फसल की खेती (Crop Cultivation)

पीला रतुआ और दीमक नियंत्रण: ICAR ने बताए असरदार तरीके

20 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: पीला रतुआ और दीमक नियंत्रण: ICAR ने बताए असरदार तरीके – आईसीएआर भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, ने गेहूं की फसल को प्रभावित करने वाले पीला रतुआ और दीमक जैसे प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी उपाय सुझाए हैं। इन रोगों और कीटों का प्रकोप फसल की गुणवत्ता और उपज को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। संस्थान द्वारा जारी की गई यह सलाह किसानों को इन चुनौतियों से निपटने में मदद करने के साथ-साथ फसल की पैदावार को सुरक्षित और बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों की जानकारी प्रदान करती है।

पीला रतुआ रोग के लिए सलाह

पीला रतुआ रोग के विकास और इसके फैलाव के लिए अनुकूल मौसम को ध्यान में रखते हुए, किसानों को अपनी फसल का नियमित निरीक्षण करना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि पीले रतुआ के लक्षण दिखने पर गेहूं विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों या विस्तार कार्यकर्ताओं से परामर्श करें। कभी-कभी पत्तियों का पीलापन रोग के बजाय अन्य कारकों के कारण भी हो सकता है, इसलिए सही निदान बहुत महत्वपूर्ण है। यदि फसल में पीला रतुआ पाया जाता है, तो संक्रमण को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करें। संक्रमण केंद्र पर प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी @ 0.1% या टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% डब्ल्यूजी @ 0.06% का छिड़काव करें। यह छिड़काव केवल साफ मौसम में करें, जब बारिश, ओस या कोहरा न हो। दोपहर का समय छिड़काव के लिए सबसे उपयुक्त होता है।

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दीमक नियंत्रण

दीमक से प्रभावित क्षेत्रों में, बीज उपचार एक प्रभावी उपाय है। इसके लिए क्लोरोपाइरीफॉस @ 0.9 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद प्रति किलो बीज) का उपयोग करें। इसके अलावा, थायमेथोक्साम 70 डब्ल्यूएस (क्रूजर 70 डब्ल्यूएस) @ 0.7 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद प्रति किलो बीज) या फिप्रोनिल (रीजेंट 5 एफएस) @ 0.3 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद प्रति किलो बीज) से बीज उपचार भी बहुत प्रभावी साबित होता है। यह उपाय फसल को दीमक के नुकसान से बचाने में मदद करता है।

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