फसल की खेती (Crop Cultivation)

जायद में मूंग की खेती

17 फ़रवरी 2025, भोपाल: जायद में मूंग की खेती – जहाँ सिंचाई की पूर्ण सुविधा हो वहाँ पर वर्ष में तीसरी फसल के रूप में जायद मूंग की खेती की जा सकती है। इसकी खेती किसान को अतिरिक्त आय देने के साथ भूमि की उर्वराशक्ति बनाये रखने में सहायक है।

किस्में: गंगा – 8 (गंगोत्री), पी.डी.एम. 139, आई.पी.एम. 02-03 (2009), आई.पी.एम. 02-14 (2010), के. 851 (1982), पी. डी. एम.-11 (1987), पूसा विशाल (2001), समर मूंग लुधियाना (एस.एम.एल.)-668 (2003)।

Advertisement
Advertisement

बीज उपचार: मूंग में इमिडाक्लोप्रिड 5 ग्राम/किलो बीज दर के हिसाब से बीजोपचार करके बुवाई करें।

खेत की तैयारी: रबी की कटाई के तुरन्त बाद भूमि की आवश्यकतानुसार एक बार जुताई कर खेत को तैयार करें। अंतिम तैयारी के समय ध्यान रखें कि भूमि समतल हो जाए तथा जल निकास अच्छा हो।

Advertisement8
Advertisement

भूमि उपचार: बुवाई से पहले प्रति किलो बीज को तीन ग्राम थायराम एवं बाविस्टीन से उपचारित करें।

Advertisement8
Advertisement

राइजोबियम कल्चर से उपचार: दलहनी फसलों के बीजों को राईजोबियम से उपचारित करने से अधिक पैदावार होती है। आवश्यकतानुसार गरम पानी में 250 ग्राम गुड़ मिलाकर घोल बनाएँ तथा ठंडा होने पर 600 ग्राम जीवाणु संवर्ध मिला दें। इस मिश्रण की एक हेक्टेयर में बोये जाने वाले बीजों पर भली-भाँति परत चढ़ा दें व छाया में सुखाकर बुवाई करें।

उर्वरक: जायद मूंग हेतु 20 किलो नत्रजन व 40 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। उर्वरक की पूरी मात्रा बुवाई के समय ऊर कर दे दें।

बीज एवं बुवाई: जायद मूंग की अधिकतम पैदावार के लिए इसकी बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च तक का समय उपयुक्त रहता है। बुवाई हेतु 15-20 किलो बीज की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। कतार से कतार की दूरी 25 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें।

सिंचाई: फूल आने से पूर्व तथा फलियों में दाना बनते समय सिंचाई अत्यन्त आवश्यक है। तापमान एवं भूमि में नमी के अनुसार अतिरिक्त सिंचाई दें।

निराई-गुड़ाई: आवश्यकतानुसार खरपतवार निकालते रहें। 30 दिन की फसल होने तक निराई-गुड़ाई कर दें। बुवाई के पूर्व खरपतवारनाशी फ्लूक्लोरोलीन 0.75 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाने के बाद बुवाई करने से खरपतवार पर प्रभावी नियंत्रण रहता है जिससे अधिक पैदावार मिलती है।

Advertisement8
Advertisement

फसल कटाई: फलियों के झड़कर गिरने से होने वाली हानि को रोकने के लिये फसल पकने के बाद किन्तु दाने झडऩे से पहले कटाई कर लें। इसके बाद एक सप्ताह तक सुखा कर गहाई करके दाना निकाल लें।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement