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पशुपालन (Animal Husbandry)

बरसात में पशु चारे का सही भंडारण और सड़न से बचाव

लेखक: डॉ. श्रुति गर्ग और डॉ. महेन्द्र सिंह मील, वेटरनरी कॉलेज, नवानिया, वल्लभनगर, उदयपुर

12 जून 2025, भोपाल: बरसात में पशु चारे का सही भंडारण और सड़न से बचाव – भारत में पशुपालन ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग है और पशुओं के समुचित पोषण के लिए चारा एक महत्वपूर्ण संसाधन है। वर्षा ऋतु में चारे का भंडारण और उसका संरक्षण चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाता है क्योंकि अत्यधिक नमी, फफूंदी, कीट व बैक्टीरिया के कारण चारा जल्दी सड़ सकता है। सड़ा हुआ या खराब चारा पशुओं के लिए हानिकारक होता है, जिससे दूध उत्पादन घट सकता है और पशु बीमार भी हो सकते हैं। अतः यह आवश्यक है कि बरसात के मौसम में चारे का सही ढंग से भंडारण करें और सड़न से बचाव के उपाय अपनाएं।

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वर्षा ऋतु में चारे के खराब होने के कारण

  • अत्यधिक नमी और सीलन – वर्षा के कारण वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाती है जिससे चारे में नमी प्रवेश कर जाती है।
  • ठीक से सूखाया न जाना – अगर चारा पूरी तरह से सूखा नहीं है और भंडारण कर दिया जाए, तो वह सड़ने लगता है।
  • भंडारण स्थान का गलत चयन – खुले, गीले या निचले स्थानों पर रखा गया चारा अधिक जल्दी खराब होता है।
  • फफूंद और कीट संक्रमण – गीले चारे में फफूंद (उवनसक) जल्दी लगती है, जो पशुओं के लिए विषैली हो सकती है।
  • अस्वच्छता और गंदगी – साफ-सफाई न रखने से चारे में कीड़े-मकोड़े और चूहे प्रवेश कर जाते हैं।

चारे का सही भंडारणः आवश्यक सावधानियाँ

भंडारण स्थल का चयन

  • चारा रखने के लिए ऐसी जगह चुनी जाए जो ऊँची, सुखी, और हवादार हो।
  • भंडारण कक्ष के फर्श को पक्का और थोड़ा ऊँचा बनाना चाहिए ताकि पानी अंदर न आए।
  • छत से पानी रिसाव रोकने के लिए उचित मरम्मत जरूरी है।

सांठों का उपयोग करें

  • सूखे चारे को बाँस, लकड़ी या ईंटों की मदद से बनाए गए सांठों (रैक) पर रखें।
  • यह जमीन की नमी को चारे तक पहुँचने से रोकता है।

चारे के सड़ने से होने वाले नुकसान

  • सड़े हुए चारे में अफ्लाटॉक्सिन, मायकोटॉक्सिन जैसी हानिकारक फफूंद विषाक्तियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • पशुओं में अपच, पेट के रोग, दूध में गिरावट, और कभी-कभी गर्भपात तक हो सकता है।
  • बछड़ों और गायों में लिवर व किडनी की समस्याएँ हो सकती हैं।

बरसात में चारे की सुरक्षा के अन्य उपाय

  • चारे के ऊपर पानीचतवव िप्लास्टिक की शीट या तिरपाल से कवर अवश्य करें।
  • समय-समय पर चारे की जांच करें, अगर कोई ढेर गर्म हो रहा हो, तो उसे फैलाकर दोबारा सुखा लें।
  • भंडारण क्षेत्र में नमक का छिड़काव करने से कीटों को दूर रखा जा सकता है।
  • नीम की सूखी पत्तियों का प्रयोग चारे में मिलाकर संक्रमण से बचा जा सकता है।

सिलेज निर्माणः बरसात में हरे चारे का संरक्षण

  • अगर हरा चारा अधिक मात्रा में उपलब्ध है, तो उसे सिलेज के रूप में सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • सिलेज पिट या ड्रम सिलेज बनाकर चारे को प्लास्टिक की शीट से अच्छी तरह बंद कर दें।
  • यह विधि 6 से 12 महीने तक चारे को सुरक्षित रख सकती है।

भूसे व सूखे चारे के लिए परंपरागत भंडारण विधियाँ

  • बाँस या लकड़ी के तख्तों पर भूसे की ढेर बनाएं जो जमीन से कम से कम 1 फीट ऊपर हो।
  • ऊपर से तिरपाल या पॉलिथीन शीट से ढकें ताकि बारिश का पानी चारे को न भिगो पाए।
  • भूसे की भुंजियाँ (इनदकसमे) बनाकर रस्सी से कसकर बांधें और उन्हें वर्टिकल स्टैक में जमाएं।

चारे को पूरी तरह सूखा कर ही रखें

  • हरा चारा या घास काटने के बाद उसे कम से कम 3 – 5 दिन धूप में सुखाएं।
  • सुखाने के बाद हाथ से मसलने पर अगर चारा क्रैकिंग साउंड करे, तो समझें वह सूख चुका है।

पशुपालकों के लिए उपयोगी सुझाव

  • बारिश शुरू होने से पहले ही चारे का उचित भंडारण सुनिश्चित करें।
  • हर 15 – 20 दिन में चारे की स्थिति की जांच करें।
  • हरे चारे का बचा हुआ भाग बिना खराब हुए सिलेज में परिवर्तित करें।
  • सड़े हुए चारे को पशुओं को कभी न खिलाएं – उसे तुरंत नष्ट करें।
  • सरकारी या निजी संस्थानों से भंडारण तकनीकों की जानकारी लेकर अपने गाँव में उसका अभ्यास करें।

वर्षा ऋतु में पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता और गुणवत्ता दोनों बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। थोड़ी-सी सावधानी और प्रबंधन के द्वारा हम बरसात में चारे को सड़ने से बचा सकते हैं और अपने पशुओं को स्वस्थ, उत्पादक और सुरक्षित रख सकते हैं। यह न केवल पशुपालक की आमदनी में वृद्धि करेगा, बल्कि पूरे परिवार की आजीविका को भी मजबूती प्रदान करेगा।

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