किसान सावधान! सोयाबीन-मक्का फसलों में कीट और रोग का बढ़ा खतरा, कृषि विभाग ने बताए नियंत्रण के उपाय
26 जुलाई 2025, भोपाल: किसान सावधान! सोयाबीन-मक्का फसलों में कीट और रोग का बढ़ा खतरा, कृषि विभाग ने बताए नियंत्रण के उपाय – मध्यप्रदेश में किसानों द्वारा सोयाबीन, मक्का, मूंग, उड़द और अरहर की बोनी का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। अब खेतों में फसलें लहलहाने लगी हैं। इस समय खरपतवार प्रबंधन और कीट नियंत्रण बेहद जरूरी हो गया है। कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे डोरा या कुलपा का प्रयोग कर खरपतवार नियंत्रित करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए इन रसायनों का करें उपयोग
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास, अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बोवनी के 12 से 15 दिन बाद क्लोरीम्युरान इथाईल 25 डब्ल्यूपी + स्फेक्सेट की 36 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर तथा बेन्टाझोन 480 एसएल की 2 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। इसके अलावा, बोवनी के 15 से 20 दिन बाद इमेझेथापायर 10 एसएल की 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर तथा क्विजालोफाप इथाईल 5 ईसी की 750 से 1000 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करके प्रभावी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है।
सफेद मक्खी से फसल में पीला मोजैक रोग फैलने का खतरा
बारिश के बाद और बादल छाए रहने की स्थिति में सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ सकता है, जिससे सोयाबीन में ‘पीला मोजैक रोग’ होने की आशंका रहती है। इसके नियंत्रण के लिए निम्न रसायनों का उपयोग करें:
1. थायोमिथोक्सम 25 WP – 100 ग्राम/हेक्टेयर
2. इथोफेनप्राक्स 10 EC – 1.25 लीटर/हेक्टेयर
3. एसिटामाप्रीड 20 WP – 200-250 ग्राम/हेक्टेयर
4. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL – 10 मिली/हेक्टेयर
मक्का फसल में दिख रहा स्टेम बोरर का प्रकोप
श्री उपाध्याय ने बताया कि मक्का फसल में स्टेम बोरर कीट का हमला देखा गया है। इससे पौधे कमजोर होकर मर सकते हैं। रोकथाम के लिए निम्न दवाओं का छिड़काव करें:
1. बीटा साइक्लोथीन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% (सोलोमान) – 350 मिली/हेक्टेयर
2. लेम्डासाइलोथ्रीन + थायोमिथाक्सान – 200 मिली/हेक्टेयर
जल निकास और जैविक उपायों पर भी दें ध्यान
कृषि विभाग ने किसानों से कहा है कि खेतों में जल निकास का सही प्रबंध अवश्य करें। इसके अलावा फल मक्खी के नियंत्रण के लिए जैविक विष प्रपंच और प्रकाश प्रपंच जैसे उपाय भी अपनाएं।
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