राज्य कृषि समाचार (State News)

मोहन यादव सरकार में कृषि का नया युग

उत्पादन, योजनाएं और नवाचार में जबरदस्त उछाल

18 जून 2025, भोपाल: मोहन यादव सरकार में कृषि का नया युग – मध्य प्रदेश, भारत के सबसे बड़े कृषि-प्रधान राज्यों में से एक, ने दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव के कार्यभार संभालने के बाद से कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति देखी है। उनकी सरकार ने कृषि को न केवल आर्थिक विकास का आधार बनाया, बल्कि इसे उद्योग के साथ जोड़कर किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं, जिससे उनकी आय बढ़ सके और कृषि क्षेत्र में विकास हो सके। प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। साथ ही फसलों के उत्पादन में रिकॉर्ड बनाया। प्रदेश दालों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर, खाद्यान्न उत्पादन में दूसरे स्थान पर एवं तिलहन उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। मध्यप्रदेश में अब तीसरी फसली क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हो रही है, जो प्रदेश की कृषि प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

किसानों के हित में अनेक योजनाएँ

राज्य सरकार ने किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए कई योजनाएँ चलायी हैं। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत अप्रैल 2025 में राज्य सरकार ने 85 लाख से अधिक किसानों के खाते में रू. 1704 करोड़ की पहली किस्त जारी की (प्रति किसान रु. 2000)। इसी प्रकार, मध्यप्रदेश में ग्रामीण कृषकों को स्थायी बिजली कनेक्शन मात्र रु. 5 में उपलब्ध कराने की पहल की गई है, जिससे अब तक 16,545 किसानों को सिंचाई पंप के लिए और करीब 4,000 ग्रामीण परिवारों को घरेलू कनेक्शन मिल चुके हैं।

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साथ ही, कृषि यंत्रों और ऊर्जा क्षेत्र में भी सहायताएँ हैं: राज्य ने पीएम-कुसुम योजना के तहत अगली 3 वर्षों में 32 लाख सोलर पंप वितरित करने का लक्ष्य रखा है और किसानों को इन पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जिससे किसानों को महंगी बिजली-डीजल से छुटकारा मिलेगा।

हाल में हुए कृषि उद्योग मेलों में मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पादों को मूल्यवर्धित करने और नए रोजगार के अवसर सृजित करने में मदद करना है।

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फसल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि

मध्यप्रदेश में 2024-25 के रबी सीजन में गेहूं खरीदी 76 लाख टन पार पहुँच गई, जो की पिछले 4 सालों में 13 गुना की बढ़ोत्तरी है। राज्य में 8.76 लाख पंजीकृत किसानों से 76 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है, और नवीनतम आंकड़ों के अनुसार यह आंकड़ा 81 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है।

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15 मार्च से शुरू हुई इस खरीदी में राज्य के 4,000 खरीदी केंद्रों पर पंजीकृत किसानों से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा गया। पिछले साल मध्य प्रदेश ने 5.85 लाख किसानों से 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा था अब तक किसानों को 16,472 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

सरकार की सपोर्ट प्राइस स्कीम के तहत सोयाबीन का उपार्जन किया गया, जिसमें 2 लाख 12 हजार से अधिक किसानों से 6 लाख मीट्रिक टन से अधिक सोयाबीन का उपार्जन हुआ। इस उपार्जन का मूल्य लगभग 3043 करोड़ रुपये है, जो प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी राहत है।

श्रीअन्न (मोटे अनाज) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना लेकर आई है – रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना। इस योजना के तहत, किसानों को 3900 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खाते में राशि जमा की जाएगी।

सिंचाई क्षेत्र में विस्तार

राज्य में सिंचाई सुविधा के विस्तार पर विशेष जोर दिया गया है। वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश का कुल सिंचित क्षेत्र केवल 3 लाख हेक्टेयर था, जो अब लगभग 50 लाख हेक्टेयर तक बढ़ चुका है। चल रही बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने पर 2025-26 तक यह क्षेत्र करीब 65 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है। प्रदेश सरकार ने 2028-29 तक सिंचाई क्षमता को 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है तथा वर्ष 2024-25 के बजट में इसके लिए ?13,596 करोड़ आवंटित किये हैं।

बेहतर सिंचाई सुविधाओं के कारण कई क्षेत्रों में किसान अब साल में दो की जगह तीन फसल ले पा रहे हैं। राज्य में ‘हर खेत जलÓ अभियान के तहत नए बांध, नहर, और माइक्रो-सिंचाई प्रणाली (जैसे बूंद-बूंद से अधिक उपज) पर काम जारी है, जिसका लक्ष्य सूखे क्षेत्रों में कृषि को पानी उपलब्ध कराना है।

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नदी-जोड़ो अभियान

नदी-जोड़ो अभियान के तहत केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में है। इसके पूरा होने पर मध्य प्रदेश के 10 जिलों (छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा, सागर) में लगभग 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सम्भव होगी और करीब 44 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे।

इस परियोजना में भूमिगत दबावयुक्त पाइप सिंचाई प्रणाली अपनाई जा रही है, जिससे बिजली की आवश्यकता के बिना पानी हर खेत तक पहुंचेगा। साथ ही इससे हरित ऊर्जा का योगदान भी होगा (103 मेगावाट जलविद्युत एवं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा)।

दूसरी बड़ी परियोजना पार्वती-कालिसिंध-चंबल लिंक है, जिसके लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार ने त्रिपक्षीय समझौता किया है। यह प्रोजेक्ट प्रदेश के 10 जिलों में पानी की उपलब्धता बढ़ायेगा। इन दोनों परियोजनाओं में कुल मिलाकर लगभग रू. 75,000 करोड़ निवेश होगा, जिसमें 90 प्रतिशत पूंजी केंद्र सरकार द्वारा दी जायेगी। इन पहलों से बुंदेलखंड एवं अन्य पानी-हीन क्षेत्रों में खेती के साथ उद्योग और पेयजल आपूर्ति भी सुचारु होगी।

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