फसल की खेती (Crop Cultivation)

मॉनसून के बाद खेती की नई चुनौतियां, IARI ने बताए बचाव और बुवाई के उपाय

23 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: मॉनसून के बाद खेती की नई चुनौतियां, IARI ने बताए बचाव और बुवाई के उपाय – मानसून के आख़िरी दौर में खेतों पर से बादल छंट रहे हैं, लेकिन किसानों के लिए नई चुनौतियां शुरू हो चुकी हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कृषि भौतिकी संभाग के विशेषज्ञों ने किसानों के लिए ताजा टिप्स जारी कि है, जिसमें धान जैसी अहम् फसलों में रोगों और कीटों से बचाव पर जोर दिया गया है। साथ ही, अगेती मटर, सरसों और साग-सब्जियों की बुवाई के आसान तरीके बताए गए हैं।

ब्लास्ट और फॉल्स स्मट से सावधान

इस मोसम में धान की फसल में अलग-अलग रोगों और कीटो का खतरा बड़ जाता है। धान की खेती करने वाले किसानों के लिए ये मौसम चिंता का विषय बन सकता है। धान में ब्लास्ट रोग (जिसे बदरा भी कहते हैं) का संक्रमण तेजी से फैल सकता है। इसके लक्षण पहचानना आसान है: पत्तियों पर छोटे-छोटे आंख जैसे धब्बे दिखेंगे, जिनका अंदर का हिस्सा हल्का भूरा और बाहर का गहरा भूरा होता है। ये धब्बे बाद में मिलकर बड़ा पैच बना लेते हैं। सलाह है कि हर 2-3 दिन में खेत का निरिक्षण करें और रोग दिखते ही कार्रवाई करें।

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खासतौर पर पूसा सुगन्ध-2511 किस्म में आभासी कंड (फॉल्स स्मट) का खतरा ज्यादा है। इससे दाने फूल जाते हैं और पैदावार बर्बाद हो जाती है। रोकथाम का आसान उपाय: ब्लाइटॉक्स 50 को 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें। समय पर छिड़काव से 70-80% तक नुकसान रोका जा सकता है।

ब्राउन प्लांट हॉपर से तना छेदक तक, ये तरीके अपनाएं

धान की फसल को ब्राउन प्लांट हॉपर नाम के मच्छर जैसे कीट ने निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ये कीट पौधों के निचले हिस्से में छिपते हैं, इसलिए खेत में जाकर निचली पत्तियों की अच्छी तरह जांच करें। प्रकोप ज्यादा हो तो इमिडाक्लोप्रिड को 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़कें लेकिन आसमान साफ होने पर ही।

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तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप 4-6 प्रति एकड़ लगाएं। अगर कीटों की संख्या बढ़े, तो कार्टाप 4% दाने (10 किलोग्राम प्रति एकड़) का बुरकाव करें। ये तरीके न सिर्फ कीटों को कंट्रोल करेंगे, बल्कि फसल को स्वस्थ रखेंगे।

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मटर, सरसों, गाजर की बुवाई शुरू करें

इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई का बेस्ट टाइम है। उन्नत किस्म पूसा प्रगति चुनें। बीजों को कैप्टन या थायरम से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें, फिर राइजोबियम कल्चर का टीका लगाएं। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा करें, कल्चर मिलाकर छायादार जगह पर सुखाएं और अगले दिन बोएं  इससे जड़ें मजबूत होंगी।

सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-25, 26, 28, पूसा अग्रणी, पूसा तारक या पूसा महक के बीज जुटाएं। खेत अभी से तैयार रखें, क्योंकि ये किस्में जल्दी पककर अच्छी कीमत देंगी।

गाजर के लिए मेड़ों पर बुवाई करें, पूसा रूधिरा किस्म चुनें। बीज दर 4 किलोग्राम प्रति एकड़, लेकिन मशीन से बोने पर सिर्फ 1 किलोग्राम काफी  इससे बीज बचत और क्वालिटी बेहतर। बीजों को कैप्टन से ट्रीट करें और खेत में देसी खाद, पोटाश व फॉस्फोरस डालें।

साग-सब्जियों के लिए उथली क्यारियां तैयार करें। सरसों साग के लिए पूसा साग-1, मूली के लिए समर लॉन्ग या लॉन्ग चेतकी, पालक के लिए ऑल ग्रीन, और धनिया के लिए पंत हरितमा या संकर किस्में बोएं। ये फसलें 20-30 दिन में तैयार हो जाती हैं और बाजार में डिमांड रहती है।

दीमक से सफेद मक्खी तक: सामान्य कीटों का सफाया

फसलों और सब्जियों में दीमक का प्रकोप बढ़ सकता है। निगरानी रखें और दिखते ही क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी (4 मिलीलीटर प्रति लीटर सिंचाई पानी) दें। सफेद मक्खी या चूसक कीटों के लिए इमिडाक्लोप्रिड (1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी) का छिड़काव करें।

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मिर्च, बैंगन में फल छेदक या शीर्ष छेदक, और फूलगोभी-पत्तागोभी में डायमंड बैक मॉथ के लिए फेरोमोन ट्रैप 4-6 प्रति एकड़ लगाएं। प्रकोप पर स्पिनोसैड (1 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी) छिड़कें। मिर्च-टमाटर में वायरस रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर दफनाएं, और इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर) का इस्तेमाल करें।

देसी ट्रिक: रात में कीटों का जाल बिछाएं

कीटों से बचाव का सस्ता और इको-फ्रेंडली तरीका है प्रकाश ट्रैप। प्लास्टिक टब में पानी-कीटनाशक का घोल भरें, बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच रखें। कीट रोशनी की ओर आकर्षित होकर गिरकर मर जाएंगे  इससे कई हानिकारक कीटों का काम तमाम

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