फसल की खेती (Crop Cultivation)

बदलते मौसम से मैं अपनी कपास की फसल को हानिकारक कीटों से कैसे बचाऊं?

30 सितम्बर 2025, भोपाल: बदलते मौसम से मैं अपनी कपास की फसल को हानिकारक कीटों से कैसे बचाऊं? – कपास की फसल में कीट प्रकोप खासकर हरा तेला (जैसिड) रस चूसक कीट उपज को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे कीटों के नियंत्रण में देरी उपज को 20-30% तक घटा सकती है। कीटों का प्रकोप आमतौर पर कीटों के प्रसार के लिए अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण होता है। ऐसे में कीटनाशक का छिड़काव करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी स्थिति में, पौधों के लिए प्रभावी और सुरक्षित कीटनाशक का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है।

श्रीराम साइशो (Shriram Saisho) का उपयोग ऐसे समय में एक रणनीतिक समाधान है। यह कीटनाशक कीटों की चूसने की प्रवृत्ति को तुरंत रोकता है जिससे पौधे की क्षति रुकती है और उनका विकास सामान्य बना रहता है। इसके प्रभाव से कीटों की मृत्यु भी जल्दी हो जाती है। श्रीराम साइशो में एक्टिव इंग्रीडिएंट (AI) डिनोटेफ्यूरान 70% WG है, जो उत्कृष्ट और प्रभावी परिणाम देता है। यह अनेक हानिकारक कीटों से फसल को सुरक्षा देता है और कम डोज़ में भी अधिक प्रभाव देने वाला बहुआयामी कीटनाशक है। यह फसल को पूरी तरह स्वस्थ रखता है।

Advertisement
Advertisement

कपास में उपयोग विधि:

  • पहला छिड़काव बुवाई के 40 से 50 दिन के भीतर करें।
  • यदि कीटों की संख्या अधिक हो , तो दूसरा छिड़काव 12-15 दिन के भीतर करना चाहिए।
  • डोज़: 34.8 ग्राम प्रति एकड़। इसे 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव करें।

अन्य फसलों के लिए:

  • धान: भूरा फुदका (ब्राउन प्लांट हॉपर), व्हाइट बैकेड प्लांट हॉपर को नियंत्रित करता है।
  • बैंगन: हरा तेला (जैसिड) को नियंत्रित करता है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि जब कीटों की संख्या 5-10 दिखाई दे या फसल की अवस्था 40-50 दिन की हो, तब आप छिड़काव करें । यह ध्यान दे की छिड़काव के दौरान पूरे पौधे को फुहार से अच्छी तरह भिगाना आवश्यक है।

आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement