फसल की खेती (Crop Cultivation)

बीज एवं बीज की श्रेणियां

बीज क्या है, व्यवसायिक दृष्टि से बीज की परिभाषा के अंतर्गत लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न बीज के साथ-साथ फल, तना, जड़ व अन्य प्रवर्धन सामग्री से है जो अनुकूल वातावरणीय परिस्थितियों – नमी, ताप, वायु व प्रकाश की सुलभता और मृदा के संपर्क में नये पौधे में विकसित हो जाता है।

बीज और अनाज में अंतर
चूंकि अनाज और बीज के उपयोग क्ष्ेात्र अलग-अलग हैं, इसलिये उनके उत्पादन, संसाधन, उपचार तथा भंडारण की विधियों में अंतर हो जाता है।

Advertisement
Advertisement

उद्देश्य
अनाज के लिये उगाई जाने वाली फसलों में अधिकाधिक उत्पादन प्राप्त करना ही प्रमुख लक्ष्य होता है, अत: बीज के संबंध में कोई भ्ी जानकारी प्राप्त नहीं की जाती, जबकि बीज उत्पादन के लिये किसी स्वीकृत या मान्य स्त्रोत से आधार या प्रजनक बीज प्राप्त किया जाता है और बीज फसल को उगाने और कटाई के बाद संसाधन व भंडारण आदि क्रियाओं के दौरान संदूषण के सभी संभव स्त्रोतों और कारकों को यथासंभव दूर रखने का प्रयत्न किया जाता है, साथ ही बीज उत्पादन की वे मानक विधियां अपनानी आवश्यक होती है, जिनसे उत्पादित बीज उच्च गुणता वाला हो सके।

गुणता
अनाज के लिये उसकी आनुवांशिक शुद्धता, अंकुरण प्रतिशत, कीट, क्षति आदि के विषय में कोई ध्यान नहीं दिया जाता। उसमें केवल पौष्टिकता ही सर्वोपरि है, जबकि अच्छा बीज वही माना जाता है, जिसकी आनुवांशिक शुद्धता शत-प्रतिशत हो, अंकुरण क्षमता ऊंची हो, भौतिक शुद्धता भी अच्छी हो अर्थात उसमें, अन्य बीज व अक्रिय पदार्थ न हो, कीड़ों और रोगों से शुरू हो एवं उसमें जीवन शक्ति व औज भरपूर हो।

Advertisement8
Advertisement

शुद्ध बीज के लक्षण
बीज की भौतिक शुद्धता – किसी भी फसल/किस्म के बीजों में दूसरी फसल या खरपतवार के बीजों का मिश्रण नहीं होना चाहिये।

Advertisement8
Advertisement

बीज की जीवन क्षमता
सामान्तया एक परिपक्व बीज चमकीला, साफ तथा भरा हुआ होता है और अपरिपक्व बीज सिकुड़े, छोटे तथा बदरंग होते हंै। कीड़ों द्वारा नुकसान पहुंचने एवं अधिक नमी तथा ताप पर भंडारण करने आदि दोषों से बीजों की जीवन क्षमता समाप्त हो जाती है।

बीज का आकार
रंग, सुडौलता व आकृति में समानतर होना चाहिये, बीजों को रोगाणु रहित होना चाहिये।

बीज की पीढिय़ां (श्रेणियां)
अन्तर्राष्ट्रीय शस्य उन्नयन संघ द्वारा शुद्ध बीज के चार वर्ग माने जाते हैं जो पीढ़ी पद्धति पर आधारित है। वास्तव में ये बीज के वर्धन की विभिन्न अवस्थाएं हैं, जिनमें उत्तरोत्तर पीढ़ी में बीज की भौतिक एवं आनुवांशिक शुद्धता में कमी आती जाती है।

प्रजनक बीज
वह बीज होता है जिसके उत्पादन का नियंत्रण संबंधित पादप प्रजनकों द्वारा पादप प्रजनन से संबंधित कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाता है। प्रजनक बीज की गुणता की देखरेख प्रजनक बीज नियंत्रण दल द्वारा की जाती है, जो एक प्रमाण पत्र प्रदान करती है। अत: यह बीज अति शुद्ध होता है। यही बीज आधार बीज के वर्धन का स्रोत है। प्रजनक बीज का उत्पादन नाभिक बीज से किया जाता है।

आधार बीज
प्रजनक बीज की मात्रा बढ़ाने के लिये जो बीज किसी अधिकृत बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में राजकीय कृषि फार्मों पर तैयार किया जाता है, आधार बीज कहलाता है। कभी-कभी यह आधार बीज को ही बढ़ाने के लिये प्रयुक्त होता है। यह प्रजनक बीज जितना शुद्ध नहीं होता।

Advertisement8
Advertisement

बीज एवं बीज की श्रेणियां
इस बीज का उत्पादन आधार बीज अथवा पंजीकृत बीज से ही किसी बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में किया जाता है जिससे बीज गुणता संतोषजनक बनी रहे। कुछ संस्थाओं के द्वारा कुछ फसलों के लिये इसका प्रयोग प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये किया जाता है। अधिकार आधार बीज ही प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये प्रयुक्त होता है। अत: वहां बीज का यह वर्ग नहीं पाया जाता है। हमारे देश में बीज का यह वर्ग प्रचलन में नहीं है।  यह बीज, आधार बीज से किसी बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में राजकीय कृषि फार्मों अथवा व्यक्तिगत उत्पादकों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप किया जाता है। जिससे आनुवंशिक शुद्धता व गुणता बनी रहे।
कभी-कभी बीज का उत्पादन स्वयं किसानों एवं किसी संस्था के द्वारा (किसी प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख के बिना) निश्चित मापदंडों को अपनाते हुये किया जाता है, तो इसे प्रमाणीकरण संस्था का प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं हो पाता, तो यह बीज सत्य अंकित (टी.एल.) बीज कहा जाता है।
यह प्रमाणित बीज जितना शुद्ध नहीं होता है।

मध्य क्षेत्र के लिए सोयाबीन की 4 किस्मों की पहचान की गई

Advertisements
Advertisement5
Advertisement