फसल की खेती (Crop Cultivation)

महंगे बीज के बावज़ूद नहीं घटेगा सोयाबीन का रकबा

सोयाबीन बुवाई पर किसानों से चर्चा

( विशेष प्रतिनिधि)

19 जून 2021, इंदौर।  महंगे बीज के बावज़ूद नहीं घटेगा सोयाबीन का रकबा – इस वर्ष के खरीफ सत्र में सोयाबीन की बुवाई की संभावनाओं को लेकर कृषक जगत ने सोयाबीन उत्पादक किसानों और बीज विशेषज्ञ से चर्चा की, जिसका यह निष्कर्ष निकला कि सोयाबीन का बीज महंगा होने के बावजूद इसका रकबा कम ही घटेगा। प्रदेश की राजधानी भोपाल के आसपास के जिलों में इसका रकबा कम हो सकता है, लेकिन प्रमुख उत्पादक मालवा क्षेत्र में इसका दूसरा विकल्प नहीं होने से ज्यादातर क्षेत्र में सोयाबीन की ही बुवाई की जाएगी। इंदौर संभाग की बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं के पास सोयाबीन का प्रमाणित बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

टकरावदा (धार) के उन्नत किसान श्री मनोहर चंदेल ने मालवा क्षेत्र में सोयाबीन का रकबा कम होने से इंकार करते हुए कहा कि मालवा क्षेत्र में इसका कोई विकल्प ही नहीं है द्य जिन जिलों में सोयाबीन में वायरस का प्रकोप देखा गया था, वहां कुछ रकबा कम हो सकता है अथवा किसान किस्म बदल सकते हैं। बीज महंगा होने के बावज़ूद रकबा कम नहीं होगा। ऐसे ही विचार जिला धार के लोहारी (लेबड़) के किसान श्री बनेसिंह, बिजूर के श्री दिनेश कामदार, बालाखेड़ा (देवास) के श्री भारत सिंह झाला और नलकुई (रतलाम) के श्री पूनमचंद प्यारचंद पाटीदार ने व्यक्त किए। श्री बनेसिंह गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी 100 बीघे में, श्री कामदार 50 बीघे में और श्री झाला 22 बीघे में और श्री पाटीदार 15 बीघे में पुन: सोयाबीन ही लगाएंगे। मक्का की फसल में फॉल आर्मी वर्म का खतरा, कटाई के समय बारिश होने पर भुट्टों को सुखाने की समस्या और कम मूल्य मिलने जैसे कारणों से इनका मक्का के प्रति रुझान कम दिखा। जबकि सोयाबीन की कटाई के तुरंत बाद थ्रेशर से फसल निकाल कर खेत का उपयोग किया जा सकता है।

वहीं बिसलवासकलां (नीमच) के श्री बंशीलाल पाटीदार ने पिछले साल 30 बीघे में सोयाबीन बोई थी, जिसका रकबा कम करके प्याज और उड़द की बुवाई करेंगे। जबकि कालापीपल (शाजापुर) के श्री विनोद परमार ने कहा कि भोपाल, सीहोर, विदिशा आदि जिलों में सोयाबीन का रकबा कम होकर धान का रकबा बढ़ रहा है। वे खुद इस साल 30 के बजाय 20 बीघा में सोयाबीन लगाएंगे और शेष 10 बीघे में मक्का और अन्य फसल लेंगे। रोहनकलां (उज्जैन) के लघु कृषक श्री भेरूलाल परमार ने कहा कि गत वर्ष 3 बीघा में लगाई सोयाबीन में बहुत घाटा हुआ था इसलिए इस साल बीज भी महंगा होने से सोयाबीन से दूर रहने में ही समझदारी है। वे इस साल प्याज लगाने का विचार कर रहे हैं। स्मरण रहे कि इस वर्ष बीज संघ /निगम ने सोयाबीन बीज का भाव 7500 रु./क्विंटल निर्धारित किया है, जबकि राष्ट्रीय बीज निगम/नाफेड से 8500 रु./क्विंटल पर बीज मिलने की सम्भावना है। खुले बाजार में सोयाबीन बीज 10,500 से 11000 रु./क्विंटल बिकने के आसार हैं।

वहीं दूसरी ओर बीज विशेषज्ञ श्री जे.के. अग्रवाल ने कृषक जगत को बताया कि सोयाबीन के अलावा खरीफ में कोई विकल्प नहीं है। कपास में दवाई और श्रम लागत ज्यादा होने से मुनाफा कम मिलता है। कपास की चुनवाई 15 रु.किलो देनी पड़ती है। गत वर्ष बारिश ज्यादा होने से सोयाबीन की फसल खराब हुई थी। सोयाबीन बीज की कोई कमी नहीं है। बीज उत्पादक कंपनियां ग्रेडिंग के बाद ऊँचे दाम पर बीज बेच रही हैं। सोयाबीन का रकबा कम नहीं होगा। इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल में तेज़ी है। प्लांटों में अभी 7200-7400 का भाव है। अनुमान है कि सोयाबीन की नई फसल आने के बाद भाव 5000 तक आ जाएंगे। 5 प्रतिशत कम-ज्यादा हो सकता है।

बीज प्रमाणीकरण संस्था के इंदौर और खंडवा रीजन में सोयाबीन का प्रमाणित बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इंदौर रीजन के रीजनल मैनेजर श्री अभय जैन ने बताया कि चार जिलों इंदौर, झाबुआ, धार और अलीराजपुर जिले के लिए क्रमश: 1,25000, 20,000, 7500 और 290 कुल 1,54,790 क्विंटल बीज उपलब्ध है। वहीं खंडवा रीजन के रीजनल मैनेजर श्री पी.पी. सिंह ने बताया कि चार जिलों खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी और खरगोन के लिए अनुमानित क्रमश: 2,78,000, 2315, 27426 और 98400 क्विंटल बीज उपलब्ध है।

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