सौर ऊर्जा : डेयरी फार्म के लिए वैकल्पिक स्त्रोत
- डॉ. कुशल सान्डे , इंजी. सपना जैन , डॉ. अशोक अग्रवाल ,
- डॉ. राघवेन्द्र साहू , डॉ. चंद्रहास साहू
दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
8 मार्च 2021, रायपुर । सौर ऊर्जा : डेयरी फार्म के लिए वैकल्पिक स्त्रोत – पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग रहा है। दुग्ध उत्पादन के मामले में भारतवर्ष अग्रणी देशों में से है। डेयरी फार्म में दुधारू पशुओं का रखरखाव, उनका उचित प्रबंधन, दुग्ध उत्पादन एवं विपणन आदि गतिविधियाँ संपादित की जाती हैं। वाणिज्यिक स्तर पर डेयरी फार्म में ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता है। पशुओं के हरे चारे की व्यवस्था के लिए चारा कटाई मशीन को चलाने, पानी की व्यवस्था हेतु पम्प को चलाने, दुग्ध शीतलीकरण यंत्रों को चलाने, प्रकाश व्यवस्था इत्यादि के लिए विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्राकृतिक जीवाश्म ईंधनों के खतरनाक उपयोग, विद्युत ऊर्जा की खपत व माँग में हो रही लगातार वृद्धि के कारण अब हमें ऊर्जा जरूरतों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की ओर रूख करने की आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा प्रकृति द्वारा प्रदत्त ऊर्जा का कभी न खत्म होने वाला रूप है। इसे सौर ऊर्जा, हरित ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा, स्थायी ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा भी कहा जाता है। सौर ऊर्जा, सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का एक विश्वसनीय, अप्रदूषणकारी व अटूट स्त्रोत है।
सोलर सिस्टम (सौर प्रणाली)
सूर्य के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए काम में आने वाले समुच्चय को सोलर सिस्टम कहा जाता हैं। सामान्यत: एक सोलर सिस्टम में सोलर पैनल होते हैं, इनवर्टर होता है, सोलर पैनल को कसने के लिए ढांचा होता हैए बैटरी होती है और सभी चीजों को आपस में जोडऩे के लिए तार होते हैं। भारत में दो तरह के सोलर सिस्टम मुख्यत: होते हैं ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम में सोलर सिस्टम सीधे बिजली के खंभों से जुड़ा हुआ होता है और Óटू-वे’ मीटर की सहायता से बिजली का आदान प्रदान करता है। जबकि ऑफ ग्रिड सोलर में सोलर सिस्टम स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करता है, सोलर सिस्टम को चलाने के लिए किसी भी प्रकार की अलग से बिजली की आवश्यकता नहीं होती है।
सोलर पैनल
सोलर सिस्टम का सबसे मुख्य भाग सोलर पैनल होता है। सोलर पैनल सूर्य से आने वाली किरणों को दिष्ट विद्युत धारा में परिवर्तित करता है। सोलर पैनल की कीमत लगभग पूरे सोलर सिस्टम की 40 प्रतिशत तक होती है। वर्तमान समय में भारत में दो तरह के सोलर पैनल उपलब्ध है जिसमें से एक पॉलीक्रिस्टलाइन और दूसरा है मोनोक्रिस्टलाइन। पॉलीक्रिस्टलाइन पुरानी तकनीक से बना हुआ है जो कुछ परिस्थितियों में सही ढंग से काम नहीं कर पाता है जैसे- बारिश के मौसम में और बादल होने पर। जबकि दूसरे मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल आधुनिक तकनीक पर बने हुए हैं और यह सामान्य सोलर पैनल की तुलना में ज्यादा सही तरीके से काम करते हैं। यह पैनल बारिश के मौसम और बादल होने पर भी बिजली उत्पन्न करते हैं।
इनवर्टर
इनवर्टर सोलर पैनल के बाद दूसरा मुख्य भाग है जो सोलर पैनल के द्वारा उत्पन्न हुई बिजली को दिष्ट विद्युत धारा या डीसी करंट को प्रत्यावर्ती धारा या एसी करंट में परिवर्तित करता है। सामान्य: सोलर इनवर्टर की कीमत पूरे सोलर सिस्टम की लगभग 25 प्रतिशत होती है।
बैटरी
सोलर पैनल से उत्पन्न हुई बिजली को संग्रहित करने के लिए बैटरी का प्रयोग किया जाता है क्योंकि रात्रि के समय सोलर पैनल को धूप ना मिलने के कारण सोलर पैनल काम करना बंद कर देते हैं और उस समय बिजली के लिए बैटरी की जरूरत होती है। बैटरी की संग्रहण क्षमता को दर्शाने के लिए एएच का प्रयोग किया जाता है जिसमें सामान्य 150 एएच सबसे अधिक बिकता है। 150 एएच की बैटरी से लगभग हम 3 से 4 घंटे तक 400 वाट बिजली की वस्तुओं को काम में ले सकते हैं और लगभग पूरी रात एलईडी बल्ब और पंखा चला सकते हैं।
सोलर पैनल ढंाचा
सोलर पैनल के लिए एक सही ढंाचे का प्रयोग किया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि सोलर पैनल छत पर लगाए जाते हैं और तेज हवा चलने से यह गिर कर टूट भी सकते हैं। इसके साथ-साथ सोलर पैनल को सही दिशा में और सही कोण में लगाने के लिए अच्छी गुणवत्ता के सोलर स्ट्रक्चर या ढंाचे की आवश्यकता होती है।
डेयरी फार्म में ऊर्जा की आवश्यकता
डेयरी फार्मों को विशेष रूप से शुष्क मौसम के दौरान बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पारंपरागत बिजली/विद्युत ऊर्जा का उपयोग भू-जल को पम्प करके तालाबों/टंकियों को भरने के लिए किया जाता है, जिससे कि इसका उपयोग दुधारों पशुओं की साफ-सफाई, फर्श धोने, दुग्ध उपकरणों को धोने इत्यादि के लिए किया जा सके। गर्म पानी की व्यवस्था व भारी मशीनों जैसे शीतलन प्रणाली, मोटर्स, जनरेटर इत्यादि को चलाने के लिए भी विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। दुध एंव दुग्ध उत्पादों को संरक्षित करने के लिए शीतलन प्रणाली/प्रशीतन उपकरणों को चौबीस घंटे चलाने की जरूरत पड़ती है और यह डेयरी फार्म का एक महत्वपूर्ण विद्युत भार है।
डेयरी फार्म में सौर ऊर्जा की संभावनाएं
डेयरी फार्म में सौर ऊर्जा के उपयोग से विद्युत ऊर्जा की अनुपलब्धता व आपूर्ति में बाधा से होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।
पम्पिंग के लिए सौर ऊर्जा
सोलर पम्पिंग फोटोवोल्टिक सेल के सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में से एक है। सौर फोटोवोल्टिक सेल, फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के माध्यम से प्रकाश ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है। सौर ऊर्जा आधारित सोलर पम्पों की सहायता से डेयरी फार्म में भू-जल को पम्प कर सिंचाई व्यवस्था, पानी को संग्रहीत कर उपयोग में लाने हेतु किया जा सकता है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा का उपयोग गर्म पानी के पम्प, ठड़ा पानी के पम्प, दूध पम्प इत्यादि को चलाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
सौर जल तापन प्रणाली
सौर जल तापन प्रणाली के माध्यम से डेयरी फार्म में गर्म जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। गर्म जल का उपयोग सामान्यत: दुग्ध उपकरणों की धुलाई-सफाई व निजर्मीकृत करने हेतु किया जाता है। इस प्रणाली की सहायता से पानी को 30 से 85 डिग्री तक गर्म किया जा सकता है।
दुग्ध शीतलन के लिए सौर ऊर्जा
डेयरी फार्मो में गर्मी के दिनों में दूध की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। ऊर्जा स्त्रोतों की कमी या विद्युत ऊर्जा की अनुपलब्धता में शीतलन उपकरणों को नहीं चला सकते हैं। ऐसे में दूध खराब होने से बचाने व अधिक समय तक संरक्षित रखने में सौर ऊर्जा चलित शीतलन/प्रशीतन उपकरण प्रणाली काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
डेयरी फार्म में प्रकाश व्यवस्था
सोलर प्रकाश प्रणालियाँ देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोकप्रिय हो रही हंै। ग्रामीण क्षेत्रों में, सोलर प्रकाश प्रणालियों का उपयोग पोर्टेबल लालटेन, घरों व सड़कों में प्रकाश व्यवस्था हेतु किया जा रहा है। सोलर-लाइटिंग सिस्टम का इस्तेमाल डेयरी शेड, डेयरी फार्म परिसर और मिल्क चिलिंग सेंटर में सड़क या खुले क्षेत्र को रोशन करने के लिए किया जा सकता है। सूर्य का प्रकाश शक्ति का एक प्रचुर और मुक्त स्त्रोत है और पिछले कुछ वर्षों के दौरान सौर प्रणालियों की कीमतों में नाटकीय रूप से गिरावट आयी है। विशिष्ट सौर प्रणालियों में कोई भी चलती घटक नहीं होने के कारण न्यूनतम रखरखाव की आवश्यकता होती है। केन्द्र और राज्य सरकारें दोनों ही सौर ऊर्जा उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं। कई प्रगतिशील किसान, सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर सौर प्रणालियों का उपयोग भी कर रहे हैं। केन्द्र सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान योजना शुरू की है, जिसके तहत किसानों को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। डेयरी किसान बिजली बिलों को संभावित रूप से कम कर आर्थिक लाभ उठाने के लिए, अपने डेयरी फार्मो के लिए ऊर्जा स्त्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं।