किसान सावधान! चने की फसल में उकठा रोग फैलने की आशंका, कृषि विभाग ने जारी की गाइडलाइन
08 नवंबर 2025, भोपाल: किसान सावधान! चने की फसल में उकठा रोग फैलने की आशंका, कृषि विभाग ने जारी की गाइडलाइन – राजस्थान कृषि विभाग द्वारा मौसम से चने की फसल में मृदा तथा बीज जनित उखठा रोग की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार श्री संजय तनेजा के निर्देशन में चलाये गए अभियान के अन्र्तगत कृषि अधिकारी श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए अवगत करवाया की मौसम तथा अन्य अनुकूल स्थिति होने से अन्य कीट व्याधियो के साथ चने की फसल में मृदा तथा बीज जनित उखठा रोग फैलने की आशंका रहती है। यह रोग हानिकारक फफूंद फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम द्वारा फैलता है।
उन्होंने बताया कि इस रोग का यदि समय रहते उपचार नही किया जाए तो इस रोग की रोकथाम काफी दुष्कर एवं खर्चीला होने के साथ असंभव हो जाता है। इससे फसल के उत्पाद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है तथा किसानों को कृषि उत्पाद का बाजार भाव भी कम मिलता है। इस रोग के लक्षण खेत में छोटे छोटे टुकड़ों मे दिखाई देते है। प्रारम्भ मे पौधे की ऊपरी पत्तियां मुरझा जाती हैं तथा प्रभावित पौधा धीरे-धीरे पूरा सूख कर मर जाता है।
उन्होंने बताया कि जड़ के पास तने को चीरकर देखने पर वाहक ऊतकों मे कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचना के रूप में दिखाई देता है। किसान चने की फसल में उखठा रोग की रोकथाम के लिए निवारक उपाय अपना कर संभावित नुकसान से फसल को बचा सकते है। इसमें खेतो में समुचित जल-निकास की व्यवस्था रहे। साथ ही पूर्व प्रभावित क्षेत्र में फसल चक्र अपनावे। सरसों एवं अलसी के साथ चना की अन्तर फसल लगाना चाहिए। किसान रोग के संभावित क्षेत्रों में चने की रोग रोधी एवं प्रतिरोधी किस्म लगाएं। इसमें आरएसजी 888, सीएसजडी 884, आरएसजी-963, आरएसजी-945, आरएसजी-807, आरएसजी-902, आरएसजी-991, जीएनजी-1581, आरएसजी-974, सीएसजके-6, जीएनजी-1958, सीएसज-515 तथा सीएसजके-174 इत्यादि का चुनाव करें।
उन्होंने बताया कि भूमि उपचार के लिए-बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा को 100 किलो गोबर की खाद में अच्छी तरह मिलाकर 10-15 दिन तक छाया में रखें। इस मिश्रण को बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा करते समय मिट्टी में मिला दें। इसी प्रकार बीज उपचार के लिए जडगलन, सूखा जड़ गलन एवं उखठा रोगों की रोकथाम के लिये कार्बन्डाजिम एक ग्राम एवं थाईरम ढाई ग्राम या 2 ग्राम कार्बोक्सीन 37.5 प्रतिशत थाईरम 37.5 प्रतिशत 75, प्रतिशत डब्ल्यू.एस. या 10 ग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए सलाह दी जाती है कि किसान के लिए स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी एवं नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क कर परामर्श उपरांत प्रभावी उपाय अपनाकर कीट-व्याधियों की रोकथाम सम्बंधित कार्य कर सकते हैं।
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