किसानों को नरवाई प्रबंधन और प्राकृतिक खेती के लिए किया जा रहा जागरूक
31 अक्टूबर 2025, रीवा: किसानों को नरवाई प्रबंधन और प्राकृतिक खेती के लिए किया जा रहा जागरूक – धान की फसल की कटाई होने के बाद गेंहू की फसल की बुवाई के लिए किसान को खेत से नरवाई हटाना आवश्यक है। रीवा और मऊगंज जिलों में नरवाई जलाने पर प्रतिबंध है। फिर भी कई किसान अनजाने में नरवाई जला देते हैं। कृषि विभाग द्वारा किसानों को नरवाई के उचित प्रबंधन और प्राकृतिक खेती के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है।
उप संचालक कृषि श्री यूपी बागरी ने बताया कि ग्राम बेलवा कुर्मियान तथा बेलवा बड़गैयान में आयोजित बैठक में किसानों को नरवाई प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया। रीवा विकासखण्ड के खजुहाकला ग्राम के किसानों ने नरवाई न जलाने की शपथ ली। प्रशिक्षण देते हुए वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी ने बताया कि नरवाई जलाने से मिट्टी की उर्वरा क्षमता नष्ट होती है। फसल और मिट्टी के लिए लाभकारी कई सूक्ष्मजीव नरवाई जलाने से नष्ट हो जाते हैं। किसान सुपर सीडर के माध्यम से नरवाई की समस्या का निदान सरलता से पा सकते हैं। सुपर सीडर फसल अवशेष नरवाई को मिट्टी में मिलाकर खाद बना देता है। इसके उपयोग से खेत की जुताई की आवश्यकता नहीं होती है। किसान नरवाई नष्ट करने और फसल की बोनी का कार्य एक साथ कर सकते हैं।
किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी देते हुए फसल में कीट प्रबंधन तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए जीवामृत, बीजामृत और घन जीवामृत के निर्माण और उपयोग की जानकारी दी गई। किसानों को डीएपी के स्थान पर यूरिया और सिंगल सुपर फास्फेट खाद के संतुलित उपयोग के लिए जागरूक किया गया। किसानों को धान उपार्जन की प्रक्रिया तथा गेंहू एवं चने की उन्नत किस्मों की भी जानकारी दी गई। बैठक में किसानों को नरवाई न जलाने की शपथ दिलाई गई। ग्राम खजुहा कला में भी किसानों को नरवाई प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में एसएडीओ गंगेव शिवशरण सरल, बीटीएम दीपक श्रीवास्तव, आरएईओ बबिता साकेत ने किसानों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी।
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