किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

इंजीनियर ने केंचुआ खाद को बनाया कमाई का ज़रिया

उमेश खोड़े

17 मई 2024, पांढुर्ना: इंजीनियर ने केंचुआ खाद को बनाया कमाई का ज़रिया – पांढुर्ना के युवा इंजीनियर श्री शुभम पांडुरंग केवटे ने टेक्सटाइल्स में बी टेक करने के बाद 2018 में दमन में नौकरी भी की, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। स्वास्थ्यगत कारणों और फिर कोरोना के कारण घर लौटना पड़ा। पिताजी के संतरे के बाग में देखरेख के दौरान केंचुआ खाद बनाने की प्रेरणा सिक्किम से मिली ,जो देश का पहला शत प्रतिशत जैविक खेती वाला राज्य है। 2019 -20 में छोटी सी शुरुआत की गई। आज शुभम का केंचुआ खाद दुबई तक जा रहा है। केंचुआ खाद की बिक्री से बढ़ी कमाई को देखते हुए  उनका इसी क्षेत्र में विस्तार करने का विचार है।

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150 टन खाद का उत्पादन – 29 वर्षीय युवा इंजीनियर श्री शुभम केवटे ने कृषक जगत को बताया कि दमन से घर लौटने के बाद जैविक खेती के लिए केंचुआ खाद बनाने का विचार किया, क्योंकि केंचुआ खाद से मुख्य पोषक तत्वों के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी पूर्ति हो जाती है। एक परिचित से 5 किलो ऑस्ट्रेलियन केंचुए लेकर कलम गांव में ,जहाँ संतरे का बाग है, वहां शुरुआत की गई। पहले दो साल कुछ परेशानियां आई । इस दौरान किसानों को केंचुआ खाद के लिए प्रेरित करने के लिए समझाईश भी दी और केंचुआ खाद के पैकेट मुफ्त भी बांटे। फिर 2021 -22  में  प्रधानमंत्री खादी ग्रामोद्योग योजना में 10 लाख का ऋण छिंदवाड़ा से लिया, जिस पर अनुदान भी मिला। धीरे -धीरे विस्तार होता गया। अब तो दो हज़ार वर्ग फीट का शेड तैयार हो गया है। तापमान को नियंत्रित करने के लिए बेड पर फॉगर भी लगाए गए हैं। गर्मी में केंचुआ खाद का उत्पादन कम होता है।10 रु/ किलो की दर से यह ‘ कृषक ऑर्गेनिक केंचुआ खाद ‘ के नाम से बेचा जाता है। फिलहाल एक वर्ष में करीब 150 टन खाद का उत्पादन हो रहा  है। देश भर के वेंडर ऑनलाइन आर्डर करते हैं , जिसे पहले ट्रक से मुंबई या मुंद्रा पोर्ट भेजा जाता है, फिर वहां से एक्सपोर्ट किया जाता है। इसी कड़ी में गत दिनों 25 टन खाद दुबई भेजा गया था।

संतरे के 1000  पेड़  लगाए –श्री शुभम ने बताया कि 5 एकड़ ज़मीन है, जिस पर 1000 संतरे के पेड़ लगाए गए हैं। किस्म ऐसी है जिसका जल्दी गलन नहीं होता है। संतरे की फसल फरवरी में आना शुरू हो जाती है। मार्च -अप्रैल में गर्मी बढ़ते ही संतरे की मांग बढ़ जाती है, तो कीमत भी अच्छी मिलती है। संतरे की फसल को नागपुर के अलावा दक्षिण भारत में तमिलनाडु  भी भेजा जाता है। इस साल अभी तक करीब 15 टन संतरा बेचा जा चुका है। देश में कैंसर रोगियों की निरंतर बढ़ती संख्या से चिंतित श्री केवटे का किसानों से आग्रह है कि अनाज और सब्जी उत्पादन में रसायन मुक्त जैविक खेती को अवश्य अपनाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी कैंसर मुक्त रह सके ।

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