रबी सीजन में किसान जौ की किस्म BH 946 की करें खेती, 1 एकड़ में देगी 22 क्विंटल तक उपज; जानिए बुवाई का समय और खासियत
08 नवंबर 2025, भोपाल: रबी सीजन में किसान जौ की किस्म BH 946 की करें खेती, 1 एकड़ में देगी 22 क्विंटल तक उपज; जानिए बुवाई का समय और खासियत – रबी सीजन में जौ की खेती किसानों के लिए काफी अहम मानी जाती है। गेंहू और सरसों के साथ किसान बड़े पैमाने पर जौ की खेती करते हैं। अब किसान उन्नत किस्मों की खेती करना ज्यादा पसंद करते हैं, ताकि वह कम लागत पर अधिक मुनाफा काम सकें। ऐसे में आप जौ उन्नतशील किस्म BH 946 को अपने खेत में बुवाई कर सकते हैं। यह किस्म BH 946 अपनी उच्च उपज और रोग-प्रतिरोधक गुणों के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
इस किस्म से किसान 1 एकड़ में 20-22 क्विंटल तक जौ उगा सकते हैं। BH 946 की सबसे खास बात यह है कि इसके दाने अधिक और माल्ट उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। इसके साथ ही यह रोग-रोधी होने के कारण किसानों को फसल सुरक्षा पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता, जिससे लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है।
बुवाई का सही समय
बुवाई का सही समय इस किस्म की सफलता के लिए बहुत जरूरी है। बारानी यानी बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में मध्य अक्टूबर से बुवाई शुरू करना चाहिए, जबकि सिंचित क्षेत्रों में 15 नवंबर से 30 नवंबर तक बुवाई करना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
बीज की मात्रा
बीज की मात्रा क्षेत्र और बुवाई पद्धति के अनुसार अलग होती है। बारानी क्षेत्र में प्रति एकड़ 30 किलो बीज, सिंचित क्षेत्र में 35 किलो, पछेती बुवाई में 45 किलो बीज चाहिए। यदि सीड ड्रिल विधि अपनाई जाती है तो 75 किलो प्रति हेक्टेयर, और छिड़काव विधि में 100 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।
सिंचाई और देखभाल
सिंचाई और देखभाल भी उपज बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। पहली सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद और दूसरी सिंचाई 80-85 दिन बाद करनी चाहिए। समय पर सिंचाई से पौधों की वृद्धि बेहतर होती है और उपज भी अधिक मिलती है।
प्रमुख क्षेत्र
BH 946 जौ की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में की जाती है। इन राज्यों की जलवायु और मिट्टी इस किस्म के लिए अनुकूल है।
इस प्रकार, BH 946 जौ किसानों के लिए न केवल अधिक उपज और मुनाफा देने वाली है, बल्कि रोग-रोधी गुणों और माल्ट उपयुक्त दानों की वजह से यह रबी सीजन की सबसे भरोसेमंद किस्म बन गई है।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture


