फसल की खेती (Crop Cultivation)

सर्पगंधा की खेती, 18 माह में 8 से 10 लाख का लाभ

23 जुलाई 2022, इंदौर: सपने साकार करने वाली सर्पगंधा की खेती इन दिनों औषधीय खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है।अश्वगंधा की तरह ही सर्पगंधा की खेती भी बहुत लाभदायक है। अनिद्रा और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में उपयोगी इस औषधीय फसल की आयुर्वेदिक और एलोपैथी दोनों में बहुत मांग रहती है। डेढ़ साल की यह फसल 8 -10  लाख का शुद्ध मुनाफा देती है। इसकी खेती कर किसान अपने कई सपने साकार कर सकते हैं।

सर्पगंधा की खेती, लाखों देती  – सर्पगंधा का वानस्पतिक नाम राउवोल्फिया सर्पेन्टाइन है। अंग्रेजी में इंडियन स्नेक वूड या सर्पेन्टाइन वूड भी कहा जाता है। इसका रासायनिक घटक रिसर्पिन /सर्पेटिनिन  है। बहुवर्षीय इस फसल की  झाड़ियाँ एक से दो फ़ीट ऊँची रहती है। इसकी पत्तियाँ चमकीली और 3 -4 पत्तियां एक चक्र में होती है। इसके सफ़ेद-गुलाबी फूल गुच्छों में लगते हैं। यह औषधीय फसल अनिद्रा और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में उपयोगी है। इसका उपयोगी भाग इसकी जड़ है, जिसे खोदकर साफ करके धूप में सुखाकर भण्डारण किया जाता है। सर्पगंधा की बुवाई प्रायः जून -जुलाई में की जाती है। इसके लिए बलुई दोमट या काली मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 8.5 हो ,उपयुक्त रहती है। एक एकड़ में करीब 12 ,500 से 20,000 पौधे लगते हैं। खाद में जहाँ कम्पोस्ट,,जीवामृत और नीम की खली का उपयोग किया जा सकता है, वहीं कीटनाशक के रूप में गौ आधारित और जैविक निर्मित कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है।सर्पगंधा की खेती की प्रति एकड़ लागत करीब 50 हज़ार रुपए आती है,जबकि उत्पादन 8 -10  क्विंटल /एकड़ मिलता है। सूखी हुई सर्पगंधा का बाज़ार मूल्य 900 से 1000 रु प्रति किलो मिलता है। 18 माह में शुद्ध लाभ करीब 8 -10 लाख तक मिल जाता है। वस्तुतः सर्पगंधा की फसल किसानों के सपने साकार करने वाली फसल है।

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ग्रो आर्गेनिक नर्सरी , इंदौर के संचालक श्री अताउल्ला पटेल ने कृषक जगत को बताया कि इन दिनों सर्पगंधा के पौधों की बहुत मांग है। पौधों की कीमत पौधों की संख्या और दूरी पर निर्भर करती है। औसतन एक पौधा 4 रुपए में बेचा जाता है। सर्पगंधा की तैयार फसल अर्थात इसकी जड़ों के खरीदार प्रसिद्ध आयुर्वेदिक कंपनियां पतंजलि , हिमालया, इमामी आदि है। नीमच मंडी के अलावा यह मुंबई, कानपुर, दिल्ली आदि में भी बिकती है। सर्पगंधा की जड़ें न्यूनतम 800 रु किलो बिकती है।  कोरोनाकाल के समय तो यह 1200 -1300 रुपए प्रति किलो तक भी बिकी।  

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