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दलहन उत्पादन कर अधिक लाभ कमाएं : श्रीमती चिटनिस

बुरहानपुर। दलहनी फसलें अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली और तिल की कास्त लागत कम है। यदि जलमान की बात करें तो परम्परागत फसलों केला-गन्ना की 250 सेमी प्रति हेक्टेयर की तुलना में दलहनी फसलों का 15-20 सेमी है। वर्षा की स्थिति

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देश को दूसरी हरित क्रांति की जरूरत : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गत दिनों कहा कि बढ़ती जनसंख्या और तेजी से खंडित हो रही भूमि-जोत के कारण देश में बिना देरी किए दूसरी हरित क्रांति का लाया जाना समय की जरूरत है और यह केवल

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एफएआई ने की महाधन पुरस्कारों की घोषणा

पुणे। दि फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के पश्चिमी क्षेत्र की वार्षिक बैठक पुणे में गत 23 जून को आयोजित की गई। वर्ष 2014-15 में उर्वरक उद्योग के हालातों की समीक्षा और भविष्य पर चर्चा करते हुए इस बैठक का

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दलहन-तिलहन की बुवाई में तेजी

खरीफ बोनी 306 लाख हेक्टेयर पार (विशेष प्रतिनिधि) नई दिल्ली/भोपाल। देश में गत माह हुई अच्छी बारिश के चलते चालू खरीफ मौसम में अभी तक दलहनों-तिलहनों, कपास और मोटे अनाजों की बुवाई आगे चल रही है। कुल खरीफ बुवाई 306

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अगले पांच वर्षों में सिंचाई के लिए 50 हजार करोड़ खर्च करेगी सरकार

नई दिल्ली। कृषि की मानसून पर निर्भरता को कम करने के लिए केंद्र ने हर गांव तक सिंचाई सुविधा पहुंचाने के लिए पचास हजार करोड़ की योजना को मंजूरी दे दी है। इसमें मौजूदा समय में चल रही योजनाओं को

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बरसात की पहली फुहार और किसान अपने खेत में

सूखी धरती खुला आसमान की तरफ बरसात के इन्तजार में आंख गढ़ाए बैठा किसान मानसून के दस्तक देते ही उसकी आंखों में जैसे एक आशा की किरण जगने लगी। मानसून के दस्तक से प्रकृति ने अंगड़ाई लेना प्रारंभ किया तो

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दूध उत्पादन के लिए गायों की प्रमुख प्रजातियां

साहीवाल : दुग्ध उत्पादन के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध इस प्रजाति की उत्पत्ति पाकिस्तान के मोंटगोमरी जिले में मानी जाती है। इस प्रजाति की गाएं लाल रंग की ढीली त्वचा वाली होती है। इनका शरीर लंबा किंतु टांगे छोटी होती हैं।

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गन्ना किसानों को तोहफे से शक्कर कारखाने नहीं संतुष्ट

नई दिल्ली। गन्ना किसानों के 21,000 करोड़ रुपये के बकाये का एक हिस्सा चुकाने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज बेहद आसान शर्तों पर मुहैया कराने का फैसला किया है। लेकिन यह रकम

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किष्किंधा कांड से कलयुग तक खरपतवार

फसल के शत्रु खरपतवार की उत्पत्ति धरा पर खेती के सैकड़ों वर्ष पहले से ही हो गयी थी, यही कारण है कि प्रकृति के अतिरेक से खेती, अनुराग से, अनुकूलता से कृषि की तुलना में अधिक सम्पर्क में रहे, पले-पुसे,

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गाजरघास का असर दलहनी फसलों पर

पारथेनियम (गाजरघास)पर लगातार किए जा रहे शोध कार्यो से हाल ही में एक नतीजा सामने आया कि पारथेनियम नामक खरपतवार केवल मानव अथवा पशुओं के स्वास्थ्य पर ही बुरा असर नहीं डाल रहा है बल्कि इसका सर्वाधिक प्रभाव दलहनी फसलों

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