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बीएएसएफ के स्टैंड आउट से करें खरपतवारों की रोकथाम

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इंदौर। खरपतवार फसलों से तीव्र प्रतिस्पर्धा करके भूमि में निहित नमी एवं पोषक तत्वों के अधिकांश भाग को शोषित कर लेते हैं, फलस्वरूप फसल की विकास गति धीमी पड़ जाती है तथा पैदावार कम हो जाती है। खरपतवारों की रोकथाम से न केवल फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है, बल्कि उसमें निहित प्रोटीन, तेल की मात्रा एवं फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है। सोयाबीन की खेती में भी खरपतवार एक बड़ी समस्या है।
खरपतवारों की रोकथाम के लिए बीएएसएफ के खरपतवारनाशी स्टैंड आउट ने एक नई पहचान कायम की है। लंबी अवशेषकारी क्रियाशीलता तथा पत्तियों एवं जड़ों दोनों तरफ से ग्रहण किए जाने के अपने विशिष्ट गुण के कारण स्टैंड आउट खरपतवारों की लंबे समय तक रोकथाम करता है। इससे फसल के साथ उगे हुए एवं कुछ समय बाद उगने वाले दोनों खरपतवारों का निर्मूलन होता है। 50 ग्राम स्टैंड आउट को 9.5 लीटर पानी में मिलाकर 3 मिनट तक रखें। 30 सेकंड तक लकड़ी से हिलाएं। इस घोल में 300 ग्राम सायबूस्ट को अच्छी तरह मिलाएं। इसके पश्चात सायस्प्रेड 225 मिली मिलाएं। इस तरह लगभग 10 लीटर का स्टॉक घोल तैयार हो जाएगा। इस स्टॉक घोल में से 1 लीटर मात्रा एक टैंक में डालकर साफ पानी से भर दें। एक एकड़ रकबे में इस घोल की 150 लीटर मात्रा का समान रूप से अच्छी तरह छिड़काव किया जाना चाहिए। जब चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार 2-3 पत्ती की अवस्था में हों तथा घास कुल के खरपतवारों की लंबाई 2-3 इंच की हो तब स्टैंड आउट का छिड़काव खासा प्रभावकारी होता है। यह एक ही छिड़काव में चौड़े पत्तों वाले जैसे सांवा, बोखना, कुंजरू, दिवालिया, आधाशीशी, चौलाई, बड़ी दूधी, छोटी दूधी, चिरपोटा, चेंच एवं घास कुल के खरपतवारों की रोकथाम करता है। इस प्रकार स्टैंड आउट द्वारा उपचारित सोयाबीन फसल से किसानों को स्वस्थ एवं अधिक मात्रा में लाभकारी उत्पादन मिलता है।

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