Crop Cultivation (फसल की खेती)

उर्द (उड़द) की खेती; कृषि कार्यमाला और राज्यवार प्रमुख प्रजातियों के नाम

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भारत में खरीफ दलहन परिदृश्य-3

19 जून 2021, भोपाल ।  उर्द की खेती – उर्द लगभग 44.46 लाख हे. में उगाई जाती है। जिसमें से खरीफ के मौसम में 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र और 74 प्रतिशत से अधिक उत्पादन का योगदान होता है, रबी में शेष 20 प्रतिशत क्षेत्र और 26 प्रतिशत उत्पादन की भागीदारी होती है। खरीफ उर्द का सामान्य क्षेत्र 35.53 लाख हे. है, जो 553 किग्रा/हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 19.64 लाख टन का उत्पादन करता है। कुल उर्द के अंतर्गत खरीफ उर्द का क्षेत्रफल में लगभग 80 प्रतिशत और उत्पादन में 74 प्रतिशत योगदान है।

प्रमुख राज्य

क्षेत्राच्छादन में योगदान (93त्न) – मध्य प्रदेश 40त्न, उत्तर प्रदेश 16त्न, राजस्थान 14त्न, महाराष्ट्र 9त्न, झारखण्ड एवं गुजरात प्रत्येक 3त्न, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक प्रत्येक 2त्न, एवं आंध्र प्रदेश 1त्न
उत्पादन में योगदान (94त्न)- मध्य प्रदेश 42त्न, राजस्थान 15त्न, उत्तर प्रदेश 14त्न, महाराष्ट्र 6त्न, झारखण्ड 5त्न, गुजरात 4त्न, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश प्रत्येक 2त्न, 2018-19 के दौरान उच्चतम क्षेत्रफल 47 लाख हे था, उत्पादन 28 लाख टन और 2017-18 के दौरान 632 किलोग्राम/हे. की उत्पादकता थी।

कृषि कार्यमाला

उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश के सिंचित क्षेत्र में अल्पावधि (60-65 दिन) वाली दलहनी फसल उर्द की खेती करके किसानों की वार्षिक आय में आशातीत वृद्धि संभव है। साथ ही मृदा संरक्षण/उर्वरता को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके दाने में 24त्न प्रोटीन, 60त्न कार्बोहाईटे्रट व 1.3त्न वसा पाई जाती है।

भूमि का चुनाव एवं तैयारी

उड़द की खेती विभिन्न प्रकार की भूमि मे होती है। हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि जिसमे पानी का निकास अच्छा हो उड़द के लिये अधिक उपयुक्त होती है। पी.एच. मान 6.5-7.8 के बीच वाली भूमि उड़द के लिये उपयुक्त होती है। अम्लीय व क्षारीय भूमि उपयुक्त नही है। वर्षा आरम्भ होने के बाद दो- तीन बार हल या बखर चलाकर खेत को समतल करें। वर्षा आरम्भ होने के पहले बोनी करने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है।

उन्नतशील प्रजातियॉं

पीला चितकबरा रोग रोधी प्रजातियॉं:- वी.बी.एन.-6, वी.बी.जी.-04-008, को.-6, माश-114, माश-479, आई.पी.यू..-02-43, पंत उर्द-31, ए.डी.टी.-4, ए.डी.टी.-5, वांबन-1, एल.बी.जी.-20
शीघ्र पकने वाली:- पंत उर्द-40, प्रसाद, वी.बी.एन.-5

बुवाई का समय व तरीका

मानसून के आगमन पर या जून के अंतिम सप्ताह मे पर्याप्त वर्षा होने पर बुवाई करें। बोनी नारी से करें, कतारों की दूरी 30 सेमी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 10 सेमी. रखें तथा बीज 4-6 सेमी की गहराई पर बोयें।

बीज की मात्रा

खरीफ में उड़द का बीज 12-15 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बोयें।

बीज शोधन

मृदा एवं बीज जनित रोगों से बचाव के लिए 2 ग्राम थायरम एवं 1 गा्रम कार्बेन्डाजिम मिश्रण 2:1 प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से शोधित कर लें। इसके बाद बीज को इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लू. एस. से 7 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज के हिसाब से उपचारित करें। बीज शोधन कल्चर से उपचारित करने के 2-3 दिन पूर्व करें।

बीजोपचार

राइजोबियम कल्चर का एक पैकेट 250 ग्रा. प्रति 10 किग्रा बीज के लिए पर्याप्त होता है। 50 ग्राम गुड़ या शक्कर को 1/2 लीटर जल में घोलकर उबालें व ठण्डा कर लें। ठण्डा हो जाने पर ही इस घोल में एक पैकेट राइजोबियम कल्चर मिला लें। बाल्टी में 10 किग्रा बीज डाल कर अच्छी तरह से मिला लें ताकि कल्चर के लेप सभी बीजों पर चिपक जाएं उपचारित बीजों को 8-10 घंटे तक छाया में फेला देते हैं। उपचारित बीज को धूप में नहीं सुखायें। बीज उपचार दोपहर में करें ताकि शाम को अथवा दूसरे दिन बुआई की जा सके। कवकनाशी या कीटनाशी आदि का प्रयोग करने पर राइजोबियम कल्चर की दुगनी मात्रा का प्रयोग करें तथा बीजोपचार कवकनाशी-कीटनाशी एवं राइजोबियम कल्चर के क्रम में ही करें।

उर्वरक

एकल फसल के लिए 15 से 20 कि.ग्रा. नत्रजन, 40 से 50 कि.ग्रा. फास्फोरस, 30 से 40 ग्राम पोटाश, प्रति हे. की दर से अंतिम जुताई के समय खेत में मिला दें। उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण के आधार पर दें। नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की पूर्ति के लिए 100 कि.ग्रा डी.ए.पी. प्रति हे. प्रयोग करें। उर्वरकों को अंतिम जुताई के समय ही बीज से 5-7 से.मी. की गहराई व 3-4 से.मी. साइड पर ही प्रयोग करें।

गौण एवं सूक्ष्म पोषक तत्व

गंधक (सल्फर)- काली एवं दोमट मृदाओं में 20 कि.ग्रा. गंधक (154 कि.ग्रा. जिप्सम/फॉस्फो-जिप्सम या 22 कि.ग्रा. बेन्टोनाइट सल्फर) प्रति हेक्टर की दर से बुवाई के समय प्रत्येक फसल के लिये देना पर्याप्त होगा। कमी ज्ञात होने पर लाल बलुई मृदाओं हेतु 40 कि.ग्रा. गंधक (300 कि.ग्रा. जिप्सम/ फॉस्फो-जिप्सम या 44 कि.ग्रा. बेन्टोनाइट सल्फर) प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
जिंक -जिंक की मात्रा का निर्धारण मृदा के प्रकार एवं उसकी उपलब्धता पर के अनुसार की जानी चाहिए।
लाल बलुई व दोमट मृृदा- 2.5 कि.ग्रा. जिंक (12.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट हेप्टा हाइड्रेट या 7.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट मोनो हाइड्रेट) प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
काली मृदा- 1.5 से 2.0 कि.ग्रा. जिंक (7.5 से 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट) प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
लैटेराइटिक,जलोढ़ एवं मध्यम मृृदा- 2.5 कि.ग्रा. जिंक (12.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट हेप्टा हाइड्रेट या 7.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट मोनो हाइड्रेट) के साथ 200 कि.ग्रा. गोबर की खाद का प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
ऽ उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली तराई क्षेत्रों की मृदा- बुवाई के पूर्व 3 कि.ग्रा. जिंक (15 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट हेप्टा हाइड्रेट या 9 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट मोनो हाइड्रेट) प्रति हेक्टर की दर से तीन वर्ष के अन्तराल पर दें।
ऽ कम कार्बनिक पदार्थ वाली पहाड़ी बलुई दोमट मृदा-2.5 कि.ग्रा. जिंक (12.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट हेप्टा हाइड्रेट या 7.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट मोनो हाइड्रेट) प्रति हेक्टर की दर से एक वर्ष के अन्तराल में प्रयोग करें।
मैंगनीज-मैंगनीज की कमी वाली बलुई दोमट मृदाओं मेंं 2त्न मैंगनीज सल्फेट के घोल का बीज उपचार या मैंगनीज सल्फेट के 1त्न घोल का पर्णीय छिड़काव लाभदायक पाया गया है।
मॉलिब्डेनम-मॉलिब्डेनम की कमी वाली मृदाओं मेंं 0.5 कि.ग्रा. सोडियम मॉलिब्डेट प्रति हेक्टर की दर से आधार उर्वरक के रूप में या 0.1त्न सोडियम मॉलिब्डेट के घोल का दो बार पर्णीय छिड़काव करें अथवा मॉलिब्डेनम के घोल में बीज शोषित करें। ध्यान रहे कि अमोनियम मॉलिब्डेनम का प्रयोग तभी किया जाये जब मृदा में मॉलिब्डेनम तत्व की कमी हो।

सिंचाई

सामान्यत: खरीफ की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। यदि वर्षा का अभाव हो तो एक सिंचाई फलियाँ बनते समय अवश्य दें।

खरपतवार नियंत्रण

बुआई के 25 से 30 दिन बाद तक खरपतवार फसल को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हैं यदि खेत में खरपतवार अधिक हैं तो 20-25 दिन बाद एक निराई कर दें। जिन खेतों में खरपतवार गम्भीर समस्या हों वहां पर बुआई से एक दो दिन पश्चात पेन्डीमेथालीन की 0.75-1.00 किग्रा सक्रिय मात्रा को 400-600 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करना लाभप्रद रहता है।

राज्यवार प्रमुख प्रजातियाँ
राज्य प्रजातियां
आन्ध्रप्रदेश पंत उर्द-31, आई.पी.यू. 2-43, एल.बी.जी. 685, एल.बी.जी. 625 
असम डब्लू.बी.यू.-108, आई.पी.यू.-94-1 (उत्त्तरा), पंत उर्द-30 
बिहार एवं झारखंड पंत उर्द-31,  डब्लू.बी.यू.-108, आई.पी.यू.-94-1 (उत्तरा), पंत उर्द- 30, बिरसा उर्द-1
गुजरात के.यू. 96-3, टी.पी.यू.-4, ए.के.यू.-4 (मेलघाट), जी.यू. 1, के.यू.जी. 479, यू.एच. 01, माश-414,
हरियाणा के.यू.-300 (शेखर 2), आई.पी.यू.-94-1 (उत्तरा), 
हिमाचल प्रदेश पंत उर्द-31, पंत उर्द-40
कर्नाटक आई.पी.यू. 02-43, डब्लू.बी.यू.-108, के.यू.-301, एल.बी.जी. 402
मध्यप्रदेश एवं  पंत उर्द-30, जवाहर उर्द 3, के.यू. 96-3, टी.पी.यू. 4, जवाहर उर्द 2,
छत्तीसगढ़  खरगोन 3
महाराष्ट्र के.यू. 96-3, टी.पी.यू.-4, ए.के.यू.-4 (मेलघाट), ए.के.यू.-15
ओडीशा आई.पी.यू. 02-43, डब्लू.बी.यू.-108, के.यू. 301
पंजाब डब्लू.बी.यू.-108, आई.पी.यू. 94-1 (उत्तरा), माश-338, माश-414
राजस्थान पंत उर्द-31, डब्लू.बी.यू.-108, आई.पी.यू.94-1 (उत्तरा)
उत्तर प्रदेश  पंत उर्द-40,  डब्लू.बी.यू.-108, आई.पी.यू.94-1 (उत्तरा), नरेन्द्र 
एवं उत्तराखंड उर्द-1
तमिलनाडू आई.पी.यू. 02-43, वांबन-4, वंबन-7
पश्चिम बंगाल पंत उर्द-31, डब्लू.बी.यू.-108, आई.पी.यू.94-1 (उत्तरा)

स्त्रोत:- सीडनेट, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय , भारत सरकार एवं भा.द.अनु.सं.-भा.कृ.अनु.प., कानपुर।

खरीफ  उर्द परिदृश्य
                                 (क्षेत्र-लाख हे., उत्पादन- लाख टन, उपज-किग्रा/हे.)
राज्य   सामान्य   2019-20   2020-21 (डीईएस)  
            द्वितीय अग्रिम अनुमान
  क्षेत्र उत्पादन उपज क्षेत्र उत्पादन क्षेत्र उत्पादन
मध्य प्रदेश  14.38 8.29 577 17.62 4.63 12.76 5.74
राजस्थान  5.13 2.86 558 5.02 1.24 4.11 2.37
उत्तर प्रदेश  5.54 2.78 501 5.19 2.13 5.08 2.82
महाराष्ट्र  3.24 1.22 378 3.41 1.51 3.9 2.58
झारखण्ड    1.24 1.06 856 1.28 1.12 1.32 1.16
गुजरात  1.11 0.7 627 0.86 0.52 1 0.65
तमिलनाडु  0.59 0.48 803 0.43 0.36 0.37 0.26
पश्चिम बंगाल  0.65 0.45 690 0.67 0.45 0.68 0.49
कर्नाटक  0.88 0.37 425 0.65 0.32 0.76 0.42
आंध्र प्रदेश   0.38 0.31 820 0.15 0.14 0.32 0.23
अन्य  2.39 1.12 469 1.74 0.88 1.78 0.97
अखिल भारतीय 35.53 19.64 553 37.02 13.3 32.08 17.71
स्रोत: आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय, भारत सरकार, सामान्य औसत 2014-15 से 2018-19
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