मुर्गियों का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये गर्मी से बचाव
- डॉ एस. के. खऱे,
वैज्ञानिक पशुपालन - डॉ. बी. एस. किरार,
वरिष्ठ वैज्ञानिक
1 जून 2021, मुर्गियों का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये गर्मी से बचाव – स्वस्थ एवं निरोग पक्षी ही सफल मुर्गीपालन का आधार है। गर्मियों में अधिकतर मुर्गियां परेशान हो जाती है क्योंकि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है वैसी ही न सिर्फ अण्डा उत्पादन में कमी बल्कि मुर्गियों में मृत्यु दर भी बढ़ जाती है कारण मुर्गी कम खाना खाती है। आहार कम खाने से अण्डा उत्पादन कम होने के साथ-साथ अण्डों का आकार भी छोटा हो जाता है एवं अण्डों के ऊपर का कवच कमजोर व पतला हो जाता है जिससे मुर्गी पालक को काफी हानि होती है जब मुर्गीशाला का बाहरी तापमान 39 डिग्री सेण्टीग्रेड से अधिक होने लगता है तब मुर्गियां बहुत परेशान हो जाती है। इस स्थिति को हीट स्ट्रोक कहते हैं। इसमें मुर्गियां चोंच खेालकर हॉफती है कमजोर हो जाती है, लडख़ड़ाने लगती है एवं लकवा होने से मर जाती है अत: मुर्गियों को तेज गर्मी से बचाने के लिये निम्न उपाय किये जाने चाहिये –
आहार
गर्मी के मौसम में आहार खपत में कमी आ जाती है। अत: आहार में प्रोटीन, विटामिन व मिनरल की मात्रा ज्यादा होनी चाहिये ताकि कम खाने पर भी आवश्यक पोषक तत्व मुर्गी को प्राप्त हो सके। गर्मी में अण्डों का छिलका पतला होने से बचाने के लिये आहार में कैल्सियम की मात्रा बढ़ा दें। इसके लिये दाने में ऑस्टो कैल्शियम लिक्विड पानी में दिया जा सकता है।
पानी
गर्मी में मुर्गियों में पानी की खपत दुगुनी हो जाती है। इसके लिये मुर्गी घर में हर समय स्वच्छ एवं ठंडा जल उपलब्ध रहना आवश्यक है। पानी के बर्तन प्लास्टिक एवं जस्ते के होने की बजाय मिट्टी के होने चाहिये क्योंकि इसमें पानी ठण्डा रहता है।
लीटर (बिछावन)
गर्मी में मुर्गी के बिछावन (लीटर) की मोटाई 2 इंच से अधिक नहीं हो। यदि लीटर पुराना हो गया हो तो उसे हटाकर नया लीटर काम में लें।
रोशनी
मुर्गियां ठण्डे समय में दाना खाना पसंद करती है। अत: दिन की रोशनी के अलावा बिजली की रोशनी सुबह के ठण्डे मौसम में ज्यादा दें ताकि मुर्गियां आहार का पूर्ण उपयोग कर सके। सामान्यत: मुर्गियां 60 डिग्री से 80 डिग्री के बीच का तापमान पसन्द करती है क्योंकि इस तापक्रम पर मुर्गियों की खुराक व अण्डा उत्पादन की दर अधिकतम होती है। इससे अधिक तापमान होने से मुर्गियों का खाना व अण्डा उत्पादन कम हो जाता है ।
अत: तापमान अधिक होने से निम्न उपायों द्वारा उसे कम करके अधिक उत्पादन लिया जा सकता है।
- कुक्कुट शाला की छत की बाहरी परत पर सफेद पेण्ट कर दें जिससे सूर्य की किरणें छत से टकराकर वापस लौट जायें।
- छत पर एस्बेस्टास की शीट भी लगाई जा सकती है ताकि छत गरम होने से बच सके।
- खिड़कियों से उसे 3-5 फीट की दूरी पर टाट के पर्दे लगाकर एवं उनमे पानी का छिड़काव करके मुर्गीघर को ठण्डा किया जा सकता है।
- यदि फोगर्स की सुविधा उपलब्ध हो तो इसके द्वारा भी कुक्कुट शाला का तापमान कम किया जा सकता है आवश्यकता पडऩे पर पंखे एवं कूलर का भी उपयोग किया जा सकता है ।
- हीट-स्ट्रोक लक्षण वाली मुर्गियों के बचाव के लिये मुर्गियों को चील्ड वाटर मुंह में डालेें, मुर्गियों में ठण्डा पानी का छिड़काव करें एवं इलेक्ट्राल पाउडर का उपयोग पानी के साथ किया जा सकता है 0। इण्डियन हब्र्स का जीट्रेस प्रयुक्त किया जाये तो यह सभी प्रकार के तनावों व हीट-स्ट्रोक का समाधान कर देता है।