Editorial (संपादकीय)

व्यंग्य पर छाए घने कोहरे से झांकते ‘विजी’ के व्यंग्य

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भोपाल। व्यंग्यकार विजी श्रीवास्तव के व्यंग्य संकलन इत्ती सी बात पर आयोजित समीक्षात्मक चर्चा आयोजन की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा कि व्यंग्य क्षेत्र में कमज़ोर लेखन के कारण घना कोहरा छाया हुआ है। विजी श्रीवास्तव के व्यंग्य इनके बीच उम्मीद की किरण जगाते हैं। व्यंग्य की आधुनिक पीढ़ी आत्ममुग्धता का शिकार है। व्यंग्य लेखकों को अपना आकलन स्वयं करना चाहिए। उन्होंने विजी श्रीवास्तव को एक जीनियस व्यंग्यकार बताते हुए उन्हें सर्वोच्च स्तर तक जाने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए।

मुख्य अतिथि वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष श्री मुकेश वर्मा ने कहा कि विजी श्रीवास्तव की इत्ती सी बात को सहजता से नहीं लिया जा सकता। इनके व्यंग्य का चयन अछूते विषयों पर आधारित होता है। उन्होंने माँ पर लिखे एक व्यंग्य को अद्भुत बताते हुए विगलित करने वाला बताया। व्यंग्यकार मलय जैन ने विजी के व्यक्तित्व और कृतित्व से जुड़ी कुछ रोचक बातों का उल्लेख किया। वहीं सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शांति लाल जैन ने पुस्तक की समीक्षा के साथ विजी की व्यंग्य यात्रा को रेखांकित किया। वरिष्ठ पत्रकार एवं व्यंग्यकार अनुज खरे ने अन्य व्यंग्यकारों को विजी श्रीवास्तव द्वारा दिये जाने वाले मार्गदर्शन और व्यंग्य की बारीकियों के प्रति समझ का उल्लेख किया। हरिओम तिवारी ने पुस्तक की एक रचना सास की सांस का पाठ किया। विजी श्रीवास्तव ने व्यंग्य की सामयिक स्थितियों पर प्रकाश डालते हुए अपने संकलन की प्रतिनिधि रचना इत्ती सी बात पर व्यंग्य पढ़ा। इस अवसर पर डॉ मधुबाला श्रीवास्तव की व्यंग्य टिप्पणियों ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। आभार प्रदर्शन अनुज खरे द्वारा तथा सफल संचालन गोकुल सोनी द्वारा किया गया।

इत्ती सी बात पर बड़ी सी चर्चा

इस अवसर पर सम्मिलित प्रबुद्ध श्रोताओं में पूर्व कृषि संचालक डॉ. जीएस कौशल, कृषक जगत सम्पादक श्री सुनील गंगराड़े, श्रीमती आशालता पाठक, श्री राजेन्द्र श्रीवास्तव, श्री प्रियेशदत्त मालवीय आदि विशेष हैं।

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