फसल की खेती (Crop Cultivation)

गाजरघास कम्पोस्ट कैसे बनते हैं

18 अक्टूबर 2022, भोपाल: गाजरघास कम्पोस्ट कैसे बनते हैं

गाजर घास कम्पोस्ट कैसे बनते हैं, गाजर घास से कम्पोस्ट बनाने की विधि

वैज्ञानिकों द्वारा यह संतुष्टि दी जाती है कि कम्पोस्ट बनाने के लिये गाजरघास को फूल आने से पहले ही उखाड़ लेना चाहिए। फूल विहीन गाजरघास का कम्पोस्ट बनाने में उपयोग बिना किसी डर के ‘नाडेपÓ विधि या खुले गड्ढा विधि में भी किया जा सकता है। पर वास्तव में खेतों की परिस्थितियों और वातावरण में यह संभव नहीं हो पाता। 

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गाजरघास को सर्दी-गर्मी के प्रति असंवेदनशील बीजों में शुषुप्तावस्था न होने के कारण एक ही समय में फूल युक्त और फूल विहीन गाजरघास के पौधे खेतों में दृष्टिगोचर होते हैं। अत: निंदाई करते समय फूलयुक्त पौधों को उखाडऩा भी अपरिहार्य हो जाता है। फिर भी किसान भाईयों को गाजरघास को कम्पोस्ट बनाने में उपयोग करने के लिये हर संभव प्रयास करने चाहिए कि वो उसे ऐसे समय उखाड़ें जब फूलों की मात्रा कम हो। जितनी छोटी अवस्था में गाजरघास को उखाड़ेंगे उतना ही अधिक अच्छा कम्पोस्ट बनेगा और उतनी ही फसल की उत्पादकता बढ़ेगी। 

निम्नलिखित विधि द्वारा गाजरघास से कम्पोस्ट बनाई जा सकती है

– अपने खेत या भूमि पर एक उपयुक्त थोड़ी ऊंचाई वाले स्थान पर जहां पानी का जमाव न होने पावे, एक 3&6&10 फीट (गहराई &चौड़ाई&लम्बाई) आकार का गड्ढा बना लें। अपनी सुविधानुसार और खेत में गाजरघास की मात्रा के अनुसार लम्बाई चौड़ी कम कर सकते हैं पर गहराई तीन फीट से कम नहीं होनी चाहिए।

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– अगर संभव हो सके तो गड्ढे की सतह पर और साइड की दीवारों पर पत्थर की चीपें इस प्रकार लगाएं कि कच्ची जमीन पर गड्ढा एक पक्का टांका बन जाए। इसका लाभ यह होगा कि कम्पोस्ट के पोषक तत्व गड्ढे की जमीन नहीं सोख पाएगी।

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– गहरी चीपों का प्रबंध न हो पाए तो गड्ढे के फर्श और दीवार की सतह में मुगदर से अच्छी प्रकार पीटकर समतल कर लें।

– अपने खेतों की फसलों के बीच से, मेढ़ों से आसपास के स्थानों से गाजरघास को जड़ समेत उखाड़कर गड्ढे के समीप इकट्ठा कर लें।

– गड्ढे के पास 75 से 100 कि.ग्रा. कच्चा गोबर, 5-10 कि. ग्राम यूरिया या रॉक फास्फेट की बोरी, भुरभुरी या कापू मिट्टी (एक या दो क्विंटल) और एक पानी के ड्रम की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

– लगभग 50 कि. ग्राम गाजरघास को गड्ढे की पूरी लम्बाई-चौड़ाई में सतह पर फैला दें।

– 5-7 कि. ग्राम गोबर को 20 लीटर पानी में घोल बनाकर उसका गाजरघास की परत पर छिड़काव करें।

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– इसके ऊपर 500 ग्राम यूरिया 3 कि. ग्राम रॉक या फास्फेट का छिड़काव करें।

– उपलब्ध होने पर ट्राइकोडरमा विरिडी अथवा ट्राइकोडरमा हरजानिया नामक कवक के कल्चर पाउडर को 50 ग्राम प्रति परत के हिसाब से डाल दें। इस कवक कल्चर को डालने से गाजरघास के बड़े पौधों का अपघटन भी तेजी से हो जाता है एवं कम्पोस्ट शीघ्र बनती है। चूंकि दूरदराज के गांव-देहातों में इस कल्चर का मिलना कठिन होता है। इसका प्रयोग इसकी उपलब्धि पर निर्भर है।

– इस प्रकार इन सब अवयवों को मिलाकर एक परत या लेयर बना लें।

– इसी प्रकार एक परत के ऊपर दूसरी-तीसरी और अन्य परतें तब तक बनाते जाएं जब तक गड्ढा ऊपरी सतह से एक फीट ऊपर तक न भर जाए। ऊपरी सतह की परत इस प्रकार दबाएं कि सतह डोम के आकार की हो जाए। परत जमाते समय गाजरघास को पैरों से अच्छी तरह दबाते रहना चाहिए।

– अब इस प्रकार भरे गड्ढे को गोबर, मिट्टी, भूसा आदि के मिश्रण लेप से अच्छी प्रकार बंद कर दें। 5-9 माह बाद गड्ढा खोलने पर अच्छी कम्पोस्ट प्राप्त होती है। 

– उपरोक्त वर्णित गड्ढे में 37 से 42 क्विंटल ताजी उखाड़ी गाजरघास आ जाती है, जिससे 37 से 45 प्रतिशत तक कम्पोस्ट प्राप्त हो जाती है।

कम्पोस्ट की छनाई: 5 से 6 माह बाद भी गड्ढे से कम्पोस्ट निकालने पर आपको प्रतीत हो सकता है कि बड़े मोटे तनों वाली गाजर घास अच्छी प्रकार से गली नहीं है। पर वास्तव में यह गल चुकी होती है। इस कम्पोस्ट को गड्ढे से बाहर निकालकर छायादार जगह में फैलाकर सुखा लें। हवा लगते ही यह नम एवं गीली कम्पोस्ट शीघ्र सूखने लगती है। 

थोड़ा सूख जाने पर इसका ढेर कर लें। यदि अभी भी गाजरघास के रेशे युक्त तने मिलते हैं तो इसके ढेर को लाटी या मुगदर से पीट दें। जिन किसानों भाईयों के पास बैल या ट्रैक्टर हैं, वे इन्हें इसके ढेर पर थोड़ी देर चला दें। ऐसा करने पर गाजरघास के मोटे रेशे युक्त तने टूटकर बारीक हो जाएंगे, जिससे और अधिक कम्पोस्ट प्राप्त होगी।

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