। IMMA ने ऐसा सिस्टम बनाने का सुझाव दिया जिससे दुकानदार और किसान खुद जांच सकें कि खाद असली है या नकली।
3. बायो-स्टिमुलेंट नियमों में सुधार की बात:
बायो-स्टिमुलेंट (जैव उद्दीपक) वाली खादों के लिए हाल ही में कुछ नए नियम लागू हुए हैं जिसके कारण कंपनियां इन्हें बेचने में असमर्थ हैं और कम्पनियों को इनका परीक्षण सरकारी एनएबीएल प्रयोगशालाओं में करवाना होगा।। बैठक में कहा गया कि जब तक सरकारी लैब पूरी तरह तैयार नहीं हो जातीं, तब तक निजी लैब को भी अस्थायी मंजूरी दी जाए, ताकि किसानों को इन उत्पादों की कमी न हो।
4. कानून में नरमी का सुझाव:
अगर किसी कंपनी से छोटा नियम उल्लंघन हो जाए (जैसे कोई कागज़ी गलती), तो उसे अपराध न माना जाए। इसके लिए सिर्फ जुर्माना लगे, लेकिन सज़ा न दी जाए। इससे नई कंपनियां भी आगे आएंगी और किसानों को ज़्यादा विकल्प मिलेंगे।
5. भारत की खादें विदेशों में भेजने की बात:
IMMA ने सुझाव दिया कि भारत में बनी सूक्ष्म पोषक तत्व वाली खादों को विदेशों में निर्यात की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे देश की पहचान बढ़ेगी ।
आगे की कार्रवाई
यह बैठक केवल सुझावों और चर्चा के लिए थी। एसोसिएशन ने बैठक में गैर-सब्सिडी वाले उर्वरक क्षेत्र में नियामक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए चार प्रमुख अनुवर्ती कार्रवाइयों की पहचान की है। इनमें “एक राष्ट्र, एक लाइसेंस” ढांचे के तहत एकीकृत डिजिटल लाइसेंसिंग का समर्थन करने के लिए एक श्वेत पत्र का तत्काल विकास शामिल है। एसोसिएशन जमीनी स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण को बेहतर बनाने के लिए केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान को एक उद्योग-आधारित जालसाजी-रोधी टूलकिट भी प्रस्तुत करेगा। सभी एसोसिएशनों द्वारा एक संयुक्त ज्ञापन भी तैयार किया जाएगा जिसमें एफसीओ संशोधनों और 16 जून के नियमों के बाद बायोस्टिमुलेंट परीक्षण के लिए एक संक्रमणकालीन रोडमैप की वकालत की जाएगी। इसके अतिरिक्त, आईएमएमए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्रावधानों को जोड़कर गैर-सब्सिडी वाले उर्वरक उल्लंघनों को अपराधमुक्त करने के लिए एक कानूनी प्रस्ताव का मसौदा तैयार करेगा।
डॉ. राहुल मिर्चंदानी, अध्यक्ष – IMMA ने कहा, “यह राउंडटेबल बैठक इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मिलकर भारत के खाद उद्योग को एक नई दिशा देना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य है कि एक ऐसा खाद क्षेत्र बने जो नवाचार (innovation) को बढ़ावा दे, किसानों के विश्वास को बनाए रखे और टिकाऊ खेती (sustainable farming) की दिशा में मजबूत कदम उठाए। आज जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, वे सिर्फ उद्योग तक सीमित नहीं हैं — इनका सीधा असर देश के करोड़ों किसानों पर होता है। हम चाहते हैं कि किसानों तक गुणवत्ता युक्त, असरदार और असली सूक्ष्म पोषक तत्व उर्वरक पहुँचें और उन्हें सही जानकारी मिले।”
श्री समीर पाठारे, उपाध्यक्ष – IMMA ने कहा, “आज की बैठक में जिन 6 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई, वे सब वास्तविक और ज़मीनी समस्याएं हैं, जिनसे हमारे सदस्य और किसान रोज़ जूझते हैं। चाहे बात नकली खाद की हो, बायो-स्टिमुलेंट नियमों की हो, या फिर लाइसेंसिंग और कानूनों की — ये सभी ऐसी चुनौतियाँ हैं जिनका असर अंत में किसान भाईयों पर पड़ता है। हमने आज मिलकर यह ठान लिया है कि अब इन मुद्दों को केवल बैठकों में उठाने तक नहीं रोका जाएगा, बल्कि इन पर संयुक्त रूप से हल निकालने के लिए काम होगा।”
किसानों के लिए क्यों जरूरी है ये चर्चा?
अगर ये सुझाव लागू होते हैं, तो किसानों को असली, असरदार और सही दाम वाली सूक्ष्म पोषक तत्व खादें आसानी से मिल सकेंगी। इससे फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और लागत में कमी आ सकती है।
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